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वैज्ञानिक से उद्यमी बनीं शहनाज ने कभी स्टार्टअप शुरू करने के लिए बेच दिया था अपार्टमेंट, आज विदेशों से भी मिलते हैं परचेस ऑर्डर

वैज्ञानिक से उद्यमी बनीं शहनाज ने कभी स्टार्टअप शुरू करने के लिए बेच दिया था अपार्टमेंट, आज विदेशों से भी मिलते हैं परचेस ऑर्डर

Saturday July 20, 2019 , 5 min Read

हममें से बहुत से लोग अपनी जड़ों के साथ जीने का सपना देखते हैं। लेकिन शहनाज शेख जैसे कुछ लोग हैं जो उस सपने को हकीकत में जी रहे हैं। शहनाज ने अपने पति खलील शेख के साथ 2013 में माइक्रोबिज नेटवर्क इंडिया (Microbiz Network India) की शुरुआत की, इसके पीछे उनका विजन था एग्रो-इकोलॉजी के जरिए अत्यधिक खतरनाक कीटनाशकों को खत्म करना।


Shahnaz Shaikh

शहनाज़ शेख, फाउंडर और सीईओ, Microbiz Network India



शहनाज के जीवन के इस बड़े मुकाम को समझने के लिए आपको वापस उनकी पहले की जिंदगी में जाना होगा। उन्होंने अपना बचपन मराठवाड़ा क्षेत्र के विभिन्न शहरों में बिताया। उन्होंने माइक्रोबायोलॉजी में एमएससी पूरी करने के बाद, एग्रीकल्चर माइक्रोबियल फर्टीलाइजर्स युनिट में एक जूनियर वैज्ञानिक के रूप में काम किया। 1998 में शादी करने के बाद, शहनाज सोलापुर में बस गईं। इस बीच, इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर इंजीनियर उनके पति खलील ने अपने पैतृक खेत में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया। शहनाज बताती हैं, “अपने खेतों में काम करने के दौरान, वह फलों के बगीचे में कीट के संक्रमण से काफी परेशान हो रहे थे। वह मुझे उन समस्याओं के बारे में बताते थे, एक बार इसी बातचीत के दौरान, हमने दीर्घकालिक खेती और कीट प्रबंधन के लिए एक ग्रीन एंड क्लीन सलूशन खोजने का फैसला किया। और इस तरह हमने 2001 में अपना स्टार्टअप शुरू किया।" हालांकि, 2013 में इस प्रोडक्ट को बाजार में उतारने से पहले 12 साल तक इस पर काफी रिसर्च, प्रोटोटाइप विकसित करना, और क्षेत्र परीक्षण करना शामिल रहा। 


शहनाज इलेक्ट्रॉनिक कीट नियंत्रण जाल ( electronic pest control trap) विकसित करने के पीछे कुछ प्रमुख कारण बताती हैं।


-कीटनाशकों से मानव स्वास्थ्य, जैव विविधता, पर्यावरण और पारिस्थितिकी को भारी नुकसान हो रहा है जिसके चलते कई सरकारों ने कीट प्रबंधन के लिए जहरीले एग्रोकेमिकल्स के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है।


-कीटनाशकों के इस तरह के प्रतिबंधों के चलते किसानों के पास फसल / पौधों की सुरक्षा के लिए सीमित विकल्प ही होते हैं। 


-कीड़ों पर कीटनाशकों का प्रभाव कम हो रहा है क्योंकि कीड़ों की प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा हो रही। जिसके चलते इंसेक्ट पेस्ट मैनेजमेंट की लागत और बढ़ गई, और यह प्रति सीजन 10,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक हो गई है। 


-किसान, प्लांट प्रोटेक्शन प्रोफेशनल्स और दुनिया भर के वैज्ञानिक उपज के नुकसान को कम करने के लिए और कीटों के कहर को प्रबंधित करने के लिए ग्रीन क्लीनटेक सलूशन खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।


बचाव के लिए एक जाल

शहनाज का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पेस्ट कंट्रोल ट्रैप (Artificially Intelligent Pest Control Trap) के आविष्कार के साथ, माइक्रोबिज नेटवर्क इंडिया कीट प्रबंधन से संबंधित मुद्दों को सफलतापूर्वक हल करने में सक्षम है। यह उपकरण दुनिया भर में लाखों किसानों, बैकयार्ड गार्डनर्स और परिवारों को शाकाहारी और सर्वाहारी कीटों को खत्म करने में सक्षम बनाता है। साथ ही यह फायदेमंद मांसाहारी कीटों और मधुमक्खियों के लिए सुरक्षित है। 


एआईपीसीटी किसान के लिए कीट प्रबंधन की लागत को 90 प्रतिशत तक कम कर देता है और बिक्री योग्य उपज को 97 प्रतिशत तक बढ़ा देता है, जिससे कृषि उपज के मूल्य में कम से कम 50 प्रतिशत की वृद्धि होती है और किसान के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


यह हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता, हम जिस हवा में सांस लेते हैं, जो पानी हम पीते हैं, और जिस मिट्टी का उपयोग हम भोजन उगाने में करते हैं, उसकी गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद करता है। चार मॉडल में उपलब्ध, एआईपीसीटी की लागत 40,000 रुपये से 65,000 रुपये के बीच है।


आने वाली चुनौतियां

2004 में, दंपति मुंबई में शिफ्ट हो गए और अपने मीरा रोड स्थिति ऑफिस में काम कर रहे हैं। शहनाज़ कहती हैं कि किसी सपने को आकार देना आसान नहीं है। वह याद करते हुए बताती हैं, ''हमें स्टार्टअप के लिए पैसे जुटाने के लिए अपना अपार्टमेंट बेचना पड़ा। वह मेरे लिए सबसे कठिन क्षण था। मैंने अपनी टेक्नोलॉजी और प्रोडक्ट की बिक्री और प्रचार के लिए पूरे भारत में 600+ बिक्री एजेंटों का नेटवर्क बनाने में इस धन का एक बड़ा हिस्सा खर्च किया। हमारी सेल्स स्ट्रेटजी बुरी तरह विफल रही और हमने अपने धन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खो दिया।”


वह आगे कहती हैं, “हालांकि, हमने जल्द ही सुधार किया। हमनें सही टारगेट ऑडियंस के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से डिजिटल मार्केटिंग तकनीकों में निवेश करना शुरू कर दिया। उन्हें अपने संभावित खरीदारों में बदलने के लिए उनके साथ पर्याप्त जानकारी साझा की। इस कदम से हमें फायदा हुआ और हमारी बिक्री तेजी से बढ़ गई। हमारे वेंचर को सबसे महत्वपूर्ण सफलता तब मिली जब हमें अफ्रीकी और खाड़ी देशों से भी खरीदने के लिए ऑर्डर आने लगे।"


अभी तक, शहनाज का यह स्टार्टअप स्व-वित्त पोषित है लेकिन शहनाज का कहना है कि अगर इसे सही मूल्य पर फंडिंग मिलती है, तो वे इक्विटी फंडिंग के लिए शेयरों के मामूली प्रतिशत का व्यापार करने के लिए तैयार हैं। स्टार्टअप को अटल इनोवेशन सेंटर, बनस्थली विद्यापीठ में भी इनक्यूबेट किया गया है।


वह कहती हैं, "हमारी भविष्य की योजना नेक्स्ट जनरेशन के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पेस्ट कंट्रोल टेक्नोलॉजी पर रिसर्च और विकास कार्य जारी रखना है।" संस्थापक का कहना है कि कंपनी के AI3GENICS टेक्नोलॉजी-बेस्ड प्रोडक्ट्स का बीटा परीक्षण वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही से शुरू होगा। शहनाज ने कहा, “हम एक राष्ट्रव्यापी वितरण नेटवर्क बनाने पर काम कर रहे हैं। अगले वित्त वर्ष से, हम वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए दुनिया भर के विभिन्न देशों में वितरकों के साथ सही तरह की साझेदारी के साथ काम करेंगे।"