सतत विकास लक्ष्य-4 क्या है? क्वालिटी एजुकेशन सुनिश्चित करने में कैसे करेगा मदद?
SDG के 17 लक्ष्यों में चौथा और बेहद महत्वपूर्ण समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना है.
सतत विकास लक्ष्य (SDG) या ‘2030 एजेंडा’ बेहतर स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन और सबके लिए शांति और समृद्ध जीवन सुनिश्चित करने के लिए सभी से कार्रवाई का आह्वान करता है. वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे एक सार्वभौमिक आह्वान के रूप में अपनाया गया था. 17 सतत विकास लक्ष्य और 169 उद्देश्य सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के अंग हैं.
SDG के 17 लक्ष्यों में चौथा और बेहद महत्वपूर्ण समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना है.
SDG-4 में लक्ष्यों की ओर प्रगति को मापने के लिए 11 संकेतक हैं:
1. 2030 तक सुनिश्चित करना कि सभी लड़कियां और लड़के मुफ़्त, बराबर और उत्तम प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पूरी करें जिससे चौथे लक्ष्य के लिए उपयुक्त और प्रभावकारी परिणाम हासिल हो सकें.
2. सुनिश्चित करना कि सभी लड़कियों और लड़कों को बचपन में ही उत्तम विकास, देखभाल और प्राथमिक पूर्व शिक्षा सुलभ हो जिससे वे प्राथमिक शिक्षा के लिए तैयार हो सकें.
3. 2030 तक सुनिश्चित करना कि सभी महिलाओं और पुरुषों को किफ़ायती और गुणवत्तापूर्ण तकनीकी, व्यावसायिक और स्नातक/स्नातकोत्तर शिक्षा, विश्वविद्यालय सहित बराबरी के आधार पर सुलभ हो.
4. 2030 तक ऐसे युवाओं और वयस्कों की संख्या में काफ़ी हद तक वृद्धि करना जिनके पास रोजगार, अच्छी नौकरी और उद्यमिता के लिए तकनीकी और व्यावसायिक कौशल सहित उपयुक्त कौशल हों.
5. 2030 तक शिक्षा में लड़कियों और लड़कों के बीच विषमता पूरी तरह समाप्त करना और विकलांग व्यक्तियों, मूल निवासियों और संकट की परिस्थितियों में घिरे बच्चों सहित सभी के लिए शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के सभी स्तरों तक समान पहुंच सुनिश्चित करना.
6. 2030 तक सुनिश्चित करना कि सभी युवा और वयस्कों का एक बड़ा अनुपात (पुरुष और महिला सहित) साक्षर हो जाएं और गणना करना सीख लें.
7. 2030 तक सुनिश्चित करना कि सीखने वाले सभी लोग टिकाऊ विकास को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्राप्त कर लें. इसमें अन्य बातों के अलावा टिकाऊ विकास और टिकाऊ जीवन शैली, मानव अधिकारों, लैंगिक समानता, शांति और अहिंसा की संस्कृति को प्रोत्साहन, वैश्विक नागरिकता, सांस्कृतिक विविधता की समझ और टिकाऊ विकास में संस्कृति के योगदान के बारे में शिक्षा प्राप्त करना शामिल है.
8. ऐसी शिक्षण सुविधाओं का निर्माण करना और उन्हें उन्नत करना जो बाल, विकलांगता और लैंगिक संवेदी हों तथा सबके लिए सुरक्षित, अहिंसक, समावेशी और सीखने का असरदार माहौल प्रदान कर सकें.
9. 2030 तक दुनिया भर में विकासशील देशों, ख़ासकर सबसे कम विकसित देशों, लघु द्वीपीय विकासशील देशों और अफ़्रीकी देशों के लिए उपलब्ध छात्रवृत्तियों की संख्या में उल्लेखनीय विस्तार करना, जिससे इन देशों के लोग व्यावसायिक प्रशिक्षण, सूचना एवं संचार तकनीक, तकनीकी, इंजीनियरिंग और वैज्ञानिक कार्यक्रमों में विकसित देशों और अन्य विकासशील देशों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें.
10. 2030 तक योग्य शिक्षकों की आपूर्ति में उल्लेखनीय वृद्धि करना. इसके लिए विकासशील देशों, विशेषकर सबसे कम विकसित देशों और लघु द्वीपीय विकासशील देशों में शिक्षक प्रशिक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जुटाना शामिल है.
सभी देशों ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के माध्यम से 2030 तक सभी के लिए प्राथमिक शिक्षा तक पहुंच प्रदान करने और सभी बच्चों को मुफ्त माध्यमिक विद्यालय शिक्षा पूरी करने के लिए एक राजनीतिक प्रतिबद्धता जताई है। फिर भी दुनिया इन लक्ष्यों को हासिल करने में असफल होने की राह पर है.
यूनेस्को (Unesco) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में आज भी 77 करोड़ से अधिक युवा और वयस्क पढ़ और लिख नहीं सकते हैं. यूरोप और उत्तरी अमेरिका में साक्षरता दर 97-99 प्रतिशत, दक्षिणी अमेरिका लगभग 95 प्रतिशत और पूर्वी एशिया लगभग 90 प्रतिशत है. दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया और उप-सहारा अफ्रीका लगभग 80 प्रतिशत मंडराते हैं, जबकि मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में 70-75 प्रतिशत की दर्ज की गई है.
वहीं, आजादी के 76 सालों में भारत ने साक्षरता दर हासिल करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है. 1947 में महिलाओं और ग्रामीण आबादी की नगण्य भागीदारी के साथ देश की साक्षरता दर केवल 12.7 फीसदी थी. जबकि राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSO) की रिपोर्ट के अनुसार साल 2017-18 में देश की साक्षरता दर बढ़कर 77.7 फीसदी हो गई है.
Edited by Vishal Jaiswal