Hindustan Zinc को Zinc International के एसेट्स बेचेगी Vedanta, इतने करोड़ रुपये का रहेगा सौदा
वेदांता के पास HZL की इक्विटी शेयर पूंजी का 64.92 प्रतिशत है.
अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) की कंपनी वेदांता (Vedanta), जिंक इंटरनेशनल के एसेट्स को हिंदुस्तान जिंक को 298.1 करोड़ डॉलर में बेचेगी. वेदांता के बोर्ड ने कंपनी के प्रत्यक्ष पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी THL जिंक वेंचर्स लिमिटेड (मॉरीशस) (THLZV) द्वारा हेल्ड जिंक इंटरनेशनल एसेट्स की बिक्री को मंजूरी दे दी है.
वेदांता ने एक फाइलिंग में कहा है कि THL जिंक लिमिटेड (मॉरीशस) के माध्यम से THLZV की संपत्ति, जिसमें ब्लैक माउंटेन माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड, दक्षिण अफ्रीका (69.6 प्रतिशत) और THL जिंक नामीबिया होल्डिंग्स (Pty) लिमिटेड (100 प्रतिशत), नामीबिया के शेयर शामिल हैं, को बेचा जाएगा. यह बिक्री हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी Zinc International को की जाएगी और डील 298.1 करोड़ डॉलर से ज्यादा की नहीं होगी.
18 माह में पूरी हो सकती है डील
वेदांता के पास HZL की इक्विटी शेयर पूंजी का 64.92 प्रतिशत है. प्रस्तावित लेन-देन आवश्यक रेगुलेटरी मंजूरियों की प्राप्ति के अधीन होगा. अगर समय पर सभी अप्रूवल मिल जाते हैं तो लेन-देन 18 महीने की अवधि में चरणबद्ध तरीके से पूरा होने की संभावना है. हिंदुस्तान जिंक, जिंक, लेड और सिल्वर की देश की एकीकृत उत्पादक है.
हिंदुस्तान जिंक में सरकार बेच रही 29.5% हिस्सेदारी
बता दें कि मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए), हिंदुस्तान जिंक लि. (एचजेडएल) में सरकार की शेष 29.5 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचने की मंजूरी दे चुकी है. इस बिक्री से सरकार को करीब 38,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. इस कदम से सरकार को चालू वित्त वर्ष में अपने विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी. सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश और रणनीतिक बिक्री से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. 29.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के तहत 124.96 करोड़ शेयर बेचे जाएंगे. इससे मौजूदा मूल्य पर सरकार को 38,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं.
वेदांता को कैसे मिली हिस्सेदारी
हिंदुस्तान जिंक 2002 तक सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी थी. अप्रैल, 2002 में सरकार ने हिंदुस्तान जिंक में अपनी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी स्टरलाइट अपॉरच्यूनिटीज एंड वेंचर्स लि. (एसओवीएल) को 445 करोड़ रुपये में बेची थी. इससे वेदांता समूह के पास कंपनी का प्रबंधन नियंत्रण आ गया था. वेदांता समूह ने बाद में बाजार से कंपनी की 20 प्रतिशत और हिस्सेदारी खरीदी थी. इसके बाद नवंबर, 2003 में समूह ने सरकार से कंपनी की 18.92 प्रतिशत और हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया. इससे हिंदुस्तान जिंक में वेदांता की हिस्सेदारी बढ़कर 64.92 प्रतिशत पर पहुंच गई.
Edited by Ritika Singh