अपनी छत और बालकनी में अनाज उगा कर पैसा कमा सकते हैं आप, जानिये कैसे?
दिल्लीवासी अब अपने घर की छत और बालकनी में फल और सब्जियां उगा सकेंगे. जो लोग अपनी बालकनी या छत पर खेती करना चाहेंगे, उन्हें दिल्ली सरकार सब्जियां और फल उगाना सिखाएगी. शुरुआत में सरकार उनकी मदद के लिए बीज आदि भी उपलब्ध भी करवाएगी. इस योजना को बढ़ावा देने के लिये दिल्ली पर्यावरण संरक्षण समीति का गठन होगा जिसमें एनजीओ, पर्यावरण विशेषज्ञ, विधायक और निगम पार्षदों के प्रतिनिधि शामिल होंगे.
यह सब दिल्ली सरकार के स्मार्ट अर्बन फार्मिंग इनिशिएटिव [Smart Urban Farming Initiative] के तहत होगा जो अर्बन फार्मिंग एंड टेरेस गार्डनिंग [Urban Farming and Terrace Gardening] स्कीम का हिस्सा है. इस अभियान के बारे में बताते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पूरे सेक्टर को दो भागों में बाटा गया है. एक में वह लोग हैं जो अपने घर की खपत के लिए सब्जी और फल उगाना चाहते हैं. दूसरा वह लोग जो इसका व्यापार करना चाहते हैं.
इस योजना का एक उद्देश्य यह भी है कि पर्यावरण को नुक्सान न पहुँचाने वाले रोज़गार (green jobs) उत्पन्न किये जायें. घर की खपत के साथ-साथ यह एक्स्ट्रा-इनकम का एक सोर्स बन सकता है और लोगों की ग्रीन इकॉनमी में भागीदारी होगी. इसको बढ़ावा देने के लिए सरकार एक्सपर्ट्स द्वारा ट्रेनिंग प्रशिक्षण का इंतज़ाम करेगी. योजना के तहत इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टिट्यूट से टाई-अप किया जायेगा. लोगों को जानकारी देने के लिए 400 अवेयरनेस वर्कशॉप और 600 ऐसी ट्रेनिंग आयोजित की जाएँगी जिनमें लोगों को व्यापार करना सिखाया जाएगा. हर वर्कशॉप में 25 लोगों को शामिल किया जाएगा. योजना केपहले साल में 25000 परिवारों को मदद मिलने की उम्मीद है.
अर्बन फ़ार्मिंग का आइडिया कहाँ से आया?
साल 2050 तक यह धरती 9.6 अरब लोगों का घर होगी. और तब सबको खाना मिलने की गारंटी (food security) तभी हो पाएगी जब हम अगले तीसेक साल में आज से 70 प्रतिशत ज़्यादा अनाज उगाएँगे. काम मुश्किल है, पर शायद नामुमकिन नहीं.
हरेक को बुनियादी और पौष्टिक खाना उपलब्ध कराना एक विराट समस्या है जिससे जूझने में शहरी इलाक़ों में खेती यानि अर्बन फार्मिंग (urban farming) एक प्रभावी विकल्प के रूप में सामने आया है. सिंगापुर, अमेरिका, इजराईल में इसके सफल मॉडल विकसित हुए हैं. शहर के लोगों द्वारा अपने उपभोग के लिए फल-सब्जियां उगाए जाना इस समस्या को हल करने की दिशा में एक बेहतर कारगर साबित हुआ है.
खुद फल-सब्जी उगाने, जानवर पालने का चलन वापस आया है जिसकी मुख्य वजह लोगों में लोकल खाने को लेकर जागरूकता, पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और आर्थिक बचत है. शहरों में खेती के लिए जगह नहीं है, शहर प्रदूषित हैं और अभी आर्गेनिक अनाज महँगा होने के कारण उसकी डिमांड पैसे वाले लोगों तक सीमित है जैसी चुनौतियों के बावजूद ऑर्गेनिक खेती अगर बड़े पैमाने पर होने लगे तो कम से कम हेल्दी भोजन के मामले में अमीर-गरीब के बीच भेद कुछ कम हो सकता है. और घनघोर ग़ैर-बराबरी वाली दुनिया में यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी.