शेयर बाजार में 2 महीनों की सबसे बड़ी गिरावट, ये 3 वजहें हैं जिम्मेदार, अमेरिका से है सीधा कनेक्शन
पहले सेंसेक्स 652 अंक गिरा, फिर 872 अंक टूटा और सिलसिला अभी जारी है. शेयर बाजार में गिरावट यूं ही नहीं आ रही है, अमेरिका से इसका सीधा कनेक्शन देखा जा रहा है.
शेयर बाजार (Share Market) में पिछले दो सत्रों में भारी गिरावट देखी गई है. पिछले हफ्ते शुक्रवार को सेंसेक्स (Sensex Fall) में 652 अंकों की गिरावट देखी गई. इससे पहले कई सत्रों से बाजार तेजी से ऊपर की तरफ जा रहा था. गिरावट का सिलसिला इस हफ्ते भी जारी रहा और पहले ही कारोबारी दिन सेंसेक्स 872 अंक गिर गया. बात दें कि यह पिछले दो महीनों में सबसे बड़ी गिरावट कही जा रही है. आज मंगलवार को भी शेयर बाजार खुला तो हरे निशान में था, लेकिन कुछ ही देर की ट्रेडिंग में बाजार लाल निशान (Why Share Market Is Falling) में जा पहुंचा. अब सवाल ये है कि कई दिनों से तेजी दिखा रहा शेयर बाजार आखिर इतनी बुरी तरह क्यों टूटा? सवाल ये भी है कि पिछले दिनों की तेजी कहीं कोई छलावा तो नहीं?
पहले जानिए सेंसेक्स-निफ्टी कहां जा पहुंचे
सोमवार शाम को सेंसेक्स 872.28 अंक लुढ़ककर 58773.87 पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान एक समय यह 941.04 अंक तक टूट गया था. पूरे दिन के कारोबार में सेंसेक्स ने 59402.50 का उच्च स्तर और 58705.11 का निम्न स्तर छुआ था. सोमवार को सेंसेक्स के शेयरों में आईटीसी और नेस्ले इंडिया को छोड़कर बाकी 28 कंपनियों के शेयर लाल निशान में बंद हुए हैं. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 267.75 अंकों की गिरावट के साथ 17490.70 पर बंद हुआ. निफ्टी पर सभी सेक्टोरल इंडेक्स गिरावट के साथ बंद हुए हैं. 2.98 प्रतिशत की सबसे ज्यादा गिरावट निफ्टी मेटल में देखी गई.
किन वजहों से गिर रहा है शेयर बाजार?
शेयर बाजार गिरने की सबसे बड़ी वजह तो अमेरिका ही है. अमेरिका में मंदी (Recession In US) की आहट ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है. यहां तक कि अमेरिका का मुख्य इंडेक्स Nasdaq भी 2 फीसदी गिर चुका है. आइए जानते हैं किन बड़ी वजहों से आ रही है ये गिरावट.
1- विदेशी निवेशक भारत से निकाल रहे पैसे
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक कई दिन के बाद पिछले हफ्ते गुरुवार को शुद्ध बिकवाल रहे. उन्होंने गुरुवार को 1706 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे, जिसका असर अगले दिन शुक्रवार को बाजार पर दिखा. हालांकि, शुक्रवार को एफआईआई ने 1110.90 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे, लेकिन सोमवार को बाजार और ज्यादा गिरा. सोमवार को भी विदेशी निवेशक बिकवाल रहे हैं और करीब 453 करोड़ के शेयर बेचे हैं. डीआईआई ने भी लगभग 85 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. बड़े निवेशकों की तरफ से की जा रही भारी बिकवाली के चलते बाजार गिर रहा है.
2- अमेरिका में मंदी की आहट से दुनिया चिंता में
वो तो आपने सुना ही होगा कि अगर अमेरिका को छींक आती है तो दुनिया को जुकाम हो जाता है. इन दिनों शेयर बाजार के साथ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. अमेरिका में मंदी की आहट है, जिससे पूरी दुनिया चिंता में है. कुछ अर्थशास्त्री को कह चुके हैं कि अमेरिका में मंदी आना तय है. वह कहते हैं कि इस साल या अगले साल तक वहां मंदी जरूर आएगी. वैसे भी अमेरिका में महंगाई पिछले 40 सालों के उच्चतम स्तर पर जा चुकी है, जिससे शेयर बाजार सहमा हुआ है. हालांकि, अच्छी खबर ये है कि भारत में अभी मंदी नहीं आएगी.
3- फेडरल रिजर्व बढ़ा सकता है ब्याज दरें
अमेरिका अभी 1980 के बाद सबसे ज्यादा महंगाई देख रहा है. इसके चलते अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व दो बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है. अभी बेंचमार्क दर 1.5-1.75 फीसदी से बढ़कर 2.25-2.5 फीसदी की रेंज में पहुंच चुकी है. अब हेनरी कॉफमैन के बयान के बाद उम्मीद की जा रही है कि फेडरल रिजर्व फिर से दरें बढ़ा सकता है. इस बार 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है.
कैसे फेडरल रिजर्व की दरों का शेयर बाजार पर पड़ता है असर?
अमेरिका में ब्याज दर कम होती है तो वहां के निवेशक बेहतर कमाई के लिए भारत के शेयर बाजार में पैसे लगाते हैं. इससे शेयर बाजार में तेजी दिखने लगती है. वहीं अगर अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाता है, तो फिर निवेशक भारत से पैसा निकाल कर अमेरिका में लगाने लगते हैं. जब एक निवेशक बेहतर रिटर्न के लिए भारत के बाजार से पैसे निकालता है, तो उससे भारत का शेयर बाजार गिरने लगता है. यही वजह है कि अगर फेडरल रिजर्व अपनी ब्याज दर में कोई बदलाव करता है तो उसका असर भारत के शेयर बाजार में भी देखने को मिलता है.