मिलें उस महिला उद्यमी से, जिसने मेडिकल डिवाइस बनाकर खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी
Kriya की स्थापना वर्ष 2012 में अनु मोतूरी ने की थी। यह आणविक निदान, जैव रसायन और मधुमेह जैसे रोगों के काम में आने वाले चिकित्सा उपकरणों का निर्माण और बिक्री करने का काम करती है। इस कंपनी का मूल उद्देश्य निरंतर आपूर्ति के साथ गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की सप्लाई करना है।
कोविड-19 महामारी के दौरान कई देशों को अपने हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार करने की जरूरत हुई और इसकी सुविधाओं का महत्व भी समझ में आया। महामारी ने कई लोगों को यह भी महसूस कराया कि भारत में हेल्थकेयर सेक्टर में अग्रणी होने की बहुत बड़ी क्षमता है।
Invest India के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ दीपक बागला ने TechSparks 2021 में बताया, “स्टार्टअप्स और छोटे MSMEs ने अपने बिजनेस मॉडल को आगे बढ़ाया, कम खर्चीले इनोवेशंस के साथ आगे आए और बड़ी कंपनियों और आपूर्तिकर्ताओं के साथ मिलकर गुणवत्ता वाले पीपीई किट तैयार किए, जिन्हें हम दुनिया को निर्यात भी कर सकते हैं।”
हालांकि, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की राह लंबी और कठिन है। लेकिन, बावजूद इसके महामारी ने मेड-इन-इंडिया मैन्युफैक्चरिंग प्लेयर्स पर भरोसा करने के महत्व को दोहराया है।
जिन कंपनियों का लक्ष्य चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में बदलाव लाना है, चेन्नई स्थित Kriya Medical Technologies उन्हीं में से एक है।
की शुरुआत अनु मोतूरी ने वर्ष 2012 में की थी, जो मॉलीक्यूलर डायग्नोस्टिक, बायो केमिस्ट्री और मधुमेह श्रेणी की चिकित्सा उपकरणों का निर्माण और बिक्री करती है। हाल ही में कंपनी KRIVIDA Novus नाम के प्रोडक्ट को ICMR और DGCI से मंजूरी मिली है। KRIVIDA, SARS-CoV-2 का पता लगाने के लिए एक RT-PCR किट है,जिसमें RdRp, N-gene, S-gene, endogenous-Internal Control (IC) और एक ओमीक्रोन विशिष्ट प्रकार की S gene जांच शामिल है।YourStory के साथ बातचीत में, अनु ने कंपनी शुरू करने के पीछे के इरादे को साझा किया और यह भी बताया कि इस क्षेत्र को कई हितधारकों के समर्थन की आवश्यकता क्यों है?
कंपनी की शुरुआत
Ford Motor Company के साथ काम करते हुए अनु को दुनिया भर में यात्रा करने का मौका मिला। अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने महसूस किया कि आधुनिकता के इस दौर में भी कई विकासशील देशों में बुनियादी और सस्ती स्वास्थ्य सेवा एक चुनौती थी। इसके बाद बेहद ही सावधानी के बाद भी जब अनु के पिता का निधन मधुमेह के कारण हो गया, तब उन्होंने इस पर और भी गंभीरता से सोचा और गहराई से खोज की।
जबकि Ford Motor Company में उनके अनुभव ने उन्हें मैन्युफैक्चरिंग, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, आदि में अंतर्दृष्टि प्रदान की, अनु की चीन की नियमित यात्राओं, जहां उनके पति काम कर रहे थे, ने उन्हें चीनी चिकित्सा उपकरणों के परिदृश्य की समझ दी। वह कहती है, "जिस तरह भारत फार्मास्यूटिकल्स में आगे है, ठीक वैसे ही चीन चिकित्सा उपकरण बनाने में आगे है।"
उन्होंने वहां के इकोसिस्टम के बारे में बात करते हुए कहा कि, अनुशासन, कार्य संस्कृति, सहायक नीतियों और करों ने चीन में चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र को आगे बढ़ाने में योगदान दिया है। यहां तक की कई कारखानों में 90 प्रतिशत महिलाएं काम करती हैं।
2011 में, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और एक साल बाद, उन्होंने आखिरकार 12 करोड़ रुपये के साथ कंपनी में काम करना शुरू कर दिया। शुरुआत में, उन्होंने चेन्नई में एक R&D यूनिट स्थापित की और चीनी यूनिट्स से अनुबंधित रूप से निर्मित उपकरण (ग्लूकोमीटर) मंगाने लगीं।
पांच साल बाद, उन्होंने स्वयं की यूनिट शुरू की। उन्होंने ग्लूकोज की जांच करने वाले उपकरणों के निर्माण के साथ शुरुआत की और फिर डायग्नोस्टिक डिवाइस व जैव रसायन जैसी अन्य श्रेणियों में प्रवेश किया।
बिजनेस मॉडल
Kriya, प्रमुख रूप से एक B2B बिजनेस मॉडल पर आधारित कंपनी है। यह Lal Path Labs, Thyrocare, Metropolis Healthcare और अपने ग्राहकों के बीच अग्रणी प्रयोगशालाओं की गणना करता है। आज कंपनी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक संपूर्ण समाधान प्रदाता बनने की दिशा में काम कर रही है। "हमने डिजिटल प्लेटफॉर्म भी बनाए हैं जो प्रयोगशालाओं को रोगी के नमूनों को सुरक्षित रखने में सक्षम बनाते हैं।"
इसके लिए इन-हाउस टेक्नोलॉजी तैयार की गई है। Kriya का उद्देश्य लागत और गुणवत्ता-संचालित चिकित्सा उपकरण प्रदान करना और उनकी आपूर्ति के लिए टर्नअराउंड समय को कम करना है।
उनका यह भी मानना है कि KRIVIDA Novus एक गेम चेंजिंग प्रोडक्ट बनने जा रहा है। वह बताती हैं कि, "यह न केवल यह पता लगाता है कि व्यक्ति COVID-19 पॉजिटिव या निगेटिव है, बल्कि वेरिएंट के बीच अंतर को भी स्पष्ट करता है, जैसे कि वह ओमीक्रोन है या इसका उप-वंश या डेल्टा। यह एक विशिष्ट प्रकार के वैरिएंट वाले रोगी का इलाज करने में मदद करता है। जिसका रिजल्ट लगभग 45 मिनट में आ जाता है।”
वित्त वर्ष 2011 में, अनु ने 14.5 करोड़ रुपये की कमाई करने का दावा किया है और इस साल 28 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई करने का लक्ष्य रखा है।
अब तक का सफर और भविष्य की योजनाएं
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत का 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा चिकित्सा उपकरणों के आयात पर निर्भर है। हालांकि, महामारी की शुरुआत के साथ, यह स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में अवसर बहुत बड़ा है। 2020 में भारतीय स्वास्थ्य सेवा उद्योग 190 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, और इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (IBEF) के अनुसार, विशेष और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सुविधाओं की बढ़ती मांग के कारण, 2024-2025 तक इसके 370 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत में इस क्षेत्र में Allied Medical Limited, Trivitron Healthcare, Transasia Bio-Medicals जैसे खिलाड़ी शामिल हैं।
लेकिन, अनु इस बदलते परिदृश्य की गवाह हैं। वह इस बात पर प्रकाश डालती हैं कि महामारी से पहले, भारत में निर्माताओं के लिए उत्पादन करना 25 प्रतिशत सस्ता था - और यह संख्या केवल 40 प्रतिशत पर अधिक प्रभावित हुई। अब इस कॉन्सेप्ट में परिवर्तन होता दिखाई दे रहा है। अनु का कहना है कि कंपनी शुरू करते समय फाइनेंस आदि प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती थी।
वह बताती हैं, "शुरुआत में निवेशक मेरे कॉल नहीं उठाते थे, मुझे बैंकों को भी बहुत कुछ समझाना पड़ा। चिकित्सा उपकरणों को एक क्षेत्र के रूप में भी मान्यता नहीं दी गई थी। VCs और PEs टेक्नोलॉजी सेक्टर का मूल्यांकन करने में अच्छी तरह से वाकिफ होते हैं, लेकिन चिकित्सा उपकरणों को नहीं और पर्याप्त जानकारी न होने का डर भी उन्हें कहीं पीछे ले जाता है।"
वह बताती हैं, "COVID-19 का समय बहुत ही भयानक था, लेकिन भारत में चिकित्सा उपकरण उद्योग के लिए इसने जो किया है, उसकी दृष्टि से एक अच्छी गति प्रदान की है।"
वह कहती हैं कि सरकार की ओर से भी इस सेक्टर में निवेश करने के लिए पहल की गई हैं। लेकिन, "चीजें रातोंरात नहीं बदलेंगी”। इसके लिए जरूरी है ज्यादा से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग युनिट्स की स्थापना की जाए, उन्हें आर्थिक मदद मिले, योग्य कर्मियों के एक इकोसिस्टम का निर्माण हो , और सेटअप में अधिक से अधिक महिलाओं को शामिल करने जैसे कई तरीके इस क्षेत्र को तेजी प्रदान कर सकते हैं।
आने वाले समय में Kriya, खुद को एक प्रोडक्ट और रिसर्च एंड डेवेलपमेंट-आधारित कंपनी के रूप में स्थापित करना चाहती है। अपनी प्रोडक्ट रेंज का विस्तार करना चाहती है। टीम मॉलीक्यूलर डायग्नोस्टिक, बायो केमिस्ट्री और मधुमेह श्रेणी के सर्विस सेक्टर में नए प्रोडक्ट्स को पेश करने के लिए भी काम कर रही है।
Edited by रविकांत पारीक