RBI के खजाने में कहां से आते हैं पैसे?
अक्सर जरूरत के वक्त RBI, सरकार को वित्तीय मदद देने के लिए अपने रिजर्व में से पैसे ट्रान्सफर करता है.
अक्सर सुनने में आता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), देश को वित्तीय मोर्चे पर सहायता का इंतजाम करेगा, RBI ने सरकार को करोड़ों रुपये ट्रान्सफर कर दिए... याद तो होगा ही कि RBI बोर्ड ने 31 मार्च 2021 को समाप्त नौ महीने की लेखा अवधि के लिए सरकार को सरप्लस के रूप में 99122 करोड़ रुपये ट्रान्सफर करने को मंजूरी दी थी. अक्सर जरूरत के वक्त RBI (Reserve Bank of India), सरकार को वित्तीय मदद देने के लिए अपने रिजर्व में से पैसे ट्रान्सफर करता है. लेकिन क्या कभी सोचा है कि देश के केंद्रीय बैंक के पास इतना पैसा आता कहां से है. दरअसल RBI की कई गतिविधियां हैं, जिनके माध्यम से उसके पास फंड आता है...
RBI की इनकम के सोर्स
उदाहरण के लिए पीडीओ यानी पब्लिक डेट ऑफिस के जरिए. पीडीओ में सरकारी डेट यानी कर्ज को मैनेज किया जाता है. सरकार जो भी ट्रेजरी बिल्स, बॉन्ड इश्यू करती है, उससे RBI के पास मुनाफे के तौर पर पैसा आता है. इसके अलावा ओपन मार्केट ऑपरेशन भी RBI की इनकम का एक बड़ा सोर्स है. ओपन मार्केट ऑपरेशंस में एक केंद्रीय बैंक, अर्थव्यवस्था में मनी सप्लाई को रेगुलेट करने के लिए खुले बाजार में बॉन्ड खरीदता या बेचता है. इन बॉन्ड्स से प्राप्त ब्याज के अलावा, आरबीआई को बॉन्ड की कीमतों में अनुकूल बदलाव से भी लाभ हो सकता है. विदेशी मुद्रा बाजार में लेनदेन भी बैंक के मुनाफे में योगदान दे सकता है. उदाहरण के लिए, आरबीआई डॉलर को सस्ते में खरीद सकता है और मुनाफे के लिए भविष्य में उन्हें महंगा बेच सकता है. हालांकि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि वाणिज्यिक बैंकों के विपरीत आरबीआई का प्राथमिक उद्देश्य लाभ अर्जित करना नहीं है बल्कि रुपये के मूल्य को संरक्षित करना है. इस प्रकार लाभ और हानि मौद्रिक नीति को आकार देने के लिए इसके नियमित संचालन का एक साइड इफेक्ट मात्र है. RBI बैंकों को CRR पर लो कॉस्ट फंड या जीरो कॉस्ट फंड उपलब्ध कराता है. इनके अलावा भी कई अन्य माध्यम भी हैं, जिनसे RBI को फंड और प्रॉफिट हासिल होता है.
RBI कब करता है इस्तेमाल?
RBI का रिजर्व किसी भी आपातकालीन स्थिति में देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए होता है. केंद्रीय बैंक को अपने रिजर्व और जारी की गई करेंसी के बीच एक उचित अनुपात कायम रखना होता है. करेंसी के फंक्शन को आरबीआई रिजर्व से बल मिलता है ताकि अर्थव्यवस्था में कॉन्फिडेंस बना रहे, ताकि अगर कभी किसी आपातकालीन परिस्थिति में पेमेंट करने की जरूरत पड़े तो यह भरोसा रहे कि देश के पास पर्याप्त फंड मौजूद है. उदाहरण के तौर पर महंगाई बढ़ जाने पर या करेंसी के लुढ़ककर बहुत ही निचले स्तर पर पहुंच जाने पर आरबीआई हस्तक्षेप करता है. हस्तक्षेप यानी आरबीआई अपने रिजर्व का इस्तेमाल करके महंगाई और करेंसी को थामता है. साल 2018 में जब रुपये में लगातार गिरावट आ रही थी तो आरबीआई ने भारतीय करेंसी को थामने के लिए 1700 करोड़ डॉलर का सपोर्ट किया था.
2018 में उछला था RBI रिजर्व की लिमिट का मुद्दा
साल 2018 में RBI रिजर्व को लेकर काफी गर्मागर्मी रही थी. हुआ यूं था कि उस वक्त RBI रिजर्व की लिमिट तय करने का मुद्दा उठा था. सरकार का कहना था कि RBI में रिजर्व की एक लिमिट तय होनी चाहिए और सरप्लस फंड को यूज किया जाना चाहिए. लेकिन मुद्दे पर कोई सहमति न बनने के बाद यह बेनतीजा रहा.