हैकिंग को लेकर फेल हुई अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए, सबसे बड़ी चोरी का पता ही नहीं चला
वाशिंगटन, हैकिंग के अत्याधुनिक तरीके एवं साइबर हथियार विकसित करने वाली अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए की एक विशेष इकाई अपने ही अभियानों से जुड़ी जानकारियों की सुरक्षा करने में नाकाम रही और चोरी हो जाने के बाद भी उसे इसकी भनक भी नहीं लगी।
खुफिया एजेंसी के इतिहास में डेटा चोरी होने की सबसे बड़ी घटना के बाद तैयार आंतरिक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ये सभी कमियां काम करने की वर्षों पुरानी उस संस्कृति को दिखाती हैं जिसमें अपनी सुरक्षा प्रणाली को सुरक्षित करने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता। इस रिपोर्ट में इस अमेरिकी खुफिया एजेंसी में साइबर सुरक्षा को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
सीनेट खुफिया समिति के वरिष्ठ सदस्य एवं सीनेटर रॉन वाइडन ने न्याय विभाग से इस संशोधित रिपोर्ट को हासिल किया है। इसे पहले इस साल सीआईए के हैकिंग तरीकों की चोरी के संबंध में सबूत के तौर पर अदालत में पेश किया गया था।
उन्होंने मंगलवार को एक पत्र के साथ इसे जारी किया है। यह पत्र उन्होंने खुफिया निदेशक जॉन रेटक्लिफ को लिखा है और उनसे सवाल किया कि संघीय खुफिया एजेंसी के पास राष्ट्र की जो खुफिया जानकारियां हैं, वह उसकी सुरक्षा के लिए क्या कर रहे हैं।
2017 की रिपोर्ट में सीआईए द्वारा विरोधियों के नेटवर्क को हैक करने के तैयार किए गए हैकिंग के आधुनिक माध्यमों की चोरी की जांच के संबंध में जानकारियां थीं। यह रिपोर्ट सबसे पहले ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने प्रकाशित की थी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि विकीलीक्स ने महीनों पहले यह घोषणा की थी कि उन्होंने सीआईए के विशेष साइबर खुफिया केंद्र द्वारा तैयार किए गए हैकिंग के तरीकों को हासिल किया है। वहीं विकिलीक्स ने इनमें से 35 के बारे में विस्तृत जानकारी भी प्रकाशित कर दी थी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2016 में हुई यह चोरी इतिहास में आंकड़ों की सबसे बड़ी चोरी मानी जा रही है। इसमें 180 गीगाबाइट से लेकर 34 टेराबाइट तक लंबी जानकारियां चोरी हुई थीं। एजेंसी को इस चोरी के बारे में पता भी उस समय चला, जब विकिलीक्स ने ही एक साल बाद इस चोरी की घोषणा की। इसमें मुख्य संदिग्ध के रूप में सीआईए के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पहचान की गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चोरी हुआ डेटा उस सिस्टम में था, जिसमें गतिविधि की निगरानी करने वाला यंत्र नहीं लगा था। चोरी की जानकारी मार्च, 2017 में तब हुई, जब विकिलीक्स ने इसकी घोषणा की। रिपोर्ट में कहा गया कि अगर देश के विरोधियों के लाभ के लिए डेटा चोरी हुआ होता
Edited by रविकांत पारीक