अपने 'प्यारे कुत्ते' को खोने के बाद मुंबई की देवांशी ने जानवरों के हेल्थकेयर के लिए शुरू किया स्टार्टअप
देवांशी शाह के पालतू कुत्ते हेज़ल को गंभीर बीमारियां थीं और उसके इलाज के दौरान ही उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि भारत में ऐनिमल-केयर सेक्टर में कई कमियां हैं। एक महीने की लंबी बीमारी के बाद हेज़ल को सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद खोज़ शुरू हुई हेज़ल के लिए उपयुक्त ख़ून जुटाने की।
देवांशी बताती हैं,
"मुझे और डॉक्टरों को उपयुक्त डोनर खोजने में रातभर का वक़्त लगा।"
देरी की वजह से देवांशी, हेज़ल को नहीं बचा सकीं। इस घटना के बाद ही देवांशी ने 2019 में पेटकनेक्ट (PetKonnect) स्टार्टअप की शुरुआत की। यह पालतू और आवारा दोनों ही तरह के जानवरों के लिए ऑनलाइन कम्युनिटी है, जो वेबसाइट और ऐप्स के माध्यम से जानवरों के लिए कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराती है।
क्या काम करता है यह प्लैटफ़ॉर्म?
इस प्लैटफ़ॉर्म पर कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जैसे-
सोशल पेटवर्कः यह जानवरों के लिए तैयार किया गया, एक तरह का सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म है, जहां पर यूज़र अपने आस-पास के पालतू जानवरों के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। इस प्लैटफ़ॉर्म पर यूज़र, अपने जानवरों के प्रोफ़ाइल तैयार कर सकते हैं, दूसरे जानवरों को खोज सकते हैं और एक सोशल कम्युनिटी तैयार कर सकते हैं। इस सर्विस की मदद से लोग अपने जानवरों की तस्वीरें साझा कर सकते हैं और पालतू जानवरों के लिए आस-पास रहने वाले पालतू-जानवरों के मालिकों के साथ मिलकर जानवरों के खेलने आदि की योजनाएं तैयार कर सकते हैं।
माय पेट्सः यह ऐप पर मौजूद एक तरह का पेट मैनेजमेंट सिस्टम है, जिसकी मदद से पालतू जानवरों के मालिक हेल्थकेयर के लिए पेट प्रोफ़ाइल तैयार कर सकते हैं। यहां पर लोग न सिर्फ़ अपने जानवरों के लिए मेडिकल रेकॉर्ड्स और ऑनलाइन प्रेसक्रिप्शन सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि उन्हें सही समय पर टीकाकरण आदि की जानकारी भी मिलती रहती है। इस सेक्शन की मदद से लोग सरकारी इकाईयों के पास अपने जानवर का पंजीकरण भी करा सकते हैं।
एमरजेंसीः यहां पर कई तरह एमरजेन्सी सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। यूज़र किसी एनजीओ/ऐंबुलेन्स सर्विस आदि से संपर्क कर सकता है, जो आवारा जानवरों को तत्काल इलाज उपलब्ध करा सकें और उन्हें बचा सकें। इतना ही यूज़र किसी आपात स्थिति में अपने जानवर के लिए ख़ून के लिए भी सहयोग मांग सकता है।
सर्विस प्रोवाइडर्सः स्टार्टअप का उद्देश्य है कि सुविधाएं मुहैया कराने वालों और सुविधाओं की तलाश करने वाले लोगों के एक ही प्लैटफ़ॉर्म पर लाया जाए। इस सेक्शन में जानवरों के लिए तरह-तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने वालों और पेट-केयर के प्रति सजग लोगों के बीच सीधा संपर्क हो सकता है।
पेट अफ़ेयर्सः यह सेक्शन, जानकारी मुहैया कराने वाले एक केंद्र के रूप में काम करता है। यहां पर यूज़र्स को ट्रेनिंग, हेल्थ, फ़ूड, इवेंट्स आदि से जुड़े ज़रूरी टिप्स और जानकारियां मिल जाती हैं। निकट भविष्य में, यूज़र्स अपनी कहानियां और अनुभव आदि भी साझा कर सकेंगे।
रेवेन्यू मॉडल
पेट कनेक्ट अपने ऑपरेशन्स मुंबई से संभालता है। पेट कनेक्ट का रेवेन्यू मॉडल, अर्बन क्लैप ऐप जैसा ही है। पेन कनेक्ट अभी प्री-रेवेन्यू स्टेज तक ही पहुंचा है। स्टार्टअप की योजना है कि फ़रवरी 2020 से सर्विस प्रोवाइडरों से 2-5 प्रतिशत फ़ीस चार्ज की जाए। हालांकि, पेन कनेक्ट चाहता है कि सर्विस प्रोवाइडरों से किसी तरह की फ़ीस न ली जाए और अन्य स्रोतों से रेवेन्यू कमाया जाए।
स्टार्टअप की योजना है कि एकबार यूज़र विस्तृत होने के बाद रेवेन्यू के दूसरे माध्यमों पर काम शुरू किया जाएगा। अभी स्टार्टअप की योजना है कि बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (बीएमसी) में जानवरों का रजिस्ट्रेशन कराने में सहयोग के लिए यूज़र्स से फ़ीस चार्ज की जाए।
देवांशी बताती हैं,
"हम डॉक्टरों के एक टीम तैयार करने के संबंध में काम कर रहे हैं, जो कॉल पर ही मरीज़ की मदद कर सकें। ज़्यादातर जानवर पालने वाले लोगों को बीएमसी में जानवरों का रजिस्ट्रेशन कराने के संबंध में उचित जानकारी नहीं है।"
भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए देवांशी कहती हैं,
"मैं पेट कनेक्ट को भारत का एक प्रीमियर, वन-स्टॉप सल्यूशन बनाना चाहती हूं, जो हर तरह के जानवरों के लिए बाधारहित सुविधाएं मुहैया करा सके। अगले साल में मैं दूसरे शहरों में भी ऑपरेशन्स शुरू करने की कोशिश कर रही हूं और इसकी शुरुआत दिल्ली और हैदराबाद से हो सकती है।"