आईआईटी कानपुर से बी.टेक वीणा को आस्ट्रेलिया में 33 लाख डॉलर का अनुदान
"आइआइटी कानपुर (उ.प्र.) की बी.टेक छात्रा रहीं वीणा सहजवाला अब प्रतिष्ठित ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों में शुमार हैं। न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान संकाय में एसोसिएट डीन एवं नवोन्मेषी वैज्ञानिक सहजवाला को खराब बैट्रियों के कचरे से उन्नत विनिर्माण क्षमता विकसित करने के लिए 33 लाख डॉलर का अनुदान मिला है।"
आईआईटी कानपुर से धातु विज्ञान में बी.टेक एवं प्रतिष्ठित ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों में शामिल वीणा सहजवाला भारतीय मूल की प्रसिद्ध नवोन्मेषी वैज्ञानिक हैं, जिन्हें पुनर्चक्रण विज्ञान में क्रांतिकारी योगदान के लिए पिछले साल ऑस्ट्रेलियन एकेडमी ऑफ साइंस का फेलो चुना गया था। वर्तमान में वह सिडनी स्थित न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान संकाय में एसोसिएट डीन हैं। वह लॉरेट फेलो के रूप में ऑस्ट्रेलियन रिसर्च काउंसिल से भी जुड़ी हुई हैं।
वीणा सहजवाला को बैट्री व उपभोक्ता कचरे को रिसाइकिल करने में उन्नत विनिर्माण क्षमता विकसित करने के लिए 33 लाख डॉलर का अनुदान मिला है। इस तकनीक से बैट्री एवं उपभोक्ता कचरे को छोटे उत्पादों की शक्ल दी जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय वैज्ञानिक भी खराब बैटरियों के भीतर के मैग्नीज-ऑक्साइड, एक्टिवेटेड कार्बन और कैल्शियम एल्जिनेट को मिलाकर कैब-मोएक नाम से नया उत्पाद बनाने का आविष्कार कर चुके हैं। आईआईटी, गांधीनगर (गुजरात) के पृथ्वी विज्ञान विभाग में कार्यरत प्रो.मनीष कुमार, ऋतुस्मिता गोस्वामी एवं आईआईटी गुवाहाटी की पायल मजूमदार के मुताबिक, कैब-मोएक से पर्यावरण के लिए बेहद घातक कचरे के निपटारे के साथ-साथ प्रदूषित जल का शोधन भी हो जाता है। मुर्गी एवं सुअर पालन उद्योग से निकलने वाले प्रदूषित जल में मौजूद टायलोसिन और पी-क्रेसॉल के अवशेष पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। उन अवशेषों के शोधन में कैब-मोएक के दाने विशेष उपयोगी साबित हुए हैं। कैब-मोएक दानों से दस घंटे में जल में मौजूद प्रदूषकों को पूरी तरह हटाया जा सकता है। अपशिष्ट जल की उपचार प्रक्रिया के दौरान उसमें उपस्थित जैविक या विषाक्त पदार्थों को हटाने के लिए दानेदार एक्टिवेटेड कार्बन का उपयोग किया जाता है।
जर्नल ऑफ हैजर्डस मैटीरियल में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि बैटरियों के अपशिष्ट से लाभकारी उत्पाद बनाने की ये पहल स्वास्थ्य, स्वच्छता और पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से उपयोगी साबित हुई है।
आस्ट्रेलिया में भारत का नाम ऊंचा कर रहीं प्रवासी वीणा सहजवाला यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स की सेंटर फॉर सस्टेनेबल मटेरियल्स रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी की संस्थापक भी हैं। अब वह एक हब का नेतृत्व करेंगी, जिसका उद्देश्य ऑस्ट्रेलिया के अपशिष्ट और रिसॉर्स रिकवरी इंडस्ट्री को बदलना है। इससे रोजगार में इज़ाफे के साथ ही पर्यावरण में भी सुधर होगा।
यूनिवर्सिटी के एक बयान में बताया गया है कि इस परियोजना से सिंथेसिस तकनीक और अपशिष्ट पर उच्च तापमान की जानकारी एकत्रित की जा सकेगी। साथ ही, इससे यह पता चल सकेगा कि धातु, ऑक्साइड और कार्बन समेत अन्य पदार्थों और उत्पादों के अपशिष्ट को किस तरह दोबारा प्रयोग में लाया जा सकता है। इसका उद्देश्य व्यावसायिक रूप से ऐसी प्रौद्योगिकी और प्रक्रियाओं को अपनाना है, जहां अपशिष्ट को दोबारा से सामग्री में बदला जा सके।