खोजी महिलाएं : कहानी एडेलिन व्हिटनी की, जिन्‍होंने बनाया था बच्‍चों के लिए पहला एल्‍फाबेट ब्‍लॉक्‍स

एडेलिन आविष्‍कारक होने के साथ अपने समय की नामी लेखिका भी थीं, लेकिन वह ताउम्र फेमिनिज्म का विरोध करती रहीं.

खोजी महिलाएं : कहानी एडेलिन व्हिटनी की, जिन्‍होंने बनाया था बच्‍चों के लिए पहला एल्‍फाबेट ब्‍लॉक्‍स

Thursday February 23, 2023,

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यह 173 साल पुराने एक ऐसे आविष्‍कार की कहानी है, जिसके बारे में कोई सोच सकता है कि इसमें कौन सी बड़ी बात है. क्‍या मावनता को आगे बढ़ाने और समृद्ध करने में इस आविष्‍कार की भी कोई भ‍ूमिका है.  

लेकिन अगर इंसान के बच्‍चे के जनमने और उसके सीखने की मानवता को समृद्ध करने में कोई भूमिका है तो इस आविष्‍कार की भी है. कभी किसी छोटे बच्‍चे को एल्‍फाबेट ब्‍लॉक्‍स के साथ खेलते हुए देखकर सोचा है कि दुनिया का पहला एल्‍फाबेट ब्‍लॉक्‍स किसने बनाया होगा.

वो एक महिला थी, जिसका नाम था एडेलिन डुटन ट्रेन व्हिटनी. एडेलिना 19वीं सदी की शुरुआत की महत्‍वपूर्ण कवि और लेखकों में एक थी. उस दौर की प्रमुख स्‍त्री आवाजों में से एक. हालांकि फेमिनिस्‍टों से उनका हमेशा छत्‍तीस का आंकड़ा ही रहा. अपने लेखन के जरिए वह स्त्रियों की पारंपरिक भूमिकाओं की ही वकालत करती रहीं. उनका यकीन था कि स्‍त्री की पारंपरिक भूमिका और उसका मातृत्‍व ही उसके सबसे बड़े पूंजी है.  

शायद यही वजह रही होगी कि उन्‍होंने खोजी भी तो एक ऐसी चीज जो एक मां की जिंदगी को आसान और रचनात्‍मक बनाने वाली थी क्‍योंकि उस दौर में बच्‍चे को पालने, सिखाने, पढ़ाने की सारी जिम्‍मेदारी सिर्फ और सिर्फ महिलाओं की ही होती थी. न ही पुरुषों और न समाज का उस काम में कोई  योगदान था. हालांकि एडेलिन ने उस सोशल स्‍ट्रक्‍चर पर कभी सवाल नहीं किया.

एडेलिन का जन्‍म और शुरुआती जीवन

एडेलिन डूटन ट्रेन का जन्‍म अमेरिका के बॉस्‍टन में 15 सितंबर, 1824 को एक बहुत समृद्ध परिवार में हुआ था. पिता व्‍यापारी थे और उनका कारोबार रूस से लेरक दक्षिण अमेरिका तक फैला हुआ था. यूनियन पैसिफिक रेलरोड बनाने वाली प्रसिद्ध अमेरिकी जॉर्ज ट्रेन एडेलिन के कजिन थे.

बचपन से ही एडेलिन को पढ़ने का बहुत शौक था. वह जब 13 साल की थीं तो उनकी मां ने उन्‍हें मारिया एजवर्थ की सारी कहानियों की किताबें दीं. उन कहानियों का एडेलिन के दिमाग पर इतना गहरा असर हुआ कि वह खुद भी कहानियों की दुनिया में रहने लगी और कहानियां लिखने लगी. शायद खूब पढ़ने की आदत ने ही एडेलिन को राइटर बनाया.

एडेलिन की पूरी परवरिश और शिक्षा में उस दौर के कुलीन समाज के पितृसत्‍तात्‍मक मूल्‍यों का गहरा असर रहा. शायद यही कारण था कि वह सफरेज मूवमेंट का कभी हिस्‍सा नहीं बनीं. यही वह दौर था, जब महिलाओं के मतदान के अधिकारों की लड़ाई जोर पकड़ रही थी. छोटे से लेकर समाज के बड़े तबके तक हर जोर विमेन सफरेज मूवमेंट का जोर था ,जिसे इतिहास में फर्स्‍ट वेव फेमिनिस्‍ट मूवमेंट के नाम से भी जाना गया.

लेकिन एडेलिन उन अपवाद महिलाओं में थीं, जो इस आंदोलन का हिस्‍सा कभी नहीं बनीं. ग्‍लोरिया स्‍टाइनम ने फेमिनिस्‍ट आंदोलन के विरोध में  कंजरवेटिव एक्टिविस्‍ट महिलाओं के बारे में कभी लिखा था कि ये सारी महिलाएं समाज के अतिशय कुलीन और अमीर वर्ग से आती हैं, जिन्‍हें बुनियादी मानवीय अधिकारों से वंचित नहीं किया गया. खुद उनके दौर में भी फिली स्‍टूवर्ट समेत कई कंजरवेटिव एक्टिविस्‍ट महिलाएं फेमिनिस्‍ट आंदोलन के खिलाफ अलग से परंपराओं को बचाने का आंदोलन चलाती रहीं.

लेकिन ये देखना काफी रोचक है कि ऐडलिन के नारीवाद विरोधी विचारों के बावजूद महिला इतिहासकारों ने उनके काम न सिर्फ उन्‍हें क्रेडिट दिया, बल्कि उसके महत्‍व को इतिहास में दर्ज किए जाने में भी जरूरी भूमिका निभाई.

19 साल की उम्र में एडेलिन की शादी डनबर व्हिटनी से हुई, जो उनसे उम्र में 20 साल बड़े थे और बहुत अमीर बिजनेसमैन थे. शादी के बाद तकरीबन 10 साल तक एडेलिन ने कुछ भी नहीं लिखा और सिर्फ पारिवारिक जिम्‍मेदारियों में ही खपी रहीं.

उनके लिखने की शुरुआत तब हुई, जब तक 31 साल की हो चुकी थीं. बच्‍चे बड़े हो गए थे. शुरुआत कविताओं से हुई थी और उसके बाद उनकी एक के बाद एक कई कहानियों की किताबें और उपन्‍यास प्रकाशित हुए. एडेलिन की कहानियां वक्‍त के साथ काफी चर्चित हुईं और नामी लेखकों में उनका नाम शुमार किया जाने लगा.  

एल्‍फाबेट ब्‍लॉक्‍स का आविष्‍कार

इस संबंध में ज्‍यादा डॉक्‍यूमेंट नहीं मिलता कि एडेलिन ने पहला एल्‍फाबेट ब्‍लॉक कैसे बनाया होगा. 1860 के आसपास एडेलिन को पहला अल्‍फाबेट ब्‍लॉक्‍स का पेटेंट हासिल हुआ. यह लकड़ी के चौकोर खूबसूरत खानों को हाथ से तराशकर और पेंट करके बनाया गया ब्‍लॉक था, जिसे लकड़ी के एक बड़े से बक्‍से में इस तरह सेट किया गया था कि दाएं-बाएं हिलाकर ब्‍लॉक्‍स की पोजीशन को बदला जा सकता था. लकड़ी के बॉक्‍स में खूबसूरत रंगों में अल्‍फाबेट यानि ए, बी, सी, डी के साथ रंग-बिरंगे चित्र भी बने हुए थे.

आज यह कोई बड़ी बात नहीं लगती क्‍योंकि बच्‍चों को सिखाने के लिए आज बहुत तरह के क्रिएटिव और रचनात्‍मक तरीके मौजूद हैं. मार्केट में अलग-अलग आयु वर्ष के बच्‍चों के लिए ऐसे तरह-तरह के खिलौने मौजूद हैं, जिनकी मदद से उन्‍हें सिखाया जा सकता है.

लेकिन 1860 में जब पहला एल्‍फाबेट ब्‍लॉक बाजार में आया तो एक लोगों के लिए एक कौतुक और अचंभे वाली चीज थी. देखते ही देखते यह नई मांओं के बीच काफी पॉपुलर भी हो गई. धीरे-धीरे स्‍कूलों में भी बच्‍चों को पढ़ाने के लिए इन अल्‍फाबेट ब्‍लॉक्‍स का इस्‍तेमाल किया जाने लगा, जिसकी मदद से बच्‍चों को सिखाने की प्रक्रिया आसान और रोचक हो गई.

बात मामूली लग सकती है, लेकिन है नहीं. इन ब्‍लॉक्‍स का महत्‍व और उसका का मूल्‍य उस दो साल के बच्‍चे से पूछिए जो दिन रात उसे लेकर खेलता रहता है. एडेलिन ने अनेक असहमतियों के बावजूद इस आविष्‍कार का क्रेडिट तो उन्‍हें दिया ही जाना चाहिए.

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