देश का गर्व! हैदराबाद की इस दृष्टिबाधित महिला ने सबसे कम उम्र में PhD कर रच डाला इतिहास
शारीरिक अक्षमता वाले लोगों को हर रोज़ अपने बुद्धिमान और क्षमताओं के खिलाफ जबरदस्त पूर्वाग्रह से जूझना पड़ता है। लोगों से मिलती आलोचनाओं और फब्तियों के बावजूद कई लोग अपने-अपने क्षेत्र में प्रतिभा के रूप में उभरे हैं।
ज्योत्सना फनीजा - ये नाम आज देशभर में गर्व से लिया जा रहा है, क्योंकि इस दृष्टिबाधित होनहार महिला ने अपने हौंसले, साहस, जुनून का अदम्य परिचय देकर सबसे कम उम्र (25 साल) में PhD की मानद उपाधि हासिल कर इतिहास रच दिया है।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार,
‘‘हैदराबाद की एक नेत्रहीन महिला, ज्योत्सना फनीजा, एक भारतीय विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में पीएचडी पूरी करने वाली 25 साल की सबसे कम उम्र की व्यक्ति बन जाती हैं।’’
आपको बता दें कि ज्योत्सना फनीजा जन्म से ही 100% दृष्टिहीन है बावजूद इसके, उन्होंने अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (EFLU), हैदराबाद से डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की है। अगर उन्हें आप प्रेरक नहीं है कहेंगे तो फिर क्या कहेंगे?
10वीं कक्षा तक, उन्होंने एक नेत्रहीन स्कूल में पढ़ाई की। बाद में, एक जूनियर कॉलेज के प्रिंसिपल ने इतिहास, अर्थशास्त्र और नागरिक शास्त्र विषयों में अपने कॉलेज में प्रवेश देने से इनकार कर दिया। इस बात से ज्योत्सना को गहरा आघात लगा। तब उन्होंने इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया और “गैर-विकलांग” लोगों को दिखाने के लिए कि विकलांग (दिव्यांग) लोग क्या करने में सक्षम हैं।
इसके बाद उनके जीवन में जो आया वह शैक्षणिक उपलब्धियों की एक श्रृंखला थी। स्वर्ण पदक, छात्रवृत्ति, और बेहद अच्छे अंकों ने उन्हें औपनिवेशिक महिला लेखकों पर पीएचडी की मानद उपाधि दिलाई।
साल 2011 में ज्योत्सना ने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा पास की, पुस्तकों और पत्रिकाओं में दस शोध लेख प्रकाशित किए, राष्ट्रीय सेमिनार और सम्मेलनों में छह पत्र प्रस्तुत किए। वहीं उन्होंने साक्षात्कारों में अपमानित होने का भी अनुभव किया।
"आप कैसे सिखाते हैं?", "आप कक्षा को कैसे नियंत्रित करते हैं?", "आप उपस्थिति कैसे लेते हैं?" आदि कुछ सवाल थे जो उनसे पूछे गए थे। इस तरह के अपमान के बावजूद, वह साक्षात्कार के लिए दिखाई देती रही और आखिरकार, ARSD कॉलेज, (दिल्ली विश्वविद्यालय) में अंग्रेजी के सहायक प्रोफेसर के पद के लिए चुनी गई।
ज्योत्सना वर्तमान में पोस्ट-ग्रेजुएट और अंडर-ग्रेजुएट छात्रों को अंग्रेजी साहित्य और भाषा सिखाती हैं।
आज ज्योत्सना हर किसी के लिए एक उदाहरण है जो शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की बुद्धिमत्ता और क्षमताओं पर संदेह करता है!