सिंगापुर की तरफ क्यों भागते हैं स्टार्टअप, जानिए ऐसा क्या है वहां जो भारत के पास नहीं
यूं ही नहीं भारत से तमाम स्टार्टअप सिंगापुर की ओर भागते हैं. सिंगापुर में उन्हें टैक्स से लेकर बिजनस करने में आसानी तक के फायदे मिलते हैं. ऐसा माहौल मिलता है जो भारत में नहीं मिल सकता.
अक्सर आपने देखा होगा कि तमाम स्टार्टअप (Startup) सिंगापुर (Singapore) में रजिस्टर होते हैं और बिजनेस भारत में करते हैं. यहां तक कि फ्लिपकार्ट ने भी 2011 में अपना बेस सिंगापुर शिफ्ट किया था. भारत में ऐसी 8000 से भी अधिक कंपनियां हैं जो सिंगापुर में रजिस्टर हैं और इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है. सवाल ये है कि आखिर ये कंपनियां सिंगापुर में रजिस्टर होती क्यों हैं. कुछ लोग कहते हैं कि टैक्स (Tax) का फायदा लेने के लिए कंपनियां वहां रजिस्टर होती हैं. टैक्स ही नहीं, कई और भी वजहें हैं, जिनकी वजह से कंपनियां सिंगापुर में रजिस्टर होती हैं.
सबसे पहले बात टैक्स की
सिंगापुर में कंपनियों के लिस्ट होने के पीछे की सबसे बड़ी वजह है वहां पर कम टैक्स लगता है. तमाम कंपनियां अपने नेट प्रॉफिट से डिविडेंड देती हैं. यानी उस पर कंपनी पहले ही टैक्स दे चुकी है, लेकिन शेयर होल्डर को फिर से टैक्स चुकाना होता है. सिंगापुर में कंपनी रजिस्टर होने पर उसे डिविडेंड पर टैक्स नहीं चुकाना होता है, यानी उसे डिविडेंड पर टैक्स छूट मिलती है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि सिंगापुर में डबल टैक्सेशन नहीं होता है.
कम कॉरपोरेट टैक्स, कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं
बात अगर टैक्स की करें तो सिंगापुर में कंपनियों पर लगने वाला कॉरपोरेट टैक्स भी बहुत कम है. सिंगापुर में कॉरपोरेट टैक्स 0-17 फीसदी के बीच है, जबकि भारत में यह टैक्स 30-35 फीसदी तक है. इतना ही नहीं, भारत में निवेशकों और बिजनेस करने वालों के लिए कैपिटल गेन टैक्स भी एक बड़ा सिरदर्द है. भारत में यह 10 फीसदी तक लगता है, जबकि सिंगापुर में यह टैक्स नहीं लगता है.
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस है सबसे बड़ी वजह
सिंगापुर में तमाम कंपनियां इसलिए रजिस्टर होती हैं, क्योंकि वहां पर ईड ऑफ डूइंग बिजनस बहुत अच्छा है. वहां बाहर से जो पैसा आता है, वह तेजी से प्रोसेस होता है, जिससे बिजनस को फायदा होता है. इतना ही नहीं, मर्जर और एक्विजिशन के लिए भी सिंगापुर में अच्छा माहौल है, जिससे चीजें बहुत आसान हो जाती हैं. सिंगापुर में बिजनस शुरू करना ही नहीं, उसे बंद करना भी आसान है, जबकि भारत में दोनों में ही बहुत सारी दिक्कतें होती हैं. ईज ऑफ डूइंग बिजनस की 2020 की रैंकिंग में सिंगापुर दूसरे नंबर पर था, जबकि भारत 63वें नंबर पर था.
सिंगापुर ही क्यों, दूसरे देश क्यों नहीं?
एक बड़ा सवाल ये भी है कि आखिर सिंगापुर में ही कंपनी रजिस्टर करवाकर भारत में बिजनस क्यों? दुनिया में ऐसे भी देश हैं, जहां सिंगापुर से कम टैक्स या कई जगह को जीरो टैक्स लगता है. दरअसल, भारत और सिंगापुर के बीच एक ट्रीटी हुई है, जिसके तहत डबल टैक्स नहीं लगता है. अगर कोई टैक्स सिंगापुर में लगा है तो वह भारत में नहीं लगेगा.
दोनों देशों के बीच ट्रीटी होने की वजह से अगर सिंगापुर से कोई पैसा भारत आता है तो उसकी ज्यादा जांच-पड़ताल नहीं होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि सिंगापुर के नियम कायदे काफी सख्त और अच्छे हैं, ऐसे में वहां से आए पैसे पर भारत सरकार यकीन करती है. सरकार को यकीन होता है कि यह कालाधन नहीं है. वहीं अगर दूसरे देशों से पैसा भारत आता है तो एक बार उसकी जांच जरूर होती है. जांच-पड़ताल की प्रक्रिया से काम धीमा होता है, जिससे बिजनस में नुकसान होता है. ऐसे में सिंगापुर बिजनस रजिस्टर करवाने वालों के लिए अच्छा विकल्प है.