अमेरिका ने ब्याज दरों में की भारी बढ़ोतरी, जानिए कैसे इसका भारत पर होगा असर, यहां भी बढ़ेंगे रेट
फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है. अब नई दरें 3-3.25 फीसदी की रेंज में जा पहुंची है. साल 2023 तक फेड रेट्स बढ़ते-बढ़ते 4.6 फीसदी तक पहुंच सकते हैं.
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने आखिरकार ब्याज दरें (US Fed Interest Rates) बढ़ा दी हैं. पहले से ही उम्मीद की जा रही थी कि फेड रेट्स बढ़ सकते हैं, क्योंकि अमेरिका में महंगाई काबू में नहीं आ रही है. ऐसे में फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है और अब नई दरें 3-3.25 फीसदी की रेंज में जा पहुंची हैं. टेंशन की बात तो ये है कि फेडरल रिजर्व ने इसे भविष्य में फिर से बढ़ाए जाने के संकेत दिए हैं. भारत में भी महंगाई की वजह से रिजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट कई बार बढ़ाया जा चुका है. फेडरल रिजर्व की तरफ से रेट बढ़ाए जाने के बाद तो अब इस बात की उम्मीद और अधिक हो गई है कि भारत में भी ब्याज दरें बढ़ेंगी.
अमेरिका में महंगाई 40 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है. ऐसे में फेडरल रिजर्व के पास ब्याज दरें बढ़ाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि साल 2023 तक फेड रेट्स बढ़ते-बढ़ते 4.6 फीसदी तक पहुंच सकते हैं. साल के अंत तक ही बेंचमार्क रेट को 4.4 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है. भारत में भी महंगाई से निपटने के लिए ब्याज दर बढ़ाए जाने का अनुमान है.
आरबीआई कितनी बढ़ा सकता है दरें?
भारतीय रिजर्व बैंक की 28 सितंबर से 30 सितंबर के बीच बैठक होने वाली है. उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में रिजर्व बैंक रेपो रेट में 0.25 फीसदी से 0.35 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर सकता है. इससे पहले रिजर्व बैंक तीन बार रेपो रेट में बढ़ोतरी कर चुका है, जिसके बाद नई दर 5.40 फीसदी हो गई है.
किस लेवल पर है महंगाई
अगर बात भारत की करें तो अगस्त महीने में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7 फीसदी पर पहुंच गई है. इससे पहले जुलाई 2022 में यह 6.71 फीसदी थी. यह लगातार आठवां महीना है जब महंगाई दर 6 फीसदी से अधिक है. बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक के लिए 6 फीसदी महंगाई दर उच्चतम लेवल है, उससे ऊपर जाते ही बैंक इससे कम करने के लिए जरूरी कदम उठाने लगता है.
वहीं अगर बात अमेरिका की करें तो वहां मंथली सीपीआई अगस्त में 8.3 फीसदी की दर से बढ़ी है. जून के महीने में वहां महंगाई 40 सालों में सबसे अधिक 9.1 फीसदी की दर पर थी. यही वजह है कि फेडरल रिजर्व बार-बार दरें बढ़ा रहा है, ताकि महंगाई को काबू में लाया जा सके.
जानिए, रेपो रेट कैसे लगाता है महंगाई पर लगाम
जब रेपो में बढ़ोतरी की जाती है तो इससे बैंकों को मिलने वाला लोन महंगा हो जाता है. ऐसे में जब बैंक को ही महंगा लोन मिलता है तो वह ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन को भी महंगा कर देते हैं. होम लोन और ऑटो लोन लंबी अवधि के होने की वजह से उन्हें फ्लोटर इंस्ट्रेस्ट रेट पर दिया जाता है. यह रेट रिजर्व बैंक की दर के बढ़ने-घटने के आधार पर बदलता रहता है. यही वजह है कि जैसे ही रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता है, होम लोन और कार लोन की ईएमआई पर सीधा असर होता है. हालांकि, इसका उन्हें फायदा होता है, जो लोग एफडी में पैसे लगाते हैं.
लोन को महंगा करने की सबसे बड़ी वजह होती है मार्केट में पैसों के सर्कुलेशन को कंट्रोल करना. लोन महंगा होने से लोग कम खर्च करने की कोशिश करते हैं. वहीं जिनकी पहले से ही होम लोन या ऑटो लोन ईएमआई चल रही होती हैं, उनका पहले की तुलना में अधिक पैसा खर्च होने लगता है. ऐसे में वह तमाम चीजों के लिए पैसे कम खर्च करते हैं और डिमांड घटती है, जिससे महंगाई पर काबू करने में आसानी होती है. वहीं एफडी पर अधिक ब्याज मिलने से भी बहुत से लोग अपने खर्चों को छोड़कर पैसे बचाने की कोशिश करते हैं, ताकि अधिक रिटर्न मिले. इन वजहों से मार्केट में पैसों का सर्कुलेशन घटता है.
फेड रेट्स बढ़ने का भारत पर क्या होगा असर?
अमेरिका में अगर ब्याज दरें बढ़ती हैं तो इसका सीधा असर शेयर बाजार पर देखने को मिलता है. विदेशी निवेशक (एफआईआई) भारत से पैसे निकालने लगते हैं, जिससे मार्केट गिरने लगता है. आज 22 सितंबर को भी ऐसा देखने को मिल रहा है. 21 सितंबर को अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें बढ़ाई हैं और 22 सितंबर को मार्केट लाल निशान में कारोबार कर रहा है.