शहरी अपशिष्ट प्रसंस्करण वर्ष 2014 में 17% से बढ़कर वर्तमान में 76% हो गया है: हरदीप सिंह पुरी
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शहरी स्थानों के सतत विकास के बारे में बात करते हुए कहा कि शहरी परिवहन और शहरी विकास से संबंधित अन्य नीतिगत विषयों में स्थिरता का तत्व शामिल है.
आवासन और शहरी कार्य तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने विश्व पर्यावास दिवस (World Habitat Day - WHD) 2023 के अवसर पर आयोजित एक जनसभा को संबोधित किया. पुरी ने कहा कि विश्व पर्यावास दिवस का महत्व अब तेजी से समझा जा रहा है. वर्ष 1980 के दशक में विश्व पर्यावास दिवस की अवधारणा का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व पर्यावास दिवस की अवधारणा पहली बार वर्ष 1986 में केन्या के नैरोबी में प्रस्तुत की गई थी. विश्व पर्यावास दिवस के पहले उत्सव का विषय 'आश्रय मेरा अधिकार है' वर्ष 1986 की सबसे गंभीर समस्या - शहरों में पर्याप्त आश्रय की समस्या को रेखांकित करता है.
मंत्री ने कहा कि तब से मानव बस्तियों के आस-पास चर्चा विकसित हुई है. अगले कुछ वर्षों में, वार्षिक विषय उस समय की प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए - सुरक्षा से लेकर महिला सशक्तीकरण तक और स्वच्छता से लेकर काम की गरिमा तक अलग-अलग थीं.
सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों और सतत विकास लक्ष्यों के माध्यम से विकास के प्रति दृष्टिकोण भी विकसित हुआ है. सतत विकास लक्ष्य नागरिक केंद्रित दृष्टिकोण से डिजाइन किए गए हैं और समावेशी और बॉटम-अप यानी नीचे से ऊपर के दृष्टिकोण पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं.
मंत्री ने भारत में शहरी स्थानों के विकास के बारे में बात करते हुए कहा कि शहरी परिवर्तन पर सरकार का ध्यान काफी बढ़ गया है. वर्ष 2014 से पहले शहरी विकास में उपेक्षा की जा रही थी. वर्ष 2004 से वर्ष 2014 के बीच शहरी क्षेत्रों में केवल 1.78 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में यह परिवर्तन आया है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “ हमारे शहरों और कस्बों के परिवर्तन में वर्ष 2014 से 18 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है.”
उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में शहरी अपशिष्ट प्रसंस्करण की मात्रा लगभग 17 प्रतिशत थी और अब यह बढ़कर 76 प्रतिशत हो गयी है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में शहरी अपशिष्ट प्रसंस्करण 100 प्रतिशत तक पहुंच जायेगा. उन्होंने आगे कहा कि शहरी क्षेत्रों में विरासत में मिले कूड़े के ढेरों को भी अगले 2 वर्षों में बायोरेमेडिएशन के माध्यम से समाप्त कर दिया जाएगा.
पुरी ने कहा कि इस वर्ष का विषय 'लचीली शहरी अर्थव्यवस्थाएँ: विकास और पुनर्प्राप्ति के संचालक के रूप में शहर' उपयुक्त रूप से चुना गया है. इस विषय पर चर्चा अब अधिक महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि दुनिया कोविड महामारी के व्यवधान के बिना अपने पहले वर्ष का आनंद ले रही है. उन्होंने कहा कि यह विषय महामारी के बाद की वैश्विक व्यवस्था में आर्थिक सुधार और विकास के केंद्र के रूप में शहरों की भूमिका को रेखांकित करता है.
मंत्री ने शहरी स्थानों के सतत विकास के बारे में बात करते हुए कहा कि शहरी परिवहन और शहरी विकास से संबंधित अन्य नीतिगत विषयों में स्थिरता का तत्व शामिल है. उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे हरित विकल्पों का उल्लेख किया जिन्हें शहरी परिवहन में खालीपन को भरने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि किसी देश की आर्थिक वृद्धि को उसकी ऊर्जा खपत और उसके शहरी परिदृश्य से भी मापा जा सकता है. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में शहरी क्षेत्र अर्थव्यवस्थाओं के उत्पादक केंद्र हैं, दुनिया की 75 प्रतिशत से अधिक सकल घरेलू उत्पाद यहीं से उत्पन्न होता है.
उन्होंने कहा, "भारत में, अपेक्षाकृत कम शहरीकरण के बावजूद, शहर पहले से ही राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 66 प्रतिशत का योगदान देते आ रहे हैं."
वर्ष 2050 तक यह संख्या 80 प्रतिशत तक जाने की आशा है जब देश की आधी से अधिक आबादी इसके शहरी क्षेत्रों में निवास करेगी. उन्होंने कहा कि इस वर्ष का विषय शहरी अर्थव्यवस्थाओं को भविष्य में सुरक्षित बनाने पर केंद्रित है ताकि उन्हें ब्लैक स्वान ईवेंट यानी अप्रत्याशित घटनाओं, महामारी और ऐसी अन्य विनाशकारी घटनाओं से निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार किया जा सके.
मंत्री ने शहरों से वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए नगरपालिका बांड जैसे नवीन तरीकों का उपयोग करने का आग्रह किया. संसाधन जुटाने के लिए नगरपालिका बांड का उपयोग करने के लिए शहरों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि अमृत मिशन के माध्यम से, सरकार ने शहरों में पूंजी निवेश बढ़ाने के लिए बाजारों से धन प्राप्त करने के लिए दबाव डाला है. 12 शहरों ने नगरपालिका बांड के माध्यम से 4,384 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं. इस तरह की कार्रवाइयों से स्थानीय शहरी निकायों (यूएलबी) की साख बढ़ी है और वे आकर्षक निवेश स्थल बन गए हैं.
मंत्री ने भारत के नियोजित शहरीकरण मॉडल के बारे में बात करते हुए कहा कि अंत्योदय से सर्वोदय पर ध्यान केंद्रित करने से यह सुनिश्चित हुआ है कि हमारे शहर अशांत समय में भी जीवंत और आर्थिक रूप से संपन्न बने रहें. उन्होंने कहा कि जिस तरह से हमने बड़े पैमाने पर कार्यक्रम संचालित किए हैं और अपने शहरों में हरित परिवर्तन लाए हैं, उससे अन्य देश बहुत कुछ सीख सकते हैं.