बचपन में हुए थे यौन शोषण के शिकार, आज देश भर में ऐसे पीड़ितों की आवाज़ बन चुके हैं लोकेश
यौन शोषण पीड़ित लोगों को संबोधित करते हुए लोकेश कहते हैं कि जरूरी है कि लोग आगे आयें और अपनी कहानी कहें, दुनिया उनके स्वागत के लिए तैयार है।
"लोकेश यौन शोषण के खिलाफ काम करने वाले एक्टिविस्ट के साथ ही एक लेखक भी हैं। मीडिया के साथ अपने बुरे अतीत को साझा करते हुए लोकेश ने बताया है कि जब उनके साथ पहली बार यौन शोषण हुआ तब वे महज 6 साल के थे।"
यौन शोषण आज भी अभिशाप की तरह हमारे आस-पास हर जगह मौजूद है और इससे गुजरने वाले ना जानें कितने लोगों खासकर बच्चों को जीवन भर का ट्रॉमा दे रहा है। यौन शोषण के खिलाफ लोकेश पवार एक लगातार मुहिम चला रहे हैं, जहां वे खासतौर पर पुरुषों और बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण के प्रति लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं।
लोकेश यौन शोषण के खिलाफ काम करने वाले एक्टिविस्ट के साथ ही एक लेखक भी हैं। मीडिया के साथ अपने बुरे अतीत को साझा करते हुए लोकेश ने बताया है कि जब उनके साथ पहली बार यौन शोषण हुआ तब वे महज 6 साल के थे।
इसके बाद अगले कई सालों तक यौन शोषण का शिकार बने लोकेश के अनुसार उनके बचपन को लेकर ऐसे बातें अधिक नहीं है जिन्हें वे सामान्य हो कर कर सकते हैं। वह एक बेहद बुरा और डरावना अनुभव था।
बेहद जरूरी है जागरूकता
लोकेश बतौर लेखक बीतें पाँच सालों से काम कर रहे हैं। इसी के साथ लोकेश डिजिटल क्रिएटर भी हैं। हालांकि लोकेश अनुसार इन सब के साथ वो बतौर यौन शोषण एक्टिविस्ट काम करने में अधिक गर्व महसूस करते हैं।
यौन शोषण के खिलाफ मुहिम चला रहे लोकेश ने लोगों के बीच इसे लेकर जागरूकता फैलाने की दिशा में अपनी तरफ से कोई भी कसर नहीं छोड़ी है। लोकेश जिक्र करते हैं कि पुरुषों के खिलाफ होने वाले यौन शोषण का जिक्र अक्सर कम होता है, जबकि इसे लेकर जागरूकता फैलाये जाने की आवश्यकता है।
लोकेश जब 13 साल के थे तब उन्होने पुरुषों के खिलाफ होने वाले यौन शोषण पर रिसर्च शुरू कर दी थी। लोकेश के अनुसार ‘सत्यमेव जयते’ शो में हरीश अय्यर के इंटरव्यू ने उन्हें काफी प्रभावित किया, क्योंकि वे यौन शोषण खुलकर अपनी राय रखते हैं और उन्होने इस क्षेत्र में काफी सराहनीय काम भी किया है।
परिवार ने दिया पूरा समर्थन
अपने साथ बीते घटनाक्रम के बारे में लोकेश ने सबसे पहले अपनी माँ से बात की थी, उसके बाद लोकेश ने अपने पूरे परिवार को इस बारे में बताया था। लोकेश के परिवार ने उनके साथ खड़े होते हुए उनका पूरा समर्थन किया और इसके बाद से ही लोकेश ने अपने जीवन को लोगों के बीच इस दिशा में जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित कर दिया है।
पितृसत्ता को हाशिये पर लेते हुए लोकेश कहते हैं कि पुरुषों को इस तरह तैयार किया जाता है कि उन्हें एक तय तरीके से ही बर्ताव करना है, जहां वे महज एक बॉक्स के भीतर ही रह जाते हैं। पुरुषों को रोना नहीं चाहिए और अगर उनके साथ कुछ बुरा हो जाता है तो उन्हें आगे बढ़ जाना चाहिए, इस तरह की बेकार बातें समाज आमतौर पर हमें सिखाने की कोशिश करता है।
आज लोकेश उन लोगों के लिए खड़े होते हैं जिन्होने यौन शोषण का सामना किया है और अपने साथ हुए इस घिनौने कृत्य के खिलाफ आवाज़ नहीं उठा पाये हुए हैं।
इसी के साथ लोकेश समाज को संबोधित करते हुए कहते हैं कि सिर्फ बात करने से कुछ नहीं होगा, बतौर समाज हमें इसके खिलाफ एक्शन लेना होगा, हमें हमारे घर पर इसके बारे में बात करनी होगी, जागरूकता फैलानी होगी।
यौन शोषण पीड़ित लोगों को संबोधित करते हुए लोकेश कहते हैं कि जरूरी है कि लोग आगे आयें और अपनी कहानी कहें, दुनिया उनके स्वागत के लिए तैयार है। लोगों को सिर्फ विचारों और अपने ट्रॉमा से बाहर आने की आवश्यकता है।
Edited by Ranjana Tripathi