ब्रेन लीग’ ने किया पेटेंट का रास्ता आसान
“मेरे पिता ने हमारी शिक्षा के लिए उसकी भूमि और बर्तन बेच दियें|”- ब्रेन लीग के सह-संस्थापक, अरुण नारासनी
अच्छा कलाकार नकल करता है, महान कलाकार चोरी करता है- - पाब्लो पिकासो (स्टीव जॉब्स द्वारा उद्धृत)
कई बार, इतिहास की पुस्तकों की चर्चा करते हुए, हम ऐसे लोगों के बारे में जानते हैं जिनके आईडिया को दूसरें लोगों ने चुराया और उनका दिवालिया निधन हो गया| और फिर मैरी क्यूरी जैसे लोग भी थे जिन्होंने अपने आविष्कार को बिना लाइसेंस या पेटेंट के फ्री में दुनिया को दिया, ताकि इसका प्रतिबंध के बिना इस्तेमाल किया जा सके|
ब्रेन लीग के सह-संस्थापक, अरुण नारासनी लोगों और संस्थाओं के लिए लिखने और फ़ाइल पेटेंट आवेदनों के इस क्षेत्र में सही प्रक्रिया और अनुसंधान का उपयोग करने में मदद कर रहे हैं|
शुरूआती जीवन
अरुण गुंटूर के पास एक गांव में पैदा हुए| उनके पिता एक कलाकार थे| अरुण जब बहुत छोटे थे तो उनके पिता फिल्म उद्योग से जुड़ने के लिए चेन्नई चले गये और सहायक निर्देशक के रूप में काम किया| अरुण ने LKG से 7वीं तक चेन्नई में अध्ययन किया| जब उनके पिता ने प्रोडक्शन शुरू किया तो उन्होंने अपना सारे पैसे खो दिये| तब पूरे परिवार को वापस गुंटूर लौटना पड़ा| अरुण खुलकर कहते हैं, “चीजे कठिन होती जा रही थी और मेरे पिताजी नगदी के लिए सारा सामान बेच रहे थे और उन्होंने हमारी शिक्षा के लिए कुछ जमीन भी बेच दी| किसी तरह उन्होंने मेरे भाई को residential junior college में डाला| क्योंकि वे कहते थे कि वह पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करे| और मुझे याद है उन्होंने मेरी माँ की एक चैन भी बेच दी और हमने 70 वीडियो कैसेट के साथ एक छोटा सी वीडियो की दुकान शुरू की| मैं ज्यादातर समय चलाता था| मैंने गुंटूर में कैसेटों के लेने और देने का काम किया| हमनें तीन साल तक यह काम किया| मैं 8वी से 10वीं के बीच इसमे नही था, उस समय में पढाई करता था| धीरे-धीरे एक और दो ढाई साल में हमने एक छोटी सी बेकरी शुरू की, जिसमे हम एक दिन में अधिकतम 300 रुपए कमाते थे और किसी तरह हमारा अस्तित्व जारी रहा|”
आइआइटी की यात्रा
अरुण जब 9वी में थे तो वह कुछ दोस्तों के संपर्क में आये, जो अच्छे परिवार से थे और उन्हें जीवन में कुछ करने का एहसास हुआ| उन्होंने कड़ी मेहनत से अध्ययन करना शुरू किया| जिसके परिणाम के रूप में, उन्होंने सीबीएसई में 74 प्रतिशत के साथ स्कूल की शिक्षा समाप्त की|
आईआईटी में शामिल होने के अपने फैसले के बारे में, अरुण याद करते हुए कहते हैं, “मैंने अपने पिताजी से कहा कि मुझे अच्छे स्कूल में डालों| मैं आइआइटी में जाना चाहता हूँ तो वे आश्चर्यचकित हो गये| उन्होंने मुझे अच्छे स्कूल में डाला| मैंने उनसे साफ कह दिया था कि मुझे दुकान में काम नही करना, मुझे कुछ अलग करना है, मैं जेईई पर ध्यान केंद्रित करना चाहता हूँ| मेरा भाई मेरा मजाक बनाता था लेकिन यह उसकी गलती नही थी| जब मैं स्कूल में गया तो मुझे पता चला कि मेरी चीजों के प्रति समझ कम है, मैंने पिछले पांच-छह साल की किताबें लेकर, 7वीं से ही दो साल के लिए आईआईटी जेईई के लिए अध्ययन शुरू कर दिया| और मैंने जेईई पास किया और आईआईटी मद्रास गया| यह मेरे लिए एक महान क्षण था|”
ब्रेन लीग
आईआईटी के बाद अरुण ने आईआईएम बैंगलोर में शामिल होने से पहले मफसिस, कॉग्निजेंट सहित विभिन्न कंपनियों में काम किया| आईआईएम बैंगलोर में अध्ययन के दौरान अरुण अपने पुराने दोस्त और सहपाठी कल्याण कंकनाला से मिले, जिसने अमेरिका से ‘मास्टर इन लॉ’ और नेशनल लॉ स्कूल से अपनी ‘पीएचडी’ कर रहा था| उनकी नियमित बातचीत के दौरान, आईपी और पेटेंट की समस्या उनके सामने आयी| और इस तरह उन्होंने इसकी अहमियत और वैश्विक आईपी में वास्तविक अवसर को देखा| जिसके बाद उन्होंने उद्यमशीलता की यात्रा शुरू की|
नाम के बारे में बात करते हुए, अरुण कहते हैं, “ब्रेन लीग लोगों की असाधारण लीग का प्रतिनिधित्व करता है जो रचनात्मकता का उपयोग करके दुनिया को एक बेहतर जगह बनाता है| वाक्यांश की सोच फिल्म ‘The league of extraordinary gentlemen’ से प्रेरित है|”
यह क्या करता है
ब्रेन लीग व्यक्तियों और कॉरपोरेशन के पेटेंट आवेदन लिख कर उन्हें फ़ाइल करने और पेटेंट प्राप्त करने में मदद मदद करता है| उनके पास अलग-अलग टीम है जो हर हर क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं| टीम आविष्कार को समझने के लिए बहुत विस्तृत स्तर पर काम करती है| टीम बेहतर काम करती है और भाषा का सही तरह इस्तेमाल करती है जो आविष्कारक के अधिकारों को नाकाम करना मुश्किल कर देता है|
2004 में शुरू होने के बाद से ब्रेन लीग ने, 100 से अधिक कर्मचारियों सहित 5 से अधिक कार्यालयों को खोला है, जिसमे से एक खाड़ी क्षेत्र में है| उन्होंने पिछले 9 साल में 500 से अधिक ग्राहकों को सेवायें दी हैं और शुरुआत के बाद से हर साल कम से कम 25 प्रतिशत का इजाफा हो रहा है, जबकि वित्तीय वर्ष 2012-2013 में 100 प्रतिशत की वृद्धि हुई है|
महत्वपूर्ण बातें
अरुण अपनी यात्रा से अपनी महत्वपूर्ण बातोँ को साझा करते हैं-
1- धैर्य और दृढ़ता हमेशा प्रतिफल देते हैं| हर चीज समय लेती है| उद्यमी यात्रा के दौरान धैर्य अत्यंत महत्वपूर्ण है|
2- फोकस ही चाभी है| बहुत से अवसर आते और जाते रहते हैं लेकिन अंत में, पहचान करना और उस पर बने रहना जो वास्तव में अच्छा और उपयोगी हो, महत्वपूर्ण है|
3- शानदार आईडिया कुछ नहीं होता है| यह किसी के जुनून और बाजार में स्वीकार्यता के बारे में है| यदि किसी विशेष उत्पाद / सेवा के लिए मार्किट है तो वह अपनी जगह बना सकता है|
समाप्त करने से पहले, अरुण साथी उद्यमियों के लिए गीता से एक कविता संदेश के रूप में छोड़ जाते हैं-
कर्मण्येवाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचन|
माकर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि||