दुनिया का सबसे बड़ा फूड स्टोरेज प्रोग्राम लाएगी सरकार, जानिए कैसे होगा लागू
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और खाद्य प्रसंस्करण सहित मंत्रालयों के तहत चलने वाली इन योजनाओं का जल्द ही विलय कर दिया जाएगा.
यूक्रेन में युद्ध और कोविड-19 महामारी को देखते हुए वैश्विक खाद्य व्यवधानों के बीच केंद्र सरकार कई सरकारी योजनाओं को एक में मिलाकर "दुनिया का सबसे बड़ा अनाज भंडारण" योजना विकसित करने पर काम कर रही है.
न्यूज वेबसाइट मिंट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और खाद्य प्रसंस्करण सहित मंत्रालयों के तहत चलने वाली इन योजनाओं का जल्द ही विलय कर दिया जाएगा.
खाद्य आपूर्ति में व्यवधान और कीमतों में भारी उछाल ने कई देशों में खाद्य सुरक्षा संबंधी चिंताओं को बढ़ा दिया है. यूक्रेन और रूस गेहूं, जौ और उर्वरकों के दुनिया के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से हैं. वहीं, बड़ी कृषि योग्य भूमि होने के बावजूद भारत कम उत्पादकता से ग्रस्त है.
कृषि अर्थशास्त्री और कृषि लागत और मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक गुलाटी ने बताया कि हम भंडारित अनाज और भंडारण क्षमता के मामले में पिछड़ रहे हैं. इसलिए अब सरकार तेजी लाने की कोशिश कर रही है. भंडारण योजना में सबसे महत्वपूर्ण बात यह देखना होगा कि यह आधुनिक भंडारण होगा या पुरानी व्यवस्था का पालन किया जाएगा, जहां प्रत्येक आदमी एक बोरा ले जाता है और एक भंडारण पिरामिड बनाता है. एक मशीनीकृत प्रणाली कहीं अधिक पारदर्शी और बहुत अधिक आधुनिक है. हमारे पास साइलो में 20 लाख टन भंडारण भी नहीं है. भंडारण योजना पर लंबे समय से काम चल रहा है, और अब सरकार इसे लागू करने की कोशिश कर रही है.
बता दें कि, साइलो अनाज भंडारण करने की एक नवीन और अत्याधुनिक तकनीक है, जिसको अपना कर अनाज भंडार करने की पारंपरिक क्षमता से अधिक अनाज भंडारण किया जा सकता है. साइलो स्टोरेज एक स्टील का ढांचा होता है, जिसमें चार बेलनाकार बड़े टैंक होते हैं। हर टैंक की क्षमता 12500 टन होती है.
भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा स्टॉक किया जाने वाला भारत का अनाज 2022 में पांच साल के निचले स्तर पर गिर गया है. भंडारण क्षमता 2022 में 7.5 करोड़ टन से 8.5 करोड़ टन तक थी. केंद्र ने अपनी मुफ्त खाद्यान्न योजना- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का भी 31 दिसंबर तक विस्तार किया है और इसका कुल खर्च 39 खरब रुपये है.
पूर्व कृषि सचिव, सिराज हुसैन ने बताया कि उन योजनाओं का विलय करना एक अच्छा विचार है जिसके तहत पारंपरिक गोदामों, साइलो और कोल्ड स्टोरेज के माध्यम से भंडारण क्षमता के निर्माण के लिए भारत सरकार द्वारा अनुदान प्रदान किया जाता है. हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि राज्य सरकारें भी केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 40 प्रतिशत की सीमा तक योगदान देती हैं. इस तरह के भंडारण का वास्तविक लाभ तभी मिलेगा जब भंडारण विकास और नियामक प्राधिकरण के साथ गोदामों का अनिवार्य पंजीकरण हो.
हाल ही में बाली में जी20 शिखर सम्मेलन में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मौजूदा उर्वरक की कमी खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है.
Edited by Vishal Jaiswal