World Food Day: भुखमरी के खिलाफ लड़ाई में पीछे ना छूट जाए कोई!
खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार 2021 में पांच लाख लोगों की भूख से मौत हो गई. बताने की ज़रूरत नहीं है कि जीवन के लिये खाद्य उतना ही ज़रूरी है, जितना जिंदा रहने के लिए हवा. क्योंकि खाद्य या आहार किसी व्यक्ति के भरण-पोषण, विकास और वृद्धि के लिये मूलभूत आवश्यकता है इसलिए खाद्य सुरक्षा (Food Security) का प्रश्न या उसकी चिंता उतनी ही आवश्यक हो जाती है.
कुछ आंकड़ों पर नज़र डालते हैं. FAO की 30 सितंबर को जारी ‘क्रॉप प्रॉस्पेक्ट्स एंड फूड सिचुएशन रिपोर्ट’ के अनुसार 45 देशों में 5 करोड़ लोग अकाल के कगार पर खड़े हैं, जिसमें 33 देश अफ्रीका के, नौ एशिया, दो लैटिन अमेरिका और एक यूरोप का देश है.
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) के अनुसार कोविड-19 महामारी से पहले 2019 में दुनिया में 13.5 करोड़ लोग भीषण खाद्य संकट से जूझ रहे थे. इस साल की शुरुआत में इनकी संख्या 28.2 करोड़ हो गई, और आज 82 देशों में 34.5 करोड़ लोग भीषण खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं.
एक और शोध के ज़रिये WFP ने कहा है कि अकाल जैसी स्थिति का सामना कर रहे लोगों की संख्या पांच साल में 10 गुना हो गई है. इनमें सबसे ज्यादा सोमालिया में और बाकी अफगानिस्तान, इथोपिया, दक्षिण सूडान और यमन में हैं.
भारत एक कृषि प्रधान देश है, भारत में तो खाद्यान्नों का अभाव नहीं होनी चाहिए लेकिन लेकिन यह देश भी खाद्य संकट से जूझ रहा है. भारत दूध, जूट और दालों का सबसे बड़ा उत्पादक है. गेहूं, चावल, गन्ना और फल-सब्जियों के मामले में दूसरे स्थान पर है. थाइलैंड को पीछे छोड़कर भारत तीन साल से चावल का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है. दुनिया में 40% चावल निर्यात भारत ही करता है. यहाँ इतना अनाज उत्पादन होता है कि हर एक को पर्याप्त खाना मिल सकता है. लेकिन वर्ल्ड हंगर इंडेक्स में भारत को उन 31 देशों की लिस्ट में रखा गया था जहां भूखमरी की समस्या गंभीर मानी गई थी. हंगर इंडेक्स में भारत से आगे पाकिस्तान और नेपाल जैसे देश हैं. वहीं पाकिस्तान 99वें, नेपाल 81वें, बांग्लादेश 84वें और अफगानिस्तान 109वें नंबर पर है. पिछले साल भारत 116 देशों की सूची में 101वें स्थान पर रहा था.
जानकारों और विशेषज्ञों को मानना है कि 2030 तक भारत की आबादी 150 करोड़ हो जाने की उम्मीद है. और देश में खाद्य संकट और भी गहरा सकता है.
खाद्य सुरक्षा क्या है?
खाद्य सुरक्षा का अर्थ दो वक्त भोजन प्राप्त होने तक ही सीमित नहीं है. इसके निम्नलिखित आयाम हैं:
उपलब्धता (Availability): इसका अर्थ है देश के भीतर खाद्य का उत्पादन, खाद्य का आयात और सरकारी अन्न भंडारों में स्टॉक की उपलब्धता.
अभिगम्यता या पहुँच (Accessibility): इसका अर्थ है कि खाद्य तक बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक व्यक्ति की पहुँच हो.
वहनीयता (Affordability): इसका तात्पर्य है आहार संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक खाद्य खरीदने के लिये व्यक्ति के पास पर्याप्त धन होना.
इस प्रकार, किसी देश में खाद्य सुरक्षा तभी सुनिश्चित होती है जब सभी के लिये पर्याप्त खाद्य उपलब्ध हो, सभी के पास स्वीकार्य गुणवत्ता का खाद्य खरीदने का साधन हो और खाद्य तक पहुँच में कोई बाधा न हो.
क्यों गहराती जा रही है ये समस्या?
दुनिया में इतना अनाज उत्पादन होता है कि हर एक को पर्याप्त खाना मिल सके. लेकिन समस्या पहुंच और पोषक खाद्य की उपलब्धता की है.
हालांकि, पिछले कुछ दशकों में मौसम की मार से भी खाद्य संकट बढ़ा है. अफ्रीका के कई देशों में सूखे से वहां पाकिस्तान समेत कई देशों में बाढ़ ने काफी तबाही मचाई है. वहां 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं. यूरोप में इस साल 500 साल (1540 के बाद) का सबसे बड़ा सूखा बताया जा रहा है.
कोविड-19, युद्ध, जलवायु परिवर्तन, असमानता और महंगाई के कारण यह समस्या गंभीर हुई है. निम्न और मध्य आय वर्ग वाली अर्थव्यवस्थाओं में इस साल के अंत तक 7.5 करोड़ और लोगों के गरीबी में चले जाने का अंदेशा है.
विश्व खाद्य दिवस
भुखमरी को ख़त्म करने की दिशा में हर साल 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस (World Food Day) के रूप में मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने भुखमरी ख़त्म करने के उद्देश्य से 1979 में वर्ल्ड फूड डे मनाने का फैसला लिया गया. 16 अक्तूबर 1981 से विश्व खाद्य दिवस मनाने की शुरुआत हुई. खाद्य दिवस के मौके पर लोगों को खाद्य सुरक्षा और पौष्टिक आहार की जरूरत के बारे में जागरूक किया जाता है.
(फीचर इमेज क्रेडिट: @WFP, @UNWFP_India twitter)
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