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Web3 इंटरनेट का कलयुग है, लेकिन कैसे? जानिए क्या है इसका इतिहास

Web 3.0 या Web3 को समझने से पहले हमें Web 1.0, Web 2.0 को एक नज़र देखना होगा.

Web3 इंटरनेट का कलयुग है, लेकिन कैसे? जानिए क्या है इसका इतिहास

Sunday July 17, 2022 , 6 min Read

जमाना टेक्नोलॉजी का है. टेक्नोलॉजी हर पल बदल रही है. ये असंभव को संभव बना रही है. इंटरनेट इसी की देन है. इंटरनेट — WWW (World Wide Web) की दुनिया है. WWW को वेब (Web) की संज्ञा दी गई है.

अब ज़रा यहां थोड़ा रुकें. हम हमारी दुनिया में, यानि की वास्तविक दुनिया में, आपको अतीत में लेकर चलते हैं. महर्षि व्यास जी के मुताबिक़ चार युग हैं — सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलयुग. वर्तमान युग कलयुग है.

अब ज़रा लौटते हैं फिर से अपने लेख पर. हम कहेंगे कि वेब के तीन युग हैं — Web 1.0, Web 2.0 और Web 3.0. Web 3.0 को Web3 (web3) भी कहा जाता है. अब अगर हम Web3 को इंटरनेट की दुनिया का कलयुग कहें तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

Web 3.0 या Web3 को समझने से पहले हमें Web 1.0, Web 2.0 को एक नज़र देखना होगा.

Web 1.0

सर टिम बर्नर्स-ली (Sir Tim Berners-Lee) ने 1989 में इंटरनेट के शुरुआती विकास का बीड़ा उठाया, जब वह यूरोपियन रिसर्चर कंपनी CERN (European Council for Nuclear Research) में बतौर कंप्यूटर साइंटिस्ट काम कर रहे थे.

अक्टूबर 1990 तक, बर्नर्स-ली ने तीन फंडामेंटल टेक्नोलॉजी की ईज़ाद की. जो वेब की फाउंडेशन बन गईं. पहले वेबपेज एडिटर/ब्राउज़र (WorldWideWeb.app) को इस तरह बयां किया गया है:

HTML: हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज (HyperText Markup Language), वेब की मार्कअप या फ़ॉर्मेटिंग लैंग्वेज

URI या URL: यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स आइडेंटिफ़ायर या लोकेटर (Uniform Resource Identifier or Locator), वेब पर प्रत्येक रिसॉर्स की पहचान करने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक यूनिक एड्रेस

HTTP: हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (HyperText Transfer Protocol), जो पूरे वेब से लिंक किए गए रिसॉर्सेज को एक्सेस करता है

1990 के दशक के मध्य तक, नेटस्केप नेविगेटर (Netscape Navigator) जैसे वेब ब्राउज़र की शुरूआत ने Web 1.0 के युग की शुरुआत की. यह सर्वर (वह सिस्टम जहां अलग-अलग कंप्यूटर्स का डाटा स्टोर होता है) से एक्सेस किए जाने वाले स्टेटिक वेबपेजेज का युग था. उस समय के अधिकांश इंटरनेट यूजर ईमेल और रीयल-टाइम न्यूज़ को एक्सेस करने जैसे फीचर्स से बेहद खुश थे. कंटेंट क्रिएशन अभी भी अपने शुरुआती दौर में था. यूजर्स के पास इंटरैक्टिव ऐप्लीकेशंस के लिए बहुत कम अवसर थे. हालांकि इसमें सुधार हुआ क्योंकि ऑनलाइन बैंकिंग और ट्रेडिंग ने तेजी से तूल पकड़ा. ये सब Web 1.0 में था.

Web 2.0

Web 2.0 इंटरनेट का उपयोग करने के तरीके में आए बड़े बदलाव को बताता है. पिछले 15 से 20 वर्षों में, Web 1.0 के स्टेटिक वेबपेजेज Web 2.0 की इंटरैक्टिविटी, सोशल कनेक्टिविटी और यूजर-जनरेटेड कंटेंट ने को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है. Web 2.0 यूजर-जनरेटेड कंटेंट को दुनिया भर के लाखों लोगों द्वारा एक पल में देखना संभव बनाता है. इस कारण हाल के वर्षों में इस तरह के कंटेंट में बूम आया है.

Web 2.0 में आई तेजी ने मोबाइल इंटरनेट एक्सेस और सोशल नेटवर्क जैसे इनोवेशंस के साथ-साथ iPhone और Android जैसे पावरफुल मोबाइल डिवाइसेज को भी तवज्जोह दिलाई है. इस शताब्दी के दूसरे दशक में, इन डेवलपमेंट्स ने उन ऐप्स के प्रभुत्व को सक्षम किया, जिन्होंने ऑनलाइन इंटरैक्टिविटी और यूटिलिटी का विस्तार किया. उदाहरण के तौर पर Airbnb, Facebook, Instagram, TikTok, Twitter, Uber, WhatsApp और YouTube आदि कुछ चर्चित नाम हैं.

इन प्रमुख प्लेटफार्म्स के रेवेन्यू में आए तगड़े उछाल ने Web 2.0-केंद्रित इन कंपनियों को मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों की फेहरिस्त में शुमार कर दिया है. ये नामचीन कंपनियां है — Apple, Amazon, Google, Meta (पहले Facebook), और Netflix.

इन ऐप्लीकेशंस ने लाखों लोगों को रोज़गार के अवसर देकर गिग इकॉनमी (gig economy) में हाथ बटाया है. लेकिन Web 2.0 कुछ उद्योगों के लिए इस हद तक विनाशकारी रहा है कि उनमें से कुछ के लिए अस्तित्वगत खतरा है. ये ऐसे सेक्टर हैं जो या तो नए वेब-केंद्रित बिजनेस मॉडल के अनुकूल होने में विफल रहे हैं या ऐसा करने में धीमे रहे हैं. ये सेक्टर हैं — रिटेल, एंटरटेनमेंट, मीडिया, और एडवर्टाइजिंग. इन सेक्टर्स को गहरा झटका लगा है.

इस युग का सबसे महत्वपूर्ण साल रहा है 2004. इस साल ने दुनिया की काया पलट दी. इस साल में दो उल्लेखनीय विकास हुए जिन्होंने Web 2.0 के विकास और इसे अपनाने में तेजी लाई. Google ने इसी साल IPO लॉन्च किया. और फेसबुक (अब मेटा) का जन्म भी इसी साल में हुआ. ये सब Web 2.0 की देन है.

Web 3.0 - इंटरनेट का कलयुग

Web 3.0 इंटरनेट की ग्रोथ की अगली स्टेप के लिए जिम्मेदार है. क्रिप्टो, ब्लॉकचेन, मेटावर्स और NFT इसी की देन है. Web 3.0 डिसेंट्रलाइजेशन (Decentralization), खुलेपन और ज्यादा बड़े यूजर यूटिलिटी कॉन्सेप्ट्स पर बनाया गया है.

Web3 का उद्देश्य यूजर्स को अपने डेटा पर ज्यादा कंट्रोल देना है.

बर्नर्स-ली ने 1990 के दशक में इनमें से कुछ प्रमुख कॉन्सेप्ट्स की व्याख्या की थी, जैसा कि नीचे बताया गया है:

Decentralization: वेब पर कुछ भी पोस्ट करने के लिए सेंट्रल अथॉरिटी से किसी तरह की परमिशन की जरुरत नहीं है. कोई सेंट्रल कंट्रोल नोड नहीं है. इसका सीधा मतलब यह है कि अंधाधुंध सेंसरशिप और मॉनिटरिंग से आज़ादी है.

Bottom-up design: एक्सपर्ट्स के एक छोटे ग्रुप द्वारा कोड लिखे और कंट्रोल किए जाने के बजाय, इसे ज्यादा पार्टनर्स और एक्सपेरिमेंट को बढ़ावा देते हुए, सभी के पूर्ण दृष्टिकोण में विकसित किया गया था.

Web 3.0 2001 में बर्नर्स-ली द्वारा संकल्पित सिमेंटिक वेब की मूल अवधारणा से काफी आगे निकल गया है. यह आंशिक रूप से इसलिए है क्योंकि मानव भाषा को उसकी सभी सूक्ष्म बारीकियों और विविधताओं के साथ-एक प्रारूप में परिवर्तित करना बहुत महंगा और स्मारकीय रूप से कठिन है. कंप्यूटर द्वारा आसानी से समझा जा सकता है, और क्योंकि पिछले दो दशकों में Web 2.0 पहले ही काफी विकसित हो चुका है.

"Web3" शब्द की ईज़ाद 2014 में Ethereum के को-फाउंडर गेविन वुड (Gavin Wood) ने की थी. लेकिन पिछले साल इस शब्द ने तब सुर्खियां बटौरी जब Twitter और Discord कम्यूनिटी में इसको लेकर हलचल मची.

इस ऑनलाइन चर्चा ने Web3-केंद्रित निवेश के लिए नए रास्ते की शुरुआत की है. Web3 प्रोजेक्ट्स को पूरा करने वाली कंपनियों ने Softbank Vision Fund 2 और Microsoft से फंडिंग जुटाई है. Facebook में शुरुआती निवेशक a16z ने भी Web3 सीड इन्वेस्टमेंट के लिए 1 बिलियन डॉलर जुटाने का वादा किया था.

सबसे बड़ी बात ये है कि Web3 की दुनिया में, इन्फॉर्मेशन को वर्चुअल डिजिटल वॉलेट में स्टोर किया जाता है. इन्फॉर्मेशन डेटा सेंटर में स्टोर नहीं की जाती. यूजर इन वॉलेट का उपयोग Web3 ऐप्लीकेशन से जुड़ने के लिए करते हैं, जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलती हैं. जब कोई यूजर किसी एप्लिकेशन से डिस्कनेक्ट करना चाहता है, तो वे बस लॉग ऑफ करते हैं. अपने वॉलेट को डिस्कनेक्ट करते हैं और अपना डेटा अपने साथ ले जाते हैं.

हालांकि Web3 अभी अपने शुरुआती दौर में है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य क्या रुख लेता है... उम्मीद टेक्नोलॉजी के सदुपयोग की है. उम्मीद इंसानियत के लिए भलाई की है... क्यूंकि उम्मीद पर दुनिया कायम है.