छत्तीसगढ़ के दिव्यांग अनिल खजूर के पत्तों से बना रहे राखियां, दंतेवाड़ा के कलेक्टर कर रहे हैं प्रमोट
भारत समेत दुनियाभर में फैली कोरोनावायरस (कोविड-19) महामारी ने लोगों के जीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। ऐसे में लोग अपनी आजीविका को फिर से चलाने के लिये नए अवसर तलाश रहे हैं।
जैसा कि भारत में अब त्योहारों का सीज़न शुरू हो गया है, इस बीच रक्षाबंधन के त्योंहार को देखते हुए छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के रहने वाले अनिल ने अपनी आजीविका के लिये खजूर के पत्तों से राखी बनाने का तरीका अपनाया है।
अनिल ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बताया कि वे खजूर के पत्तों से राखी बना रहे हैं। एक राखी बनाने में उन्हें करीब आधे घंटे का समय लग जाता है। उन्हें बचपन से ही एक कान से सुनाई नहीं देता है और अपने राखी बनाने के हूनर से वे गांव के दूसरें लोगों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने प्रशासन से राखी बेचने के लिये बाज़ार उपलब्ध कराने की मांग की है।
इसके बाद दंतेवाड़ा के कलेक्टर दीपक सोनी ने अनिल की बनाई हुई राखियों को प्रमोट करने का जिम्मा लिया है। इसके लिये वे व्हाट्स एप और अन्य माध्यमों पर मैसेज करके लोगों को जानकारी दे रहे हैं।
एएनआई से बात करते हुए कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया,
दिव्यांग अनिल द्वारा जो राखी बनाई जा रही है उसे जिले में प्रमोट करने के लिए काम किया जा रहा है। हम लोगों को व्हाट्स एप और अन्य माध्यमों पर मैसेज कर जानकारी दे रहे हैं। अभी तक उनका जितना प्रोडक्शन हुआ है वो हम रायपुर भिजवा रहे हैं
अनिल की बनाई इकोफ्रेंडली राखियों की इंटरनेट पर काफी तारीफ हो रही है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र के नाम संबोधन में कही गई बात - मुश्किल समय में चुनौती को अवसर में बदलें, का बेहद सटीक उदाहरण हैं अनिल।