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भारतीय राज्यों में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को लेकर बड़ा अंतर क्यों है?

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने का चलन बढ़ रहा है, लेकिन अलग-अलग राज्यों में इसे अपनाने की गति अलग-अलग है. भारतीय राज्यों में ईवी अपनाने में व्यापक अंतर के पीछे कई कारक हैं:

भारतीय राज्यों में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को लेकर बड़ा अंतर क्यों है?

Friday November 24, 2023 , 4 min Read

भारत में बढ़ते प्रदूषण और पेरिस समझौते, जिसका लक्ष्य इस सदी के अंत तक ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना है, ने देश को स्वच्छ ऊर्जा का लक्ष्य निर्धारित करने के लिए बाध्य किया है. भारत 2070 तक नेट जीरो एमिशन अर्थव्यवस्था हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है. भारत सरकार ने 2030 तक देश के 30 प्रतिशत वाहनों का इलेक्ट्रिफिकेशन करने का लक्ष्य भी रखा है. वर्तमान में, भारत बिक्री के मामले में वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है. केंद्र सरकार द्वारा देश में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग को बढ़ावा देने के लिए FAME-2 (वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 5,172 करोड़ रुपये) और अन्य उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) जैसी कई योजनाएं शुरू की गई हैं. भारत में 2022 में 4.75% की तुलना में ईवी अपनाने की दर इस वर्ष 6.41% है.

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने का चलन बढ़ रहा है, लेकिन अलग-अलग राज्यों में इसे अपनाने की गति अलग-अलग है. भारतीय राज्यों में ईवी अपनाने में व्यापक अंतर के पीछे कई कारक हैं:

बुनियादी ढांचे का विकास

चार्जिंग बुनियादी ढांचे वाले राज्यों में ईवी अपनाने की दर अधिक देखी जाती है. रेंज की चिंता को दूर करने और उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रिक वाहनों पर स्विच करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए चार्जिंग स्टेशनों की उपलब्धता महत्वपूर्ण है. कुछ राज्यों ने चार्जिंग बुनियादी ढांचे के निर्माण में दूसरों की तुलना में अधिक निवेश किया है.

सरकारी नीतियां और प्रोत्साहन

भारत में केंद्र और राज्य सरकारें अपनी नीतियों और योजनाओं के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. निर्माताओं और उपभोक्ताओं दोनों के लिए अनुकूल नीतियों, सब्सिडी और प्रोत्साहन वाले राज्यों में अधिक ईवी अपनाने की संभावना अधिक है. दिल्ली, गोवा, पश्चिम बंगाल, उत्तर-प्रदेश, आन्ध्र-प्रदेश और तेलंगाना में राज्य सरकार ने ईवी अपनाने को लेकर अपनी योजनाएं चला रही है.

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सांकेतिक चित्र

आर्थिक कारक

पारंपरिक वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों के कीमत में आंशिक कमी और इसे खरीदने को लेकर किस्तों में भुगतान के विकल्पों की उपलब्धता, इसे अपनाने को प्रभावित कर सकते हैं. उच्च प्रति व्यक्ति आय या बेहतर किस्तों में भुगतान की दर वाले राज्यों में ईवी को तेजी से अपनाया जा रहा है.

भौगोलिक और जनसांख्यिकीय कारक

भौगोलिक और जनसांख्यिकीय कारक, जैसे जनसंख्या घनत्व और शहरीकरण, इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने पर प्रभाव डालते हैं. अधिक जनसंख्या घनत्व वाले शहरी क्षेत्रों में कम आवागमन की दूरी और बेहतर चार्जिंग बुनियादी ढांचे के कारण इसे अधिक अपनाया जा सकता है. इसके उलट, पठारी और पर्वतीय इलाकों में जहाँ चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में काफी कमी है, इसे अपनाये जाने को लेकर संशय है.

उद्योग जगत का व्यापक सहयोग

इलेक्ट्रिक वाहन के विकास के लिए राज्य सरकारों और इनसे जुड़े उद्योग जगत का सहयोग महत्वपूर्ण है. जो राज्य सक्रिय रूप से निर्माताओं के साथ जुड़े हैं और ईवी क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करते हैं, उन राज्यों में इसे अपनाने की दर अधिक होने की संभावना है.

टेक्नोलॉजी सीमाएँ

वर्तमान में ईवी अपनी बैटरी और मोटर प्रणोदन क्षमताओं के कारण विकासशील चरण में हैं. पेट्रोल/डीजल आधारित वाहनों की तुलना में पहाड़ी और बाढ़ वाले कारणों से ईवी वाहनों का नियमित प्रयोग अभी भी एक बड़ी चुनौती है. कई ईवी पहाड़ियों के तीव्र झुकाव के कारण ये नहीं चल पाते हैं और अंततः ग्राहकों को आकर्षित नहीं कर पाते.

चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप की तुलना में भारत अभी भी ईवी के निर्माण और अपनाने के मामले में विकासशील चरण में है, इसका मुख्य कारण इसकी मौजूदा ईवी नीतियों में स्पष्टता की कमी और अंतर है. इसलिए, ईवी पर एक समग्र, उन्नत और समेकित नीति लाना अत्यंत महत्वपूर्ण है.

(लेखक ‘Aponyx Electric Vehicles’ के को-फाउंडर और डायरेक्टर हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं. YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)


Edited by रविकांत पारीक