Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

फेडरल रिजर्व फिर बढ़ा सकता है दरें, जानिए कैसे अमेरिका का एक फैसला भारतीय शेयर बाजार को हिला देता है

यूं ही नहीं फेडरल रिजर्व दरें बदलने की सोचता है तो भारत में निवेशकों के हाथ-पांव फूलने लगते हैं. अमेरिका के एक फैसले से भारत का शेयर बाजार डगमगाने लगता है.

फेडरल रिजर्व फिर बढ़ा सकता है दरें, जानिए कैसे अमेरिका का एक फैसला भारतीय शेयर बाजार को हिला देता है

Friday August 19, 2022 , 3 min Read

कहते हैं अगर अमेरिका को छींक भी आ जाती है तो दुनिया के कई देशों को जुकाम हो जाता है. ऐसा यूं ही नहीं कहा जाता, दलअसल अमेरिका के फैसलों का असर दुनिया पर दिखता है. अगर अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में मामूली सा बदलाव भी करता है, तो उसका सीधा असर भारत के शेयर बाजार पर दिखता है. इसी बीच जाने माने अर्थशास्त्री हेनरी कॉफमैन (Henry Kaufman) ने कहा है कि फेडरल रिजर्व को 40 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी महंगाई से निपटने के लिए दरों में तगड़ी बढ़ोतरी करनी होगी. यानी एक बात तो तय है कि भारतीय शेयर बाजार को एक बार फिर झटका लग सकता है.

पहले जानिए क्या कहा है हेनरी कॉफमैन ने

फाइनेंशियल टाइम्स को हेनरी कॉफमैन ने बताया वह अभी भी इंतजार कर रहे हैं कि फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) कब एक बोल्ड स्टेप लेंगे. वह बोले बोल्ड से उनका मतलब है कि पॉवेल को मार्केट को एक शॉक देने की जरूरत है. वह बोले कि अगर आप किसी का नजरिया बदलना चाहते हैं, अगर आप किसी के एक्शन को बदलना चाहते हैं तो सिर्फ हाथ पर मारने से कुछ नहीं होगा, आपको उसके मुंह पर मारना होगा. 94 साल के कॉफमैन ने ही 1966 के क्रेडिट क्रंच को पहले से ही भाप लिया था.

फेडरल रिजर्व फिर बढ़ा सकता है दरें

अमेरिका अभी 1980 के बाद सबसे ज्यादा महंगाई देख रहा है. इसके चलते यूएस फेड दो बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है. अभी बेंचमार्क दर 1.5-1.75 फीसदी से बढ़कर 2.25-2.5 फीसदी की रेंज में पहुंच चुकी है. अब हेनरी कॉफमैन के बयान के बाद उम्मीद की जा रही है कि फेडरल रिजर्व फिर से दरें बढ़ा सकता है. इस बार 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है.

कैसे फेडरल रिजर्व की दरों का शेयर बाजार पर पड़ता है असर?

अमेरिका में ब्याज दर कम होती है तो वहां के निवेशक बेहतर कमाई के लिए भारत के शेयर बाजार में पैसे लगाते हैं. इससे शेयर बाजार में तेजी दिखने लगती है. वहीं अगर अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाता है, तो फिर निवेशक भारत से पैसा निकाल कर अमेरिका में लगाने लगते हैं. जब एक निवेशक बेहतर रिटर्न के लिए भारत के बाजार से पैसे निकालता है, तो उससे भारत का शेयर बाजार गिरने लगता है. यही वजह है कि अगर फेडरल रिजर्व अपनी ब्याज दर में कोई बदलाव करता है तो उसका असर भारत के शेयर बाजार में भी देखने को मिलता है.

अगर अमेरिकी फेड ब्याज दरें बढ़ाता है तो भारतीय कंपनियों के लिए विदेशी धन की उपलब्धता घटती है. इतना ही नहीं, फेड रिजर्व की ब्याज दरें बढ़ाने का असर आरबीआई पर भी पड़ सकता है. अगर फेडरल रिजर्व दरें बढ़ाता है तो अमेरिका और भारत सरकार के बॉन्ड के बीच का फर्क भी कम हो जाएगा. ऐसे में वैश्विक फंड भारतीय सरकारी प्रतिभूतियों से पैसा निकालने का फैसला भी कर सकते हैं. सारा नहीं तो कुछ हद तक तो निकाल ही सकते हैं. जब ऐसा होता है तो भारतीय बॉन्ड बाजार से FPI की बिकवाली को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को भारत में ब्याज दरें बढ़ानी पड़ती हैं