WAAREE एनर्जीज़ बना सौर ऊर्जा मॉड्यूल का सबसे बड़ा सप्लायर
JMK की एक रिपोर्ट के मुताबिक,
एनर्जीज़ सौर ऊर्जा मॉड्यूल के मामले में सबसे बड़ा सप्लायर बन गया है. साल 2022 की तीसरी तिमाही को लेकर कुल 14 अग्रणी सप्लायर द्वारा किये गये 1.28 GW शिपमेंट के डाटा के अनुसार WAAREE एनर्जीज़ का इस शिपमेंट में 17% हिस्सा था. इसमें से 85% हिस्सा उच्च गुणवत्ता वाले मोनो PERC मॉड्यूल का रहा.उल्लेखनीय है कि WAAREE एनर्ज़ीज की ओर से दुनियाभर में अब तक 5GW सौर ऊर्जा मॉड्यूल सप्लाई की जा चुकी है. कंपनी वापी और सूरत में अपने अत्याधुनिक फ़ैक्टरी के माध्यम से पहले से ही 9 GW सौर ऊर्जा मॉड्यूल के उत्पादन की क्षमता रखती है. WAAREE का लक्ष्य अगले कुछ सालों में अपने मॉड्यूल उत्पादन क्षमता को और अधिक बढ़ाना है और इसके साथ ही कंपनी अगले साल की तीसरी तिमाही तक 5.4GW सौर ऊर्जा संबंधी सेल्स के उत्पादन को इंटीग्रेट करने की दिशा में कार्यरत है.
लोगों में पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरुकता के मद्देनज़र भारत पहले से ही सौर ऊर्जा के उत्पादक देश के रूप में आत्मनिर्भर देश बनने की ओर अग्रसर है. भारत उच्च गुणवत्ता वाले सौर मोड्यूल के उत्पादन और सप्लाई के मामले में अग्रणी देश है. सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सरकार की ओर से मिल रहे भरपूर सहयोग और उल्लेखनीय नीतियों के चलते घरेलू उत्पादक आगे चलकर उच्च गुणवत्ता वाले सौर ऊर्जा के मॉड्यूल का निर्माण करने और कच्चे माल को इंटीग्रेटेड करने में सक्षम साबित होंगे.
साल 1989 में हितेश दोशी ने 5 हज़ार रुपये की पूंजी उधार लेकर एक थर्मल उपकरण व्यवसाय शुरू किया था. तब उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि वह चीन से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच भारत के सबसे बड़े सोलर पीवी मॉड्यूल निर्माण व्यवसाय- ‘वारी एनर्जी’ के निर्माण की दिशा में अपनी यात्रा शुरू करने वाले हैं.
30 से अधिक वर्षों की इस यात्रा के दौरान हितेश ने अपने व्यवसाय को वारी एनर्जीज में बदल दिया है, जो एक प्रमुख पीवी मॉड्यूल और 2GW क्षमता के साथ पैनल निर्माण फर्म के रूप में अब आगे बढ़ रही है.
WAAREE एनर्जीज़ लिमिटेड की पहचान देश के एक अग्रणी सौर ऊर्जा PV मोड्यूल के तौर पर होती है. इसके अतिरिक्त, कंपनी की ओर से EPC, परियोजना संबंधी विकास कार्य, रूफ़टॉप सोल्यूशन्स और सौर ऊर्जा वॉटर पम्प जैसी सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाती है. कंपनी की उपस्थिति देशभर में 388 से अधिक इलाकों में है तो वहीं पूरे विश्व में इसकी मौजूदगी 19 देशों में है.
Edited by रविकांत पारीक