जब Operation Flood के जरिए वर्गिस कुरियन ने बहाईं दूध की नदियां, जानिए कैसे काम करता है AMUL मॉडल
श्वेत क्रांति या ऑपरेशन फ्लड आजादी के 75 सालों की यादों में एक अहम जगह रखता है. इसके चलते भारत सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बना. यह सब मुमकिन हुआ अमूल मॉडल से. जानिए ये मॉडल कैसे काम करता है.
देश अभी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. 15 अगस्त 2022 को देश की आजादी की 75वीं वर्षगाठ है. इन 75 सालों में देश में बहुत कुछ बदला है. कई ऐसे भी काम हुए हैं, जिन्होंने देश को नुकसान पहुंचाया है, जैसे युद्ध. लेकिन ऐसे कामों की भी कोई कमी नहीं है, जिनसे देश तरक्की की सीढ़ियां चढ़ा है. ऐसा ही एक काम है श्वेत क्रांति (White Revolution In India), जिसे ऑपरेशन फ्लड (Operation Flood) के नाम से भी जाना जाता है. श्वेत क्रांति के जनक थे वर्गिस कुरियन (Verghese Kurien), जिन्होंने दूध की कमी से जूझने वाले देश के लिए ऐसा मॉडल बनाया कि देश में मानो दूध की बाढ़ सी आ गई. यही वजह है कि इसे ऑपरेशन फ्लड कहा जाता है.
वर्गिस कुरियन ने बनाया AMUL और शुरू हो गई एक कहानी...
भारत में श्वेत क्रांति की शुरुआत तो 1970 में हुई, लेकिन इसकी जमीन 1949 से ही तैयार होने लगी थी. 1949 में ही कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (KDCMPUL) की स्थापना हुई. वर्गिस कुरियन के नेतृत्व में यह को-ऑपरेटिव दिन दूनी, रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ने लगी. कुछ ही समय में यह को-ऑपरेटिव गांव-गांव में खुलने लगी और दूध इतना ज्यादा हो गया कि मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की योजना बनाई गई. वर्गिस कुरियन इस को-ऑपरेटिव को कोई आसान नाम देना चाहते थे और उन्हें सुझाव मिला अमूल्य (अनमोल) का. उन्होंने बाद में AMUL (Anand Milk Union Limited) नाम चुना जो आज भी बहुत फेमस है. अमूल की सफलता से खुश होकर उस वक्त के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अमूल मॉडल को अन्य जगहों पर फैलाने के लिए राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (एनडीडीबी) बनाया.
1970 में शुरू हुआ ऑपरेशन फ्लड
वर्गिस कुरियन की अध्यक्षता में 13 जनवरी 1970 में एनडीडीबी के द्वारा ऑपरेशन फ्लड की शुरुआत की गई. अमूल मॉडल को पूरे देश में लागू किया जाना शुरू किया गया. ऑपरेशन फ्लड के चलते घर-घर में अमूल लोकप्रिय होने लगा, जिससे डेयरी उद्योग से जुड़े किसानों को खूब फायदा हुआ. देखते ही देखते कभी दूध की कमी से जूझने वाले देश में दूध की नदियां बहने लगीं. भारत में इतना दूध उत्पादन होने लगा कि हम दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देश बन गए.
पद्म विभूषण थे वर्गिस कुरियन
वर्गिस कुरियन का जन्म 26 नवंबर 1921 को केरल के कोझिकोड में हुआ था. उन्हीं के नाम पर उनके जन्मदिन पर ही नेशनल मिल्क डे मनाया जाता है. 9 सितंबर 2012 को वर्गिस कुरियन की मौत हो गई थी. समाज में कुरियन के योगदान के लिए उन्हें पद्म विभूषण का सम्मान भी मिल चुका है.
आखिर क्या है वर्गिस कुरियन का अमूल मॉडल?
अमूल मॉडल के तहत दूध को इकट्ठा करने और फिर उसे बेचने के लिए एक पूरा जाल बनाया गया. सबसे पहले किसानों से दूध को जमा करने के लिए गांव-गांव में या कुछ गांवों के बीच-बीच में दूध लेने वाले केंद्र बनाए. इसके बाद इन सभी केंद्रों से दूध जमा करने के लिए शहरी स्तर पर केंद्र बने. तमाम शहरों से दूध को जिले लेवल पर जमा करने की तैयारी की गई और फिर इसी तरह राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर दूध जमा करने की योजना बनाई गई. इस तरह देखा जाए तो अमूल मॉडल में सिर्फ दूध के कलेक्शन के एक मॉडल के जरिए व्यवस्थित किया गया और क्रांति आ गई. इससे कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़ा और साथ ही कृषि पर दबाव भी कम हुआ.
अभी भी क्या हैं खामियां, जिन पर काम होना चाहिए
श्वेत क्रांति की बहुत सारी अच्छी बातें हैं तो इसकी कुछ खामियां भी हैं. पहली कमी तो यही है कि इसके जरिए प्रति गाय या भैंस दुग्ध उत्पादन में कोई इजाफा नहीं किया जा सका. ना ही गायों की ऐसी नस्लें विकसित करने पर काम किया गया, जो अधिक दूध दे सकें. अमूल मॉडल सिर्फ इसलिए सफल हुआ, क्योंकि उसने दूध जमा करने को लेकर एक मॉडल बनाया, ना कि दूध का प्रोडक्शन बढ़ाने के तरीकों पर काम किया. इस क्रांति की एक बड़ी खामी ये भी रही कि इसके तहत उच्च गुणवत्ता वाले पशु आहार विकसित करने पर कोई काम नहीं किया गया. आज भी भारत में पशु आहार पर कोई खास काम नहीं हो रहा है, जिससे पशुओं की दुग्ध क्षमता को बढ़ाया जा सके. अच्छे पशु आहार से पशुओं का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है और दूध भी बढ़ता है. इतना ही नहीं, इस क्रांति से बड़े किसानों को अधिक फायदा हुआ, छोटे किसानों को इससे बहुत ही कम फायदा मिला.
जाते-जाते कुरियन के बारे में एक दिलचस्प बात भी जान लीजिए
वर्गिस कुरियन ने भले ही श्वेत क्रांत लाई और दूध की नदियां बहा दीं, भले ही उन्हें 'मिल्कमैन ऑफ इंडिया' कहा जाता है, लेकिन दिलचस्प बात है कि वह खुद दूध नहीं पीते थे. वह साफ कहते थे कि उन्हें दूध अच्छा नहीं लगता है, इसलिए वह दूध नहीं पीते हैं.