क्यों खास है कलवरी क्लास की पांचवीं पनडुब्बी ‘INS वागीर’? नौसेना में हुई शामिल
नौसेना के अनुसार, ‘वागीर’ का अर्थ ‘सैंड शार्क’ है, जो तत्परता एवं निर्भयता के भाव को प्रतिबिंब करती है. नवीनतम पनडुब्बी का नाम तत्कालीन वागीर से लिया गया है. यह एक पनडुब्बी जिसने 1973 और 2001 के बीच नौसेना की सेवा की और कई परिचालन मिशन किए.
कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों की पांचवीं पनडुब्बी ‘आईएनएस वागीर’ को सोमवार को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया, जिससे बल की ताकत और बढ़ेगी.
‘आईएनएस वागीर’ का निर्माण ‘मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल)’ ने फ्रांस के ‘मैसर्स नेवल ग्रुप’ के सहयोग से किया है. नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर. हरि कुमार की उपस्थिति में इसे नौसेना में शामिल किया गया. ‘आईएनएस वागीर’ पिछले 24 महीनों में नौसेना में शामिल की गई चौथी पनडुब्बी है.
‘वागीर’ का मतलब क्या है?
नौसेना के अनुसार, ‘वागीर’ का अर्थ ‘सैंड शार्क’ है, जो तत्परता एवं निर्भयता के भाव को प्रतिबिंब करती है. नवीनतम पनडुब्बी का नाम तत्कालीन वागीर से लिया गया है. यह एक पनडुब्बी जिसने 1973 और 2001 के बीच नौसेना की सेवा की और कई परिचालन मिशन किए. नए वागीर का निर्माण 2009 में शुरू हुआ था और इसने पिछले साल फरवरी में अपनी पहली समुद्री उड़ान भरी.
एडमिरल कुमार ने ‘आईएनएस वागीर’ को दुर्जेय हथियारों से लैस अत्याधुनिक ‘स्टील्थ’ तकनीक वाली ‘‘घातक’’ पनडुब्बी बताते हुए कहा कि इसकी क्षमता व मारक क्षमता न केवल नौसेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि देश की प्रतिरोधक क्षमता में भी इज़ाफा करेगी.
एडमिरल कुमार ने कहा, ‘‘यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है…यह भारत के जहाज निर्माण उद्योग के आने वाले युग और हमारे डिफेंस इकोसिस्टम की परिपक्वता को रेखांकित करती है. जटिल मंचों के निर्माण के लिए यह हमारे शिपयार्ड की विशेषज्ञता व अनुभव का भी एक प्रमाण है.’’
‘मेक इन इंडिया’ पहल की दिशा में मजबूत प्रयास
‘आईएनएस वागीर’ ने फरवरी 2022 से 11 महीने में समुद्री परीक्षण पूरा किया. इसको दिसंबर 2022 में भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया था. भारतीय नौसेना के कौशल में और अधिक वृद्धि करने के अलावा ‘आईएनएस वागीर’ को भारतीय नौसेना में शामिल करना ‘मेक इन इंडिया’ पहल की दिशा में एक बेहद मजबूत एवं दृढ़ प्रयास का उदाहरण है.
खासियत
नौसेना के अनुसार, ‘आईएनएस वागीर’ दुनिया के कुछ बेहतरीन ‘सेंसर’ और हथियारों से लैस है, जिसमें ‘वायर गाइडेड टॉरपीडो’ और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें शामिल हैं, जो दुश्मन के बड़े बेड़े को बेअसर कर सकती हैं.
नौसेना के अनुसार, पनडुब्बी में विशेष अभियानों के लिए समुद्री कमांडो को पानी में उतारने की क्षमता है, जबकि इसके शक्तिशाली डीज़ल इंजन ‘बैटरी’ को बहुत जल्दी चार्ज कर सकते हैं. आत्मरक्षा के लिए इसमें अत्याधुनिक ‘टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम’ लगाया गया है.
‘आईएनएस वागीर’ को शामिल किया जाना क्यों है महत्वपूर्ण
‘आईएनएस वागीर’ को हिंद महासागर में चीनी नौसेना की बढ़ती मौजूदगी के बीच भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है. यह एक ऐसा समय है जब भू-राजनीतिक माहौल की मांग है कि देश अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए उचित प्रतिकिया दे.
भारतीय नौसेना के अनुसार, ‘‘पनडुब्बी दुश्मन को रोकने की भारतीय नौसेना की क्षमता में इज़ाफा करके भारत के समुद्री हितों को आगे बढ़ाएगी. यह संकट के समय में निर्णायक वार करने के लिए खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) अभियान के संचालन में भी मददगार साबित होगी.’’
अप्रैल तक अंतिम कलवरी पनडुब्बी की जाएगी शामिल
कलवरी पनडुब्बियों में से अंतिम ‘वागशिर’ का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है. इसे मार्च-अप्रैल में पहली सतही समुद्री यात्रा शुरू करने के लिए तैयार किया जा रहा है.
Edited by Vishal Jaiswal