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रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा! दुनिया के दो-तिहाई हिस्से को संक्रमित कर सकता है कोरोना वायरस

रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा! दुनिया के दो-तिहाई हिस्से को संक्रमित कर सकता है कोरोना वायरस

Thursday March 05, 2020 , 5 min Read

चीन के वुहान शहर से फैला जानलेवा कोरोना वायरस (Coronavirus) लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में भारत में भी इसके कई मामले सामने आए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दुनिया में अब तब इस खतरनाक वायरस के चलते 3000 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।


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फोटो साभार: Shutterstock



चीन में कोरोनो वायरस के मामलों में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। ऐसे में एक वैज्ञानिक का दावा पूरी दुनिया को चौंका सकता है।


दरअसल ब्लूमबर्ग की एक खबर के मुताबिक एक टॉप इन्फेक्शियस-डिजीज साइंटिस्ट ने दावा किया है कि हालात बहुत खराब हो सकते हैं। उनके मुताबिक दुनिया की दो-तिहाई आबादी इसकी जकड़ में आ सकती है।


इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सलाहकार इरा लोंगिनी ने भी इसी तरह की चेतावनी दी है। इरा चीन में वायरस की प्रसारता के अध्ययन पर नजर रखे हुए हैं। उनका अनुमान है कि वर्तमान में लगभग 60,000 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है और ये आंकड़ा बिलियन तक पहुंच सकता है।


ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार जिस तरह से अब दुनिया के बाकी देशों में कोरोना के मरीज पाए जा रहे हैं उससे यही लग रहा है कि ये दुनिया की दो तिहाई आबादी को अपनी चपेट में ले लेगा।


यदि वायरस उस सीमा के आस-पास कहीं भी फैलता है, तो यह चीन के सख्त रोकथाम उपायों की सीमाओं को भी दिखाएगा, जिसमें लाखों लोगों के निवास वाले क्षेत्रों को बंद करना शामिल है। डब्लूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस घेब्रेइसस ने चीन के इन कदमों का श्रेय देते हुए दुनिया को चेताया कि वे जल्द से जल्द इससे निपटने की तैयारी करें। टेड्रोस घेब्रेइसस ने कहा कि जितनी गति से यह कोरोना वायरस फैल रहा है, उसे संभाल पाना मुश्किल हो रहा है।


WHO सलाहकार इरा लोंगिनी ने कहा है कि क्वारंटाइन इस वायरस के फैलने की गति को धीमा कर सकता है, लेकिन याद रहे कि इसका असर शुरू होने से पहले इस वायरस को चीन और दुनिया में जाने का अवसर मिला है।


दरअसल लोंगिनी ने एक डेटा के आधार पर अनुमान लगाया है कि दुनिया का दो-तिहाई हिस्से वायरस की चपेट में आ सकता है। उनके मुताबिक प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति सामान्य रूप से दो से तीन अन्य लोगों को बीमारी पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि रैपिड टेस्ट में कमी और कुछ लोगों में संक्रमण की सापेक्ष सौम्यता भी इसके प्रसार को ट्रैक करना मुश्किल बना देती है।


कैसे फैलने से रोकें

वैज्ञानिक ने दावा किया कि भले ही इस वायरस को रोकने में 50 प्रतिशत तक सफलता मिल जाए मगर इसके संक्रमण को रोकने में अभी तक पूरी तरह से कामयाबी नहीं मिली है। उनका कहना है कि वायरस दुनिया की एक तिहाई आबादी को संक्रमित कर सकता है।


लोंगिनी ने कहा,

"यहां तक कि अगर ट्रांसमिशन को आधे से कम करने का एक तरीका मौजूद भी है, तब भी इसका मतलब यह होगा कि दुनिया का एक तिहाई हिस्सा संक्रमित हो जाएगा।"


यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा में सेंटर फॉर स्टेटिस्टिक्स एंड क्वांटिटेटिव इंफेक्शियस डिसीज की सह-निदेशक लोंगिनी ने जिनेवा में डब्ल्यूएचओ मुख्यालय में एक इंटरव्यू में कहा,

"जब तक इसके फैलने की प्रक्रिया में बदलाव नहीं होती है तब तक, निगरानी और नियंत्रण अच्छी तरह से काम कर सकता है।" साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि आइसोलेटिंग केसेस और क्वारंटाइनिंग कॉन्टैक्ट्स भी इस वायरस को रोक नहीं पाएंगे।"
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फोटो क्रेडिट: thenewyorktimes

वायरस के इस तेजी से फैलने की चेतावनी देने वालों में वे अकेले नहीं हैं। इम्पीरियल कॉलेज लंदन के एक शोधकर्ता नील फर्ग्यूसन ने अनुमान लगाया कि चीन में प्रत्येक दिन 50,000 से अधिक लोग संक्रमित हो सकते हैं। हॉन्गकॉन्ग विश्वविद्यालय के एक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रोफेसर गेब्रियल लिउंग ने भी कहा है कि अगर इसका टेस्ट न हो पाए तो यह दुनिया के करीब दो-तिहाई लोगों को अपनी पकड़ में ले सकता है।


बोस्टन में नॉर्थस्टर्न यूनिवर्सिटी में एक बायोस्टैटिस्टियन एलेसेंड्रो वेस्पिगनी ने कहा कि प्रसार का अनुमान संभावनाओं के एक स्पेक्ट्रम का हिस्सा है जो महामारी की प्रगति के रूप में प्रकट हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ हफ्तों में चीन के बाहर बीमारी कितनी आसानी से फैलती है, वह आंकड़े इस बारे में और अधिक जानकारी प्रदान कर सकते हैं, खासकर अगर इसे नियंत्रित करने के लिए अधिक उपाय किए जाते हैं तो।


ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ डेविड हेमैन ने कहा है कि वायरस किस आकार में और कैसे फैल रहा है इस बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए अधिक डेटा इकट्ठा करने की जरूरत है।


बता दें कि ये वही डॉक्टर हैं उन्होंने 2003 में सार्स (SARS) वायरस से निपटने के लिए डब्ल्यूएचओ के रिस्पॉन्स देखरेख की थी।


वे कहते हैं,

"चीन के बाहर के देशों पर नजर बनाए हुए हैं जो प्रकोप को अच्छी तरह से नियंत्रित करने में सक्षम हैं।"


उन्होंने लोंगिनी और लेउंग के दुनिया के एक तिहाई हिस्से में वायरस फैलने के अनुमानों पर कहा,

"मैं नहीं कह रहा हूं कि वे गलत हूं। मैं कह रहा हूं कि इसके लिए हमें और अधिक जानकारी की जरूरत है जिसके बाद मॉडल को परिष्कृत किया जाएगा।"