असम के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने की शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील
असम के कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने गुरुवार को छात्रों से अपील करते हुए कहा कि वे अपने भविष्य को खतरे में ना डालें और राज्य में शांति तथा सौहार्द बनाए रखने में मदद करें। CAA क्ले विरोध में असम में काफी समय से हिंसक प्रदर्शन जारी हैं।
असम के करीब 20 सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने गुरुवार को छात्रों से अपील करते हुए कहा कि वे अपने भविष्य को खतरे में ना डालें और राज्य में शांति तथा सौहार्द बनाए रखने में मदद करें। राज्य में संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं।
कुछ अखबारों में प्रकाशित कुलपतियों की अपील में कहा गया है कि
"राज्य के मौजूदा हालात से छात्रों के भविष्य पर कुप्रभाव पड़ेगा।"
अपील में कहा गया है, ‘‘यह सभी का कर्तव्य है कि राज्य की शिक्षा प्रणाली स्वस्थ बनी रहे। छात्रों और समाज के सभी तबकों को विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ सहयोग कर सुनिश्चित करना चाहिए कि शैक्षणिक कैलेंडर सही चलता रहे और परीक्षाएं बिना किसी बाधा के संपन्न हों।’’
इस अपील पर गुवाहाटी विश्वविद्यालय, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, असम एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय, तेजपुर विश्वविद्यालय, बोडोलैंड विश्वविद्यालय, कृष्णकांत हांडिक स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी, श्रीमंत शंकरदेव यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, माधवदेव विश्वविद्यालय, भट्टदेव विश्वविद्यालय, रविन्द्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय, असम महिला विश्वविद्यालय, माजुली कल्चरल यूनिवर्सिटी, कुमार भास्करवर्मा संस्कृत एवं पुरातन अध्ययन विश्वविद्यालय, असम विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय, असम राजीव गांधी सामबे विश्वविद्यालय और रॉयल ग्लोबल विश्वविद्यालय के कुलपतियों ने हस्ताक्षर किए हैं।
सीएए के खिलाफ देश भर में भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। सीएए को लेकर सबसे अधिक तनाव नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में दिखाई दिया, इसी के चलते असम में इंटरनेट सेवाएँ बाद कर दी गईं थीं।
लंबे समय से असम में जारी तनाव में अब थोड़ी नरमी दिखाई दी है, इसी के चलते असम में इंटरनेट सेवाओं को फिर से बहाल करने क्ला फैसला लिया गया है।
सीएए के विरोध को लेकर असम में हुई हिंसा पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बयान देते हुए कहा है कि,
“कुछ लोग राज्य में झूठी खबरें फैला रहे हैं, ये लोग ही समाज के दुश्मन हैं। हम राज्य के सम्मान को प्रभावित नहीं होने देंगे।”
असम में इसके पहले एनआरसी के चलते बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए थे, अब नागरिकता संसोधन कानून पास होने के साथ असम के लोगों का गुस्सा फिर से फूट पड़ा। असम में पिछले कई दिनों से जारी प्रदर्शन के बाद इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाई गई थी।