क्या है पोस्ट ऑफिस की NSC, अच्छे ब्याज के साथ टैक्स सेविंग में कैसे करती है मदद
कोई भी भारतीय नागरिक किसी भी डाकघर से नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट ले सकता है.
सुरक्षित निवेश विकल्पों में से एक है डाकघर की NSC यानी नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट. नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (National Savings Certificate) भारत सरकार की एक पहल है. यह एक फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट स्कीम है. NSC में मिनिमम 1000 रुपये से निवेश शुरू किया जा सकता है. निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं है.
इसे पासबुक के रूप में जारी किया जाता है. नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट का मौजूदा इश्यू, VIII इश्यू है. स्कीम के तहत कितने ही अकाउंट खोले जा सकते हैं. आइए जानते हैं NSC के बाकी फीचर्स के बारे में...
ब्याज दर 6.8% सालाना
कोई भी भारतीय नागरिक किसी भी डाकघर (Post Office) से नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट ले सकता है. NSC को सिंगल या ज्वॉइंट में, 10 साल से अधिक उम्र के नाबालिग द्वारा, नाबालिग के नाम पर वयस्क द्वारा, दिमागी रूप से कमजोर व्यक्ति के नाम पर उसके अभिभावक द्वारा खरीदा जा सकता है. डाकघर NSC का मैच्योरिटी पीरियड 5 साल और मौजूदा ब्याज दर 6.8% सालाना है. NSC पर ब्याज की कंपाउंडिंग सालाना आधार पर होती है लेकिन ब्याज का पैसा मैच्योरिटी पर ही मिलता है.
NSC में ये लोग नहीं कर सकते निवेश
- हिंदू अनडिवाइडेड फैमिलीज (HUFs)
- ट्रस्ट्स
- प्राइवेट व पब्लिक लिमिटेड कंपनियां
- अनिवासी भारतीय
टैक्स छूट व अन्य फीचर्स
- NSC केवल डाकघर से मिलती है.
- निवेश किए गए पैसे पर आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है.
- NSC को, जारी होने से लेकर मैच्योरिटी डेट के बीच एक बार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर कर सकते हैं.
- NSC ट्रांसफर करते वक्त पुराने सर्टिफिकेट डिस्चार्ज नहीं होते हैं, बल्कि उसी सर्टिफिकेट पर और परचेज एप्लीकेशन (नॉन CBS पोस्ट ऑफिस के मामले में) पर नए धारक का नाम लिख दिया जाता है. इस दौरान अधिकृत पोस्टमास्टर के उस दिन की तारीख के साथ हस्ताक्षर होते हैं, उसकी मुहर लगती है और पोस्ट ऑफिस की दिनांक मुहर लगाई जाती है.
NSC को कब दूसरे व्यक्ति के नाम पर कर सकते हैं ट्रांसफर
(i) खाताधारक की मृत्यु पर नॉमिनी/कानूनी उत्तराधिकारी के नाम पर
(ii) खाताधारक की मृत्यु पर संयुक्त धारक/धारकों के नाम पर
(ii) न्यायालय द्वारा आदेश पर
(iii) निर्दिष्ट प्राधिकारी को खाते गिरवी/बंधक रखने पर
- NSC को सिक्योरिटी के तौर पर इन अधिकारियों को गिरवी भी रखा जा सकता है-
- भारत के राष्ट्रपति/राज्य के राज्यपाल
- RBI/अनुसूचित बैंक/सहकारी समिति/सहकारी बैंक
- निगम (सार्वजनिक/निजी)/ सरकारी कंपनी/स्थानीय प्राधिकरण
- हाउसिंग फाइनेंस कंपनी
कब कर सकते हैं प्रीमैच्योर क्लोजर
वैसे तो NSC (राष्ट्रीय बचत पत्र) को 5 साल का मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने से पहले भुनाने की अनुमति नहीं है लेकिन एकल खाता धारक की मौत होने, संयुक्त खाते के मामले में एकल या सभी खाताधारकों की मृत्यु पर पर ऐसा कर सकते हैं. इसके अलावा राजपत्रित अधिकारी द्वारा जब्ती, न्यायालय द्वारा आदेश देने पर भी NSC के प्रीमैच्योर इनकैशमेंट की अनुमति है.