बाजार खुलते ही 800 अंक तक टूटा सेंसेक्स, निवेशकों के 3 लाख करोड़ स्वाहा, ये 5 वजहें हैं जिम्मेदार
शेयर बाजार में शुरुआती कारोबार के दौरान ही सेंसेक्स में 800 अंकों से भी अधिक की गिरावट देखी गई. चंद मिनटों में ही निवेशकों को करीब 3.11 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. जानिए किन वजहों से आई ये गिरावट.
शेयर बाजारों (Share Market Latest Update) के लिए इस कारोबारी हफ्ते का पहला दिन बेहद खराब साबित हुआ है. एक झटके में सेंसेक्स 767 अंक गिर गया है. सेंसेक्स (Sensex) खुला ही 767 अंकों की भारी गिरावट के साथ. उसके बाद ये गिरावट बढ़ी और चंद मिनटों में 800 अंकों से भी अधिक की गिरावट के साथ सेंसेक्स ने 57,365 रुपये के दिन के निचले स्तर को छू लिया. हालांकि, उसके बाद मामूली रिकवरी देखने को मिली, लेकिन 11 बजे तक भी सेंसेक्स लगातार करीब 700 अंकों की गिरावट के साथ कारोबार करता दिखा. सवाल ये है कि आखिर इतनी बड़ी गिरावट क्यों (Why Share Market Falling) आई?
क्यों आई इतनी बड़ी गिरावट?
सेंसेक्स में एक झटके में इतनी बड़ी गिरावट देखने को मिली कि निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है. इस गिरावट की वजह से निवेशकों के करीब 3 लाख करोड़ रुपये देखते ही देखते स्वाहा हो गए. बीएसई के मार्केट कैप में करीब 3.11 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई, जिसके बाद मार्केट कैप 272.5 लाख करोड़ रुपये रह गई. आइए जानते हैं किन वजहों से ये भारी गिरावट देखने को मिली है.
1- फेडरल रिजर्व ने बढ़ाई दरें: शेयर बाजार में गिरावट की एक बड़ी वजह है हाल ही में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में की गई 75 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी. महंगाई को काबू में करने के लिए अमेरिका के पास ब्याज दरें बढ़ाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है. एक्सपर्ट्स की मानें तो आने वाली दो पॉलिसी मीटिंग में फेडरल रिजर्व 1.25 फीसदी तक की और बढ़ोतरी कर सकता है, क्योंकि अमेरिका में बेरोगजारी का डेटा 3.5 फीसदी रहा है. इस चिंता से निवेशक घबराए हुए हैं.
2- रुपये पर दबाव: फेडरल रिजर्व के फैसले से रुपया दबाव में है. विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर के लगातार मजबूत बने रहने और निवेशकों के बीच जोखिम से दूर रहने की प्रवृत्ति हावी रहने से रुपया 38 पैसे गिरकर 82.62 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है. अगर सिर्फ 2022 की बात करें तो रुपये में अब तक करीब 11 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.
3- यूएस बॉन्ड यील्ड: ब्याज दरें बढ़ाए जाने की वजह से अमेरिका में बॉन्ड यील्ड काफी बढ़ चुका है, जो निवेशकों को अपनी ओर खींच रहा है. 10 साल के यूएस ट्रेजरी नोट्स पर यील्ड अभी 3.90 फीसदी के करीब पहुंच चुकी है. वहीं दो साल के यूएस ट्रेजरी नोट पर ब्याज दर 4.3 फीसदी तक पहुंच गई है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में भी ब्याज दरें बढ़ेंगी. यह भी उम्मीद की जा रही है फेडरल रिजर्व ब्याज दरों को 5 फीसदी तक बढ़ा सकता है. ऐसे में यूएस बॉन्ड यील्ड निवेशकों के लिए आकर्षक होते जा रहे हैं, जिसके चलते विदेशी निवेशक भारत से पैसे निकाल रहे हैं.
4- एफआईआई की बिकवाली: फेडरल रिजर्व की तरफ से दरें बढ़ाने के चलते विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसे निकाल रहे हैं और अमेरिका में निवेश कर रहे हैं. अगस्त के महीने विदेशी निवेशकों ने करीब 51 हजार करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे. वहीं सितंबर के महीने में एफआईआई ने करीब 7600 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए. सिर्फ शुक्रवार को ही एफआईआई ने रुपये में गिरावट को देखते हुए करीब 2251 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं.
5- कच्चे तेल की कीमतें: ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स की कीमत पिछले हफ्ते 11 फीसदी से भी अधिक उछली है. इसकी वजह ये है कि ओपेक देशों ने कच्चे तेल के प्रोडक्शन को कम करने का फैसला किया है, ताकि कीमतों को रेगुलेट किया जा सके. इसकी वजह से कीमतें एक बार फिर से 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब जा पहुंची हैं. सोमवार की सुबह ब्रेंट क्रूड 97 डॉलर प्रति बैरल के लेवल पर ट्रेड कर रहा था.
ये 3 तरह के लोग गलती से भी ना लगाएं म्यूचुअल फंड में पैसे, फायदा होना तो दूर की बात है, उल्टा पछताना पड़ेगा