क्या हैं ग्रीन जॉब्स जिनकी बात पीएम मोदी कर रहे हैं? 30 लाख ग्रीन नौकरियाँ हो सकती है अगले दस साल में
आने वाले दशक में सुरक्षित पर्यावरण और टिकाऊ विकास का एक बड़ा कारक ग्रीन-जॉब्स हो सकते हैं.
इस साल के पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंडिया की क्लाइमेट चेंज के प्रति प्रतिबद्धता बताते हुए ग्रीन जॉब्स की बात की. ग्रीन जॉब्स ग्रीन इकॉनमी के प्रति बढ़ा हुआ एक कदम है जो जो ऐसे रास्ते तलाशता है जिससे ग्रीनहॉउस गैस (प्रमुखतः कार्बन डायऑक्साइड) का इमिशन कम से कमतर हो सके.
इंडिया और ग्रीन जॉब्स
मिनिस्ट्री ऑफ़ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (MNRE) ने अक्टूबर, 2015 में स्किल काउन्सिल फॉर ग्रीन जॉब्स लांच किया था जिसके तहत इंडिया में ग्रीन बिजनेस को बढ़ावा देना और ग्रीन जॉब्स के अनुकूल स्किल डेवेलप करना शामिल था. इसके साथ-साथ पर्यावरण को लेकर जागरूकता के लिए काम करना और उसके लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम्स चलाना भी शामिल था.
दुनिया और ग्रीन जॉब्स
यूनाइटेड किंगडम के पास साल 2030 तक लगभग 694,000 ग्रीन जॉब्स होने की उम्मीद है. सिंगापुर 2030 तक कार्बन-न्यूट्रल आइलैंड बनने की घोषणा कर चूका है जो कि सस्टेनबल इकॉनमी के बिना संभव नहीं है. सिंगापुर अपने एजुकेशन, नेशनल डेवलपमेंट, सस्टेनबिलिटी और पर्यावरण, ट्रेड एंड इंडस्ट्री और ट्रांसपोर्ट—इन सारे सेक्टर्स को “ग्रीन प्लान 2030” के मानकों को ध्यान में रखकर बदल रहा है.
क्या है ग्रीन जॉब्स
ग्रीन जॉब्स वो जॉब्स हैं जो हमारे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं. उन कंपनियों के जॉब्स जो ये देखती है कि उनके काम-काज से पर्यावरण पर खराब असर तो नहीं पड़ रहा या नकारात्मक प्रभाव कैसे कम से कम किया जा सके. Indeed, जो जॉब अप्लाई करने की एक बहुत बड़ी साइट है, के मुताबिक सस्टेनबिलीटी सेक्टर के जॉब्स, जैसे एनवायरनमेंट इंजीनियर, सस्टेनबिलिटी कनसल्टेन्ट, सस्टेनबिलिटी इंजीनियर की डिमांड ज्यादा हैं और उसमें अवसर, और रोज़गार भी ज़्यादा है. जिनके पास पर्यावरण के पढाई से जुडी डिग्री हैं या काम का अनुभव है उन लोगों की डिमांड, Indeed के मुताबिक, कंपनियों में पहले की अपेक्षा ज्यादा है.
भारत में ग्रीन जॉब्स का भविष्य
इंडिया की सस्टेनबिलिटी जॉब मार्किट ग्रोथ दक्षिण-पूर्व देशों के मुकाबले ज्यादा है हालाँकि सिंगापुर, हांगकांग जैसे देशों से कम है जहाँ 2019 के बाद से इस सेक्टर में ज़बरदस्त ग्रोथ देखी गयी है.
कोविड महामारी कंपनियों द्वारा पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियो को समझने की एक बड़ी वजह बनी. ग्रीन जॉब्स साल 2019-2020 की तुलना में साल 2020-2021 में सात गुणा जयादा बढे हैं. ग्रीन जॉब्स में बूम बनी रहेगी, ऐसा Indeed का प्रेडिक्शन है.
ILO के मुताबिक अगर इंडिया ने ग्रीन इकॉनमी को गंभीरता से लिया तो अगले एक दशक में रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में 30 लाख जॉब्स बनने की सम्भावना दिखती है. हाल में प्रकाशित एनवायरनमेंट परफॉरमेंस इंडेक्स-2022 (EPI-2022) में 180 देशों में भारत का स्थान सबसे नीचे है. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा तय सस्टेनबिलिटी गोल्स (Sustainable Development Goals) को पूरा करने के लिए भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए ग्रीन जॉब्स सुनहरा अवसर साबित हो सकती है क्यूँकि ग्रीन इकॉनमी के सेक्टर्स पर ध्यान देते हुए कुशल श्रमशक्ति का उपयोग लेना पर्यावरण-सुरक्षा में एक कारगर कदम साबित हो सकता है.