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बच्चों को स्तनपान कराने के लिए ऐप्स की मदद ले रही हैं महिलाएं- रिपोर्ट

बच्चों को स्तनपान कराने के लिए ऐप्स की मदद ले रही हैं महिलाएं- रिपोर्ट

Friday December 27, 2019 , 2 min Read

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फोटो Shutterstock

ऑस्ट्रेलिया में हुए अध्ययन के अनुसार, आज महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान कराने संबंधी निर्णयों के लिए मोबाइल ऐप का सहारा ले रही हैं। यह एक तरह का व्यवहार है, जो इन माताओं की संभावित चिंताओं को दर्शाता है।


ऑस्ट्रेलिया की फिलंडर्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, ये शिशु-आहार ऐप इन माताओं को मातृत्व की शुरुआती दौर में आत्मविश्वास और तनाव के समय बेहतर नियंत्रण दिला रहे हैं।


हालांकि इन ऐप्स में महिलाओं का अधिक भरोसा भी चिंता का विषय है। वर्तमान में 100 से अधिक ऐसी ऐप्स हैं, जो महिलाओं को इससे संबन्धित जानकारी उपलब्ध करा रही हैं।


इन सब के बीच जिन महिलाओं ने इस स्टडी में हिस्सा लिया, उन्होने इन ऐप्स को लेकर सकारात्मक रवैय्या दर्शाया है।


फिलंडर्स विश्वविद्यालय की शोधकर्ता जैकलिन मिलर के अनुसार,

“कुछ ऐप्स ऐसी हैं जो हमेशा सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं कराती हैं और इन्हे सभी के लिए उपयुक्त नहीं माना जा सकता है।”
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स्तनपान संबंधी जानकारी देने वाली ऐप (चित्र साभार: इंटरनेट)


मिलर के अनुसार, इन ऐप में संग्रहित जानकारी हेल्थ केयर प्रदाताओं से जरूरी सलाह खासकर स्तनपान संबंधी सलाह दिलाने में मदद कर सकती है।


वह कहती हैं,

“ये काफी तेज़ी से माताओं को शिशु की देखभाल से संबन्धित मॉडर्न तरीके दे रही हैं, इसमें शिशु का नियमित स्तनपान, सोना, विकसित होना और नैप्पी बदलने जैसे पहलू शामिल हैं।”

मिलर कहती हैं, एक समय था जब हम किस तरफ से स्तनपान कराना है, ये जानने के लिए सेफ़्टी पिन का इस्तेमाल करते थे, लेकिन आज ये काम ऐप्स के द्वारा किया जा रहा है।


इस रिसर्च में ऐसी 9 माताओं को शामिल किया गया था, जिन्होने 12 महीनों से अधिक समय तक ऐसी ऐप्स का इस्तेमाल किया था।



रिसर्च के अनुसार यह सामने आया कि इन ऐप्स महिलाओं को स्तनपान को लेकर प्रोत्साहित करने के साथ ही उनका समर्थन भी कर रहे हैं।


रिसर्च में साझा योगदान देने वाली डाइनेल्ट के अनुसार,

“ये तकनीक महिलाओं को निर्णय लेने में मददगार साबित हो रही है, लेकिन स्तनपान के साथ कई बार ये थका देने वाली और जटिल प्रक्रिया हो सकती है, हालांकि कुछ ऐप्स फिर भी दूसरों की तुलना में बेहतर हैं।”

वो बताती हैं कि,

“रिसर्च में शामिल महिलाओं के अनुभव सकारात्मक रहे, हालांकि कुछ महिलाओं को ये लगा कि अगर ये ऐप्स न होते तो वे स्तनपान कराना छोड़ चुकी होतीं।”