74 की उम्र में सफलता का स्वाद चख रहे बलबीर बजाज, ऐसे खड़ा किया 700 करोड़ का करोबार
बलबीर ने इंपोर्टेड अफगान ड्राई फ्रूट्स बेचने के लिए पंजाब के अमृतसर में केबीबी नट्स (KBB Nuts) नामक एक ट्रेडिंग बिजनेस के साथ साठ के दशक के मध्य में अपना करियर शुरू किया था।
ड्राई फ्रूट्स के बिजनेस में उस समय 30 से अधिक वर्षों का अनुभव रखने वाले बाल्बीर कहते हैं, "किसी नए क्षेत्र में उद्यम स्थापित करने से बेहतर है कि उसी फील्ड में अपना उद्यम स्थापित किया जाए जिसमें आप पहले से ही अनुभव रखते हों।"
74 वर्षीय बलबीर बजाज जब 10 साल के थे तब पिता का साया उनके सिर से उठ गया था। बलबीर का कहना है कि उनके पिता के निधन से उन्हें शुरुआती जीवन में ही आत्मनिर्भर बनना पड़ा। वे कहते हैं, "मैंने 22 साल की उम्र में अपना करियर शुरू किया। उस उम्र में परिवार का एकमात्र कमानेवाला इंसान होना मेरे लिए आसान नहीं था। लेकिन जब मैं वापस देखता हूं, तो मेरी 52 वर्ष लंबी यात्रा बहुत उपयोगी और पुरस्कृत सी मालूम पड़ती है।"
बलबीर ने इंपोर्टेड अफगान ड्राई फ्रूट्स बेचने के लिए पंजाब के अमृतसर में केबीबी नट्स (KBB Nuts) नामक एक ट्रेडिंग बिजनेस के साथ साठ के दशक के मध्य में अपना करियर शुरू किया था। इसी तरह उन्होंने लगभग तीन दशकों तक अपने इस ट्रेडिंग बिजनेस को जारी रखा। इसके बाद उन्हें महसूस हुआ कि अब उनका व्यापार अच्छा खासा चल पड़ा है। वे कहते हैं, "बिजनेस से लगातार 2-3 करोड़ रुपये का कारोबार हो रहा था। मुझे एहसास हुआ कि अब आगे बढ़ने के लिए, मुझे मैन्युफैक्चरिंग में उतरना पड़ेगा।"
ड्राई फ्रूट्स के बिजनेस में उस समय 30 से अधिक वर्षों का अनुभव रखने वाले बाल्बीर कहते हैं, "किसी नए क्षेत्र में उद्यम स्थापित करने से बेहतर है कि उसी फील्ड में अपना उद्यम स्थापित किया जाए जिसमें आप पहले से ही अनुभव रखते हों।" इसलिए, 1996 में, बालबीर ने ड्राई फ्रूट्स को प्रोसेस करने के लिए अमृतसर में एक नई इकाई की स्थापना की, साथ ही ड्राई फ्रूट्स बेचने के लिए 'तुलसी' नामक एक ब्रांड भी लॉन्च किया। तुलसी के तहत, कंपनी कच्चे और फ्लेवर्ड बादाम, काजू, पिस्ता, अखरोट और अन्य सूखे फल ऑफर करती है।
पिछले दो दशकों में, केबीबी ने लगातार फायदे का बिजनेस किया है और तेजी से आगे बढ़ा है। आज, कंपनी के पास दिल्ली, हरियाणा और आंध्र प्रदेश में तीन अत्याधुनिक, इन-हाउस उत्पादन फैसिलिटीज हैं, और सभी प्रमुख रिटेल स्टोरों में ये मौजूद है। कंपनी वर्तमान में 700 करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है। इसके अलावा 2,500 लोगों को रोजगार देती है और अमेरिका, यूरोप और मध्य पूर्व में 20 से अधिक देशों को निर्यात करती है।
बलबीर कहते हैं, "हमारा लक्ष्य हर भारतीय परिवार को स्वस्थ और स्वच्छ नट्स और ड्राई फ्रूट्स प्रदान करना है। ऐसा करने के लिए, हमने उच्च स्वच्छता मानकों को प्राप्त करने के लिए मशीनीकरण में भारी निवेश किया है। " 2013 में, केबीबी ने प्रीमियम कस्ट्मर्स के लिए गोरमिया (Gourmia) नामक एक और ब्रांड लॉन्च किया। बलबीर कहते हैं, "भारत वास्तव में एक विविध बाजार है। हालांकि कुछ लोग मोलभाव करते हैं तो कुछ कीमतों के बावजूद, बेस्ट क्वालिटी का विकल्प चुनते हैं। इसलिए गोरमिया उन कस्टमर के लिए है जो कीमतों से इतर, बेस्ट क्वालिटी चाहते हैं।"
वैसे फूड इंडस्ट्री में सफलता पाना बलबीर के लिए आसान नहीं था। वह कहते हैं, "पंजाब से बाहर एक व्यवसाय का निर्माण करने में कई नुकसान थे।" बलबीर कहते हैं कि एक कंपनी अमृतसर में रहकर पूरे भारत में अपना बिजनेस नहीं फैला सकती। उनके अनुसार, पंजाब में किसी भी सरकार ने उद्योग को प्राथमिकता नहीं माना है, और नतीजतन, अमृतसर में उद्योगों के लिए बेसिक बुनियादी ढांचे की कमी है।
अमृतसर में राज्य मामलों के कामकाज से निराश बलबीर कहते हैं, "सरकार उद्योग को प्राथमिकता क्यों नहीं मान सकती? हमारे राज्य में युवाओं के बीच नशे की लत की समस्या है। क्या सरकार को यह अहसास नहीं होता कि अगर यहां उद्योग बढ़ेगा तो युवाओं के लिए रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे और ड्रग की खपत अपने आप पर गिर जाएगी?" इंडस्ट्री में लगभग 50 वर्षों का अनुभव रखने वाले बलबीर के पास इच्छुक उद्यमियों के लिए कुछ सुझाव हैं। वे कहते हैं कि समय काफी तेजी से बदला है। "आज, मल्टीनेशनल कंपनियों ने एक बड़ी कंपटीशन दी है, और इसलिए, छोटे प्लेयर्स के लिए खुद का कुछ शुरू करना बहुत मुश्किल है।"
इस चुनौती को दूर करने के लिए, बलबीर का कहना है कि लोगों को समूह या कंपनी के रूप में व्यवसाय की दुनिया में उद्यम करना चाहिए, ताकि वे अपने काम को एक बेहतर पैमाने पर शुरू कर सकें। भविष्य में, बलबीर विदेशों की अपेक्षा भारत में ग्रोथ की अधिक गुंजाइश देख रहे हैं। वह कहते हैं, "भारत एक बड़ा बाजार है। हम अपने ब्रांड - तुलसी और गोरमिया को हर भारतीय घर के लिए पसंदीदा विकल्प बनने की इच्छा रखते हैं।"
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