क्या है सतत विकास लक्ष्य-1? इसे मापने का पैमाना क्या है?
SDG के 17 लक्ष्यों में से पहला और सबसे महत्वपूर्ण गरीबी की समाप्ति है. यह गरीबी को उसके सभी रूपों में खत्म करने का आह्वान करता है. बाकी एजेंडा की तरह गरीबी को भी 2030 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है.
सतत विकास लक्ष्य (SDG) या ‘2030 एजेंडा’ बेहतर स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन और सबके लिए शांति और समृद्ध जीवन सुनिश्चित करने के लिए सभी से कार्रवाई का आह्वान करता है. वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे एक सार्वभौमिक आह्वान के रूप में अपनाया गया था. 17 सतत विकास लक्ष्य और 169 उद्देश्य सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के अंग हैं.
SDG के 17 लक्ष्यों में से पहला और सबसे महत्वपूर्ण गरीबी की समाप्ति है. यह गरीबी को उसके सभी रूपों में खत्म करने का आह्वान करता है. बाकी एजेंडा की तरह गरीबी को भी 2030 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है.
इस लक्ष्य में होने वाली प्रगति को मापने के लिए सात टारगेट और 13 संकेतक हैं. सात टारगेट में पांच टारगेट गरीबी के खात्मे के तरीकों पर फोकस करते हैं जबकि बाकी दो SDG-1 को हासिल करने में अपनाई जानी वाली नीति पर फोकस करते हैं.
1. अत्यधिक गरीबी का उन्मूलन
2. सभी तरह की गरीबी को आधा करना
3. सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों का कार्यान्वयन
4. स्वामित्व, बुनियादी सेवाओं, प्रौद्योगिकी और आर्थिक संसाधनों के समान अधिकार सुनिश्चित करना
5. पर्यावरण, आर्थिक और सामाजिक आपदाओं के लिए लचीला रुख अपनाना
6. गरीबी को समाप्त करने के लिए संसाधन जुटाना है
7. सभी स्तरों पर गरीबी उन्मूलन नीति ढांचे की स्थापना
गरीबी मापने का संकेतक
गरीबी को मापने वाले प्रमुख संकेतकों में से एक अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या का अनुपात है. सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों द्वारा कवर की गई आबादी के अनुपात को मापना और बुनियादी सेवाओं तक पहुंच वाले घरों में रहना भी गरीबी के स्तर का संकेत है.
कोविड ने 4 सालों की प्रगति बर्बाद कर दी
मौजूदा प्रगति के बावजूद, दुनिया की 10 फीसदी आबादी गरीबी में रहती है और स्वास्थ्य, शिक्षा और पानी और स्वच्छता जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करती है.
सितंबर 2020 में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि पिछले 20 सालों से लगातार कम हो रही गरीबी में कोविड-19 महामारी के कारण कुछ ही महीनों में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि कोविड-19 के कारण गरीबी कम करने में 4 सालों में जो हासिल हुआ था, वह बर्बाद हो गया. वहीं, यूक्रेन युद्ध ने भी इस दिशा में उठाए गए सुधारों को पटरी से उतारने का काम किया है.
कोविड-19 के दौरान 58.1 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी में जीवन यापन कर रहे थे जबकि अब कोविड-19 के बाद यह संख्या बढ़कर 65.7 से 67.7 करोड़ हो गई है.
कोविड-19 के कारण ही पिछले दो दशकों में मजदूरों की गरीबी दर 2019 में 6.7 फीसदी से बढ़कर 2020 में 7.2 फीसदी गई. इसका मतलब है कि इस अवधि में 80 लाख अतिरिक्त मजदूर अत्यधिक गरीबी में चले गए.