क्या है PM PRANAM स्कीम? केमिकल फर्टिलाइजर का इस्तेमाल कम करने के लिए सरकार ने की तैयारी
इस प्रस्तावित योजना से सरकार को केमिकल फर्टिलाइजर्स पर सब्सिडी का बोझ कम करने में मदद मिलेगी. साल 2022-23 में केमिकल फर्टिलाइजर्स पर सब्सिडी पिछले साल के 1.62 लाख करोड़ रुपये से 39 प्रतिशत बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है.
खेतों में केमिकल फर्टिलाइजर के इस्तेमाल को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने पीएम प्रमोशन ऑफ अल्टरनेट न्यूट्रिएंट्स फॉर एग्रीकल्चर मैनेजमेंट योजना (PM PRANAM) लॉन्च करने की तैयारी की है, जिसमें राज्यों को प्रोत्साहन दिया जाएगा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रस्तावित योजना से सरकार को केमिकल फर्टिलाइजर्स पर सब्सिडी का बोझ कम करने में मदद मिलेगी. साल 2022-23 में केमिकल फर्टिलाइजर्स पर सब्सिडी पिछले साल के 1.62 लाख करोड़ रुपये से 39 प्रतिशत बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है.
क्या है PM PRANAM स्कीम?
पिछले पांच सालों में फर्टिलाइजर्स के उपयोग में बेतहाशा बढ़ोतरी को देखते हुए सरकार पीएम प्रणाम स्कीम शुरू करने की योजना बना रही है. हालांकि, पीएम प्रणाम योजना के लिए अलग से कोई बजट नहीं होगा. इसे विभिन्न योजनाओं के तहत उर्वरक विभाग द्वारा प्रदान की जाने वाली मौजूदा उर्वरक सब्सिडी की बचत से फंड किया जाएगा.
इसके तहत सब्सिडी बचत की 50 फीसदी राशि पैसा बचाने वाले राज्य को अनुदान के रूप में दी जाएगी. वहीं, योजना के तहत दिए गए अनुदान का 70 फीसदी हिस्सा राज्य को जिला, ब्लॉक और ग्रामीण स्तर पर वैकल्पिक फर्टिलाइजर्स और वैकल्पिक फर्टिलाइजर्स प्रोडक्शन यूनिट्स में टेक्नोलॉजी अपनाने और बढ़ावा देने के लिए खर्च करना होगा.
राज्य शेष 30 फीसदी का उपयोग जागरूकता पैदा करने और उर्वरक के उपयोग को कम करने में मदद करने वाले किसानों, पंचायतों, किसान उत्पादक संगठनों और स्वयं सहायता समूहों को पुरस्कृत और प्रोत्साहित करने के लिए कर सकते हैं. सरकार राज्य में एक साल में रासायनिक खाद के इस्तेमाल में हुई बढ़ोतरी या कमी की तुलना पिछले तीन साल में उसकी औसत खपत से करेगी. डेटा की तुलना करने के लिए सरकार उर्वरक मंत्रालय के डैशबोर्ड iFMS का उपयोग करेगी.
क्यों है आवश्यकता?
रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने 5 अगस्त को लोकसभा को बताया था कि पिछले पांच सालों में चार उर्वरकों - यूरिया, एमओपी (पोटाश का म्यूरेट), डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) और एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम) की आवश्यकता 2017-18 में 528.86 लाख मीट्रिक टन से 21 प्रतिशत बढ़कर 2021-22 में 640.27 लाख मीट्रिक टन (LMT) हो गई है.
डीएपी ने 2017-18 में 98.77 एलएमटी से 2021-22 में 123.9 एलएमटी तक अधिकतम 25.44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी. भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला रासायनिक उर्वरक यूरिया है, जिसने 2017-18 में 298 एलएमटी से 19.64 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जो 2021-22 में 356.53 हो गई.
सरकार उर्वरकों या वैकल्पिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पीएम प्रणाम योजना शुरू करने की योजना बना रही है. सरकार उर्वरकों की वैश्विक कीमतों में वृद्धि के कारण बढ़ी कीमतों से किसानों को बचाने के लिए सब्सिडी प्रदान करती है. मई में वित्त मंत्रालय ने इस साल 1.10 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त उर्वरक सब्सिडी की घोषणा की है.
आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, सरकार ने केंद्रीय बजट 2021-22 में उर्वरक सब्सिडी के रूप में 79,530 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो संशोधित अनुमान (आरई) में बढ़कर 1.40 लाख करोड़ रुपये हो गए हैं. 2021-22 में अंतिम आंकड़ा 1.62 लाख करोड़ रुपये को छू गया.
2022-23 में सरकार ने 1.05 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा है. हालांकि, उर्वरक मंत्री ने कहा है कि साल के दौरान सब्सिडी का आंकड़ा 2.25 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है
स्कीम की मौजूदा स्थिति क्या है?
रिपोर्ट के अनुसार, रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने पीएम-प्रणाम योजना के विचार को रखा और इसके शीर्ष अधिकारियों ने 7 सितंबर को रबी अभियान के लिए कृषि पर राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ इस पर चर्चा की.
केंद्र ने राज्यों से प्रस्तावित योजना को लेकर सुझाव की मांग की है. साथ ही मंत्रालय ने प्रस्तावित योजना पर अंतर-मंत्रालयी चर्चा भी शुरू कर दी है. सभी संबंधित विभागों के विचारों को शामिल करने के बाद पीएम प्रणाम योजना के मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा.
Edited by Vishal Jaiswal