कर्ज कम करने की Vedanta की कोशिशों को लगा झटका, सरकार ने हिंदुस्तान जिंक सौदे का किया विरोध
अनिल अग्रवाल (Anil Agrawal) की वेदांता लिमिटेड ने पिछले महीने कहा था कि वह अपनी वैश्विक जिंक संपत्तियों को 298.1 करोड़ डॉलर नकद सौदे में हिंदुस्तान जिंक लि. को बेचेगी.
भारी कर्ज के बोझ तले दबी वेदांता के कर्ज में कमी की अरबपति भारतीय कारोबारी अनिल अग्रवाल की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है.
दरअसल, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) को अपनी वैश्विक जस्ता संपत्तियां बेचने की वेदांता
की योजना का सरकार ने विरोध किया है. सरकार ने इस सौदे से जुड़े मामलों में सभी कानूनी विकल्पों की तलाश की बात कही है.बता दें कि, अनिल अग्रवाल (Anil Agrawal) की वेदांता लिमिटेड ने पिछले महीने कहा था कि वह अपनी वैश्विक जिंक संपत्तियों को 298.1 करोड़ डॉलर नकद सौदे में हिंदुस्तान जिंक लि. को बेचेगी.
हालांकि, इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे शेयरधारकों का कहना है कि जब दोनों कंपनियों का स्वामित्व वेदांता के ही पास है तो विदेशी परिसंपत्तियों की बिक्री की कोई जरूरत नहीं है. वेदांता के पास हिंदुस्तान जिंक की 64.92 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
सरकार ने वेदांता की इकाई एचजेडएल से इन संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए दूसरे नकदी रहित तरीकों का पता लगाने को भी कहा है.
खान मंत्रालय ने 17 फरवरी को एचजेडएल को लिखे पत्र में कहा, ‘‘हमें भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए गए नामित निदेशकों से पता चला है कि 19 जनवरी, 2023 को हुई कंपनी के निदेशक मंडल की बैठक में पूर्व स्वामित्व वाली उसकी विदेशी अनुषंगी कंपनी के गठन को मंजूरी दी गई. ऐसी अनुषंगी इकाई को 298.1 करोड़ डॉलर की सीमा तक वित्तपोषण दिया जाएगा और सहायक कंपनी टीएचएल जिंक वेंचर्स लिमिटेड (वेदांत समूह की एक इकाई) से टीएसएल जिंक लिमिटेड के शेयरों का अधिग्रहण करेगी.’’
पत्र में आगे कहा गया, ‘‘हम आपके ध्यान में लाना चाहते हैं कि भारत सरकार इस तरह के किसी भी प्रस्ताव का विरोध करेगी और इस संबंध में उपलब्ध हर कानूनी रास्ते को तलाशेगी.’’
लगभग दो दशक पहले निजीकरण के बाद एचजेडएल में सरकार की हिस्सेदारी 29.54 प्रतिशत पर बनी हुई है. बता दें कि मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए), हिंदुस्तान जिंक लि. (एचजेडएल) में सरकार की शेष 29.5 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचने की मंजूरी दे चुकी है. इस बिक्री से सरकार को करीब 38,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं.
हालांकि, वेदांता लिमिटेड की विदेशी परिसंपत्तियों के अधिग्रहण को लेकर सरकार की तरफ से कुछ चिंताएं जाहिर की गई हैं. एक सूत्र ने कहा कि हिंदुस्तान जिंक के निदेशक मंडल में शामिल तीनों सरकारी निदेशकों को इस प्रस्ताव पर आपत्ति है.
एचजेडएल ने मंत्रालय से पत्र मिलने की बात स्वीकार की है और शेयर बाजार को दी जानकारी में बताया कि प्रस्तावित लेनदेन आम बैठक में शेयरधारकों की मंजूरी के बाद ही किया जा सकता है.
वेदांता को कैसे मिली हिस्सेदारी
हिंदुस्तान जिंक 2002 तक सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी थी. अप्रैल, 2002 में सरकार ने हिंदुस्तान जिंक में अपनी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी स्टरलाइट अपॉरच्यूनिटीज एंड वेंचर्स लि. (एसओवीएल) को 445 करोड़ रुपये में बेची थी. इससे वेदांता समूह के पास कंपनी का प्रबंधन नियंत्रण आ गया था. वेदांता समूह ने बाद में बाजार से कंपनी की 20 प्रतिशत और हिस्सेदारी खरीदी थी. इसके बाद नवंबर, 2003 में समूह ने सरकार से कंपनी की 18.92 प्रतिशत और हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया. इससे हिंदुस्तान जिंक में वेदांता की हिस्सेदारी बढ़कर 64.92 प्रतिशत पर पहुंच गई.
Edited by Vishal Jaiswal