उत्तराखंड की बेटी शीतल राज ने एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा
उत्तराखंड की एक और बेटी शीतल राज ने एवरेस्ट फतह करने का कीर्तिमान बनाया है। इससे पहले वह भारत की 28169 फिट ऊंची कंचनजंगा चोटी पर भी तिरंगा फहरा चुकी हैं। शीतल को अपनी दो माह की कोशिश के बाद 16 मई 2019 को सुबह छह बजे एवरेस्ट पर विजय हासिल हुई।
सबसे कम उम्र में भारत की 28169 फिट ऊंची कंचनजंगा शिखर फतह कर विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) के गांव सल्मोड़ा की बाईस वर्षीय पर्वतारोही शीतल राज ने दुनिया की सबसे ऊंची पर्वतीय चोटी पर भी तिरंगा लहरा दिया है। शीतल 21 मई 2018 को कंचनजंगा चोटी पर चढ़ी थीं। उन्होंने इससे पहले संतोपथ और त्रिशूल चोटियां भी फतह की थीं। उसी समय शीतल को माउंट एवरेस्ट अभियान के लिए चुना गया था, लेकिन कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि की शीतल के समक्ष एवरेस्ट अभियान पर आने वाले 25-30 लाख का खर्च जुटाना मुश्किल था।
शीतल एक बेहद गरीब परिवार से हैं। उनके पिता उमाशंकर राज टैक्सी चलाकर परिवार का पालन पोषण करते हैं। वह टैक्सी चलाकर महीने में किसी तरह छह-सात हजार रुपए कमा पाते हैं, लेकिन बेटी के सपनों को पूरा करने में उन्होंने लाख तंगी के बावजूद खुद को कभी आड़े नहीं आने दिया। उस समय जिलाधिकारी सी. रविशंकर और सीडीओ वंदना ने शीतल की समस्या को देखते हुए प्रायोजक खोजने में खुद पहल की। हंस फाउंडेशन, आइआइएलसी, खनिज फाउंडेशन के सहयोग से उनके लिए धनराशि का इंतजाम किया गया। आस्ट्रेलिया में रहने वाले प्रवासी भारतीयों से भी उन्हें मदद मिली। उसके बाद शीतल की उम्मीदों को पंख लग गए।
शीतल एवरेस्ट फतह के लिए दो अप्रैल 2018 को काठमांडू के लिए रवाना हो गई थीं। वहीं से उन्होंने अपना एवरेस्ट अभियान शुरू किया। गत 5 अप्रैल को काठमांडू से एवरेस्ट के बेसकैंप के लिए वह रवाना हुई थीं और 15 अप्रैल को बेस कैंप पहुंची। इसी सप्ताह 12 मई तक शीतल ने बेस कैंप में दूसरे पर्वतारोहियों के साथ रॉक क्लाइंबिंग की प्रैक्टिस की। इससे पहले एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए उन्होंने कड़ी मशक्कत की।
तीन महीने तक वह उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्वतारोही योगेश गब्र्याल की देखरेख में पंचाचूली चोटी क्षेत्र में नियमित अभ्यास करती रहीं। उस दौरान एवरेस्ट विजेता लवराज धर्मशक्तू सहित उत्तराखंड के तमाम लोग उन्हें एवरेस्ट फतह के लिए प्रोत्साहित करते रहे। शीतल ने पांच सदस्यीय अभियान दल 'क्लाइमबिंग बियॉन्ड द समिट: एवरेस्ट एक्सपेडिशन 2019' का हिस्सा बनकर एवरेस्ट पर विजय पाई है।
एवरेस्ट फतह कर चुके कोच योगेश गर्ब्याल के मुताबिक, शीतल गुरुवार, 16 मई की सुबह छह बजे एवरेस्ट शिखर पर पहुंच गई थीं। सुबह जैसे ही शीतल के एवरेस्ट फतह की खबर सोर घाटी में पहुंची, लोगों के चेहरे खिल उठे। समाजशास्त्र से ग्रैजुएट शीतल कहती हैं कि वह स्कूल के टाइम से ही पर्वतारोहण के लिए काफी उत्साहित रहा करती थीं। आज वह एवरेस्ट शिखर पर पहुंचने के बाद से बहुत खुश और उत्साहित हैं। इस कामयाबी का श्रेय वह अपने माता-पिता को देती हैं।
शीतल के माता-पिता बताते हैं कि पर्वत शिखरों तक पहुंचने का उसमें बचपन से ही जुनून सा रहा है। इसी से वे भी बेटी की इस तरह की बड़ी कामयाबी के सपने देखने लगे थे, जो अब जाकर पूरा हुआ है। राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने शीतल को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा है कि उन्होंने एवरेस्ट फतह कर पूरे प्रदेश का नाम गर्व से ऊंचा किया है।
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