क्यों भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में भारी बदलाव ला सकती हैं महिला लीडर्स
दुनिया की सबसे सफल ई-कॉमर्स कंपनी, अलीबाबा के संस्थापक जैक मा कहते हैं, "अलीबाबा की सफलता का एक रहस्य यह है कि हमारे यहां बहुत सारी महिलाएं हैं। अलीबाबा में 18 संस्थापकों में से छह महिलाएं हैं, जोकि कुल संस्थापकों का एक तिहाई है।”
जैक मा की इन बातों को विश्व स्तर पर और भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम में व्यापक रूप से साझा किया गया है, जहां लगभग एक दशक पहले कोई भी महिला इकोसिस्टम का हिस्सा नहीं थी। लेकिन जैसा कि हम एक नए दशक में प्रवेश कर चुके हैं, चीजें भी बदल रही हैं और भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम उस मूल्य को पहचान रहा है जो महिलाएं मेज पर ला सकती हैं। हालांकि ये बदलाव रातोंरात नहीं हुए हैं। नेतृत्व या सीएक्सओ भूमिकाओं में महिलाओं की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ महिला-स्थापित स्टार्टअप की संख्या भी बढ़ रही है।
हालांकि अधिकांश बदलावों को टीम में और कंपनी के बोर्ड में लिंग विविधता बनाए रखने के लिए कंपनियों की कंप्लायंस और रेगुलेटरी आवश्यकताओं को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, लेकिन कई स्टार्टअप इस बात का संज्ञान ले रहे हैं कि जिस तरह से संगठनों को चलाया जा रहा है उस हिसाब से महिला लीडर्स बहुत बड़ा अंतर ला सकती हैं।
टेक-बेस्ड स्टार्ट-अप्स नीचे दिए कुछ कारणों के चलते अधिक से अधिक महिलाओं को काम पर रख रहे हैं:
1. अधिक महिलाएं STEM कोर्स को अपना रही हैं।
2. महिलाओं को अधिक फोकस्ड, डिसिप्लिन और गोल-ओरिएंटेड यानी लक्ष्य केंद्रित माना जाता है।
3. तनाव और दबाव से निपटने में महिलाएं बेहतर हैं।
4. मल्टी टास्किंग में महिलाएं बेहतर हैं।
5. यदि अच्छी तरह से मेंटॉर किया जाए तो महिलाओं में रिटेंशन रेट अधिक है। दुनिया भर में किए गए शोध के अनुसार, महिलाएं मुनाफे में सुधार करने में अधिक सफल रही हैं। उदाहरण के लिए, पेप्सिको में सीईओ के रूप में इंदिरा नूई के पदभार के समय, कंपनी का लाभ $2.7 बिलियन था; उनके नेतृत्व में यह एक वर्ष में बढ़कर $6.5 बिलियन हो गया।
6. महिलाएं अधिक प्रक्रिया-उन्मुख होती हैं
7. महिलाएं अधिक सशक्त होती हैं, और एक अच्छे लीडर होने के लिए दयालु होने जैसी- महत्वपूर्ण विशेषताओं की आवश्यकता होती है।
भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम, जो कि अभी काफी यंग है और बिना किसी विरासत की समस्याओं के साथ जीवंत है, इसने महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली विभिन्न चुनौतियों पर भी ध्यान दिया है और फ्लेक्सी टाइमिंग, और ड्रॉप एंड पिक-अप सुविधाओं की शुरूआत के रूप में समाधान तैयार किए हैं।
कई स्टार्टअप आगे बढ़े हैं और लैंगिक विविधता को बनाए रखने के लिए उन्होंने मासिक धर्म की छुट्टी नीति (menstrual leave policy) के साथ-साथ पितृत्व अवकाश (paternity leave) की भी शुरुआत की है। कई स्टार्टअप्स ने विशेष रूप से महिलाओं के नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए उन्हें सलाह देने के लिए री-स्किलिंग और अपस्किलिंग और अन्य एंप्लाई इंगेजमेंट की पहल शुरू की है। विभिन्न रिसर्च रिपोर्टों के अनुसार, कौशल विकास उच्च उत्पादकता, रोजगार के अवसरों में वृद्धि और उच्च आय की सुविधा प्रदान करता है।
हालांकि, स्टार्टअप इकोसिस्टम के सभी प्रयासों के बावजूद, शीर्ष नेतृत्व की स्थिति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी मामूली है। स्टार्टअप रिसर्च और एनालिटिक्स फर्म Tracxn के आंकड़ों के अनुसार, 2018 में 27 टेक कंपनियों की स्थापना की गई थी। इनमें से केवल सात कंपनियों में ही बौतर सह-संस्थापक कम से कम एक महिला थी, जो कि लगभग 26 प्रतिशत बनता है। 2017 में, 53 कंपनियों की स्थापना की गई, जिनमें से केवल 10 में महिला सह-संस्थापक थीं, जो लगभग 18 प्रतिशत है।
नवंबर 2018 और अप्रैल 2019 के बीच भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, सभी स्टार्टअप्स में केवल 5.9 प्रतिशत में 'केवल-महिला' संस्थापक थीं और 43 प्रतिशत में पुरुष और महिला दोनों संस्थापक थे। हालांकि, यह साबित करने के लिए शायद ही कोई डेटा मौजूद है कि महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप पुरुषों की तुलना में अधिक सफल और लाभदायक हैं, यहां कुछ प्वाइंट्स हैं जो बताते हैं कि शीर्ष पदों पर महिलाएं कैसे अंतर पैदा करती हैं।
राजस्व और लाभप्रदता
यह व्यापक रूप से माना जाता है कि महिलाएं पैसों को संभालने में काफी अच्छी होती हैं। 91 देशों के 21,980 फर्मों के सर्वेक्षण में पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स ने पाया है कि सी-सूट के स्तर पर महिलाएं बिना किसी महिला लीडर्स वाली कंपनियों की तुलना में शुद्ध मार्जिन में काफी प्रतिशत की वृद्धि करती हैं।
कल्चर
यदि भारत को $5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनना है, तो कंपनियों को अधिक महिला श्रमिकों को रखने की आवश्यकता है। इसका मतलब यह भी है कि कंपनियां कार्य संस्कृति में प्रतिमान बदलाव करती हैं और सीएक्सओ / वरिष्ठ नेतृत्व पदों में महिला के साथ, कार्य आसान हो जाता है। सी-सूट के स्तर पर महिला संस्थापक या अधिक महिलाएं महिला कर्मचारियों को सुरक्षित महसूस कराती हैं। यौन उत्पीड़न के मुद्दे तेजी से हल हो जाते हैं और उत्पीड़न के मामलों की संख्या कम होती है। 'स्टार्टअप कूल कन्या' के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 60 प्रतिशत महिलाओं ने महसूस किया कि उनके सहकर्मी काम में अनुकूल, सम्मानजनक और पेशेवर नहीं हैं। और 54 प्रतिशत ने महसूस किया कि सीएक्सए स्तर पर महिलाओं की कमी के कारण यौन उत्पीड़न की रोकथाम (पीओएसएच) नीति का कोई मजबूत कार्यान्वयन नहीं था।
रणनीति
एक कर्मचारी के समावेशी विकास और प्रतिधारण के लिए आउट-ऑफ-द-बॉक्स रणनीतियों को अपनाया जाना चाहिए। कैशकरो की संस्थापक स्वाति भार्गव, कंपनी पेन प्वाइंट्स, चुनौतियों और प्रगति को समझने के लिए हर हफ्ते कम से कम एक महिला कर्मचारी के साथ दोपहर का भोजन करना सुनिश्चित करती हैं। यह दीर्घकालिक संबंध बनाने में मदद करता है और प्रतिभा प्रतिधारण के लिए एक शानदार रणनीति भी है। महिला लीडर इस तथ्य को भी समझती हैं कि वर्क-लाइफ बैलेंस महत्वपूर्ण है और इसलिए फ्लेक्सी काम के घंटे, मासिक धर्म की छुट्टी आदि की दिशा में काम करती हैं। इसके अलावा, कंपनियां अपने कर्मचारियों के परिवारों के लिए जागरूकता पैदा करने और उन्हें एक संगठन में अपनी बेटी या बहू की भूमिका को समझने के लिए आयोजन कर रही हैं। केवल महिला लीडर ही ऐसा कुछ कर सकती हैं। महिला लीडर्स के साथ स्टार्टअप ने वेतन असमानता में भी कमी देखी है।
महत्वाकांक्षा
जहां महिलाओं के बारे में अधिक बात करना अच्छा है कि उन्हें वर्कफोर्स में एंटर करना चाहिए, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि सभी महिलाएं हैं कहां? निचले और मध्य स्तरों पर भारतीय महिलाएं कम आकांक्षात्मक और कम जोखिम लेने वाली हैं, इसके लिए सामाजिक दबाव आंशिक रूप से दोषी है। उन्हें लगता है कि नेतृत्व की स्थिति में महिलाओं को अन्य महिलाओं के उत्थान के लिए एक बड़ा अंतर पैदा करना चाहिए और उन्हें बेहतर करने के लिए जोर देते रहना चाहिए।
प्रक्रिया और संचालन
स्टार्टअप लगातार निवेशकों और ग्राहकों के दबाव में काम कर रहे हैं। कई बार, यदि कोई निश्चित रणनीति काम नहीं करती है, तो उन्हें भुलाना होगा और आगे बढ़ना होगा। इस तरह के परिदृश्य में, महिला लीडर्स बचाव में आ सकती हैं क्योंकि वे अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में भावनात्मक उतार-चढ़ाव को लेकर लचीली हैं।