क्या इस बार कामयाब हो पायेगा प्लास्टिक बैन ?
1 जुलाई 2022 से सिंगल-यूज प्लास्टिक पर सख़्त प्रतिबंध लगने जा रहा है. क्या इस बार हमारी तैयारी है इसे सफल बनाने की?
केंद्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) ने 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर सख्ती से प्रतिबन्ध लगा दिया है. बैन हुई वस्तुओं में प्लास्टिक के इअर-बड्स, झंडे, आइस-क्रीम स्टिक, डेकोरेटिव थर्मोकोल, 100 माइक्रोन से कम के पी वी सी बैनर्स, प्लास्टिक के गिफ्ट-रैपिंग पेपर्स, प्लास्टिक के कप्स, ग्लासेज इत्यादि हैं.
क्या है सिंगल-यूज प्लास्टिक?
यह वो प्लास्टिक हैं जिनका एक बार से ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. इन्हें सिंगल-यूज प्लास्टिक बोलते हैं क्यूंकि ये रिसायकल नहीं किये जा सकते. इन्हें जलाया भी नहीं जा सकता क्योंकि इससे हानिकारक गैसें निकलती हैं. ये प्लास्टिक डीकम्पोज होने में 500 साल का वक़्त लेते हैं. और इसीलिए पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक होते हैं.
किस स्तर तक जा चुका है प्लास्टिक वेस्ट का ख़तरा
यूनाइटेड नेशंस एन्वायरन्मेंट प्रोग्राम्स (United Nations Environment Programmes) के मुताबिक़ दुनियाभर में आधे से अधिक प्लास्टिक को सिर्फ एक बार यूज करने के लिए बनाया जाता है. यही वजह है कि दुनिया में हर साल लगभग 30 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है. दुनिया में हर मिनट 20 लाख सिंगल यूज वाले प्लास्टिक बैग चलन में आते हैं. हर मिनट 10 लाख प्लास्टिक बोतलें खरीदी जाती हैं और इनमें से आधी से कम ही रिसायकल हो पाती हैं. Pollution Control Board के मुताबिक भारत में हर दिन 26,940 टन प्लास्टिक वेस्ट उत्पन्न होता है, जिसमें से लगभग 15000 टन ही रीसायकल हो पाता है, बाकी लगभग 10,500 टन कचरा हमारे आस-पास, गली-मोहल्ले, नदी, तालाब, कूड़े का ढेर बनकर हमारे पर्यावरण में ही बना रहता है. प्लास्टिक अलग-अलग रास्तों से होकर नदी-समुन्द्र में भी पहुँच जाता है और उन्हें प्रदूषित करता है.
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क्यों हो रहा है इसका विरोध?
प्लास्टिक स्ट्रॉ का यूज जूस और लस्सी बनाने वाली कंपनियां ज्यादा करती हैं. ऐसे ड्रिंक्स की क़रीब 60 लाख की हर साल की बिक्री है.
अमूल, डाबर और पार्ले-एग्रो जैसी बड़ी कम्पनियां इस प्रतिबन्ध का विरोध कर रही हैं. कारोबारियों की संस्था कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (Confederation of All India Traders) ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिख कर प्रतिबन्ध लागू होने की तारीख को आगे बढाने की मांग की है. पारले-एग्रो की फ्रूटी, कोका-कोला की माजा, पेप्सी की ट्रॉपिकाना आदि सबसे ज़्यादा बिकने वाले शीतल पेय ग्राहकों को 10-30 रुपये में मिल जाती हैं. गर्मी के मौसम जब इनकी बिक्री ज्यादा होती है, उस समय प्लास्टिक से पेपर स्ट्रॉ की तरफ जाना इन उत्पादनों को कंपनी और कस्टमर्स दोनों के लिए महंगा कर देगा क्योंकि पेपर स्ट्रॉ प्लास्टिक स्ट्रॉ से 5-7 रुपये महँगी होंगी. इनके दाम बढ़ने से कंपनियों को घाटा उठाना पड़ सकता है. उनकी मांग है कि उन्हें प्लास्टिक छोड़कर पेपर स्ट्रॉ को चलन में लाने के लिए कुछ वक़्त दिया जाये. इसके अलावा CAIT ने इस प्रतिबन्ध की वजह से प्लास्टिक उत्पादन के व्यापार में में लगे लाखों के बेरोजगार हो जाने की आशंका भी जताई है.
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सख़्त होगा जुर्माना
केंद्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के इस आदेश के अनुसार मॉल से लेकर किसी भी दुकान में कोई कारोबारी प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हुए पाया जाता है तो उसका ट्रेड लाईसेंस रद्द कर दिया जाएगा. इसके साथ ही किसी दुकान में पहली बार प्लास्टिक वेस्ट मिलने पर 500 रुपये, दूसरी बार मिलने पर 1000 रुपये और तीसरी बार में दो हज़ार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है. कंपनियों और संस्थाओं के लिए पहली बार 5 हज़ार का जुर्माना, दूसरी बार 10 हजार और तीसरी बार 20 हज़ार का जुर्माना तय किया गया है. प्लास्टिक बैग बनाने वाली कंपनियों पर प्रति टन पहली बार 5 हज़ार, दूसरी बार 10 और तीसरी बार 20 हज़ार प्रति टन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा.
क्या इस बार हमारी तैयारी है इस सफल बनाने की?
प्लास्टिक बैन पर सरकार और उद्योगों के बीच हमेशा रस्साकशी चलती रही है. भारत में प्लास्टिक बैन अक्टूबर 2019 में भी लगाया गया था जो बाद में वापस ले लिया गया. इस बार प्रतिबन्ध को अगर सफल होना है तो सबसे ज़रूरी कदम यह होगा कि लोगों को प्लास्टिक कैरी बैग की जगह पर्यावरण को नुक़सान न पहुँचाने वाले मैटीरियल से बने कैरी बैग उपलब्ध कराये जाये. क्यूँकि उसके अभाव में दुकानदार और लोग फिर से पुरानी आदतों पर लौट जाते हैं. लोगों में जागरूकता फैलाला एक लॉंग-टर्म कार्यक्रम है और लोगों की आदतें बदलने में लगने वाले समय को देखते हुए विकल्प उपलब्ध कराना प्रशासन और उद्योगों की प्राथमिकता होना चाहिए.