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चचेरे भाइयों ने मिलकर दादाजी की टेलरिंग की दुकान से बना ली 60 करोड़ की कंपनी

चचेरे भाइयों ने मिलकर दादाजी की टेलरिंग की दुकान से बना ली 60 करोड़ की कंपनी

Saturday September 23, 2017 , 4 min Read

कंपनी द्वारा बनाए गए कपड़ों की तुलना लंदन के बेहतरीन ब्रैंड सिवल रो से की जाती है। इस कंपनी को यहां तक पहुंचाने में पीएन राव की तीसरी पीढ़ी का बड़ा हाथ है। 47 साल के नवीन पीशे औऱ 38 साल के केतन पीशे इस कंपनी का कामकाज संभाल रहे हैं। 

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सन 1998 के बाद बेंगलुरु शहर की तकदीर बदलनी शुरू हो गई थी। उसके बाद यहां नई-नई कंपनियां आने लगीं और शहर में नए तरीके के उपभोक्ताओं का आगमन हुआ।

कंपनी के संस्थापक पीएन राव ने एक लोकल कंसल्टिंग फर्म के जरिए यह जानने की कोशिश की थी कि उनकी मजबूती और कमजोरी क्या है। उन्हें पता चला कि उनके बनाए सूट्स की मांग सबसे ज्यादा है।

1923 में सिलाई की एक छोटी सी दुकान से लेकर आज 60 करोड़ के रेवेन्यू बनाने तक पीएन राव द्वारा स्थापित कंपनी ने एक लंबा सफर तय किया है। उनकी कंपनी ने इस साल 60 करोड़ का रेवेन्यू हासिल किया है और 2020 तक इसे 100 करोड़ करने की योजना भी है। उनका लक्ष्य 2023 में 190 करोड़ कर देने का है। उनकी कंपनी के अभी सिर्फ 7 स्टोर हैं जिसे आने वाले वक्त में 35 करने की भी योजना है। पीएन राव यानी पीशे नारायण राव जो कि अब इस दुनिया में नहीं हैं। वे बेंगलुरु के कैंट एरिया में लेडीज और ऑफिसर्स के कपड़े सिलने के लिए जाने जाते थे। बेंगलुरु में उनकी 100 स्क्वॉयर फीट की दुकान हुआ करती थी।

आज उन्हीं पीएन राव के विशाल ऑफिस में उनकी 6 फीट की तस्वीर टंगी हुई है जो ग्राहकों और कर्मचारियों को उनकी प्रतिबद्धता और मेहनत की याद दिलाती रहती है। उनकी कंपनी द्वारा बनाए गए कपड़ों की तुलना लंदन के बेहतरीन ब्रैंड सिवल रो से की जाती है। इस कंपनी को यहां तक पहुंचाने में पीएन राव की तीसरी पीढ़ी का बड़ा हाथ है। 47 साल के नवीन पीशे औऱ 38 साल के केतन पीशे इस कंपनी का कामकाज संभाल रहे हैं। दोनों चचेरे भाइयों के बीच न केवल अच्छा तालमेल है बल्कि दोनों अपनी व्यावसायिक रणनीति साथ में तय करते हैं। यही वो नींव है जिसे उन्होंने परिवार के मूल्यों से मजबूत बनाकर रखा है।

इन्होंने 2006 में यह तय किया था कि अपने रेवेन्यू को दस गुना कर देना है। सिर्फ रेवेन्यू ही नहीं, दोनों ने यह भी सोचा कि इस ब्रैंड को टॉप पर पहुंचा देना है। केतन कहते हैं, 'हम पहली बार अपने यहां उच्च स्तर की ईआरपी प्रणाली लागू कर रहे हैं।' उनकी वेबसाइट तैयार हो गई है, लेकिन माइक्रोसॉफ्ट की मदद से पूरे ग्रुप का कामकाज एक सिंगल डैशबोर्ड पर होगा। इसमें 8 स्टोर और एक मैन्युफैक्चरिंग प्लान भी शामिल रहेगा। इससे ग्रुप को कैश मैनेजमेंट सिस्टम को भी समझने में मदद मिलेगी।

हालांकि इस कंपनी की विशेषज्ञता उनके अच्छी क्वॉलिटी के सूट्स में है। उनके काम को देखकर आपको अपना कॉलर ऊंचा करने का मौका मिल जाएगा। सन 1998 के बाद बेंगलुरु शहर की तकदीर बदलनी शुरू हो गई थी। उसके बाद यहां आई कंपनियां आने लगीं और शहर में नए तरीके के उपभोक्ताओं का आगमन हुआ। लेकिन आईटी कंपनियों के कर्मचारी सिले हुए कपड़े कम ही पहनते थे। उस समय रेडीमेड गारमेंट का चलन काफी बढ़ रहा था। इस वजह से उस वक्त पीएन राव को भी अपनी दुकान में ट्राउजर्स और शर्ट्स रखनी पड़ीं।

लेकिन पीएन राव के इस दुनिया से विदा लेने के बाद उनके पोतों ने वैन हेउसन की कुछ फ्रैंचाइजी ली और 2006 में कंपनी का रेवेन्यू 1 लाख डॉलर यानी 6.4 करोड़ हो गया। अच्छी क्वॉलिटी और उचित मूल्य की वजह से बेंगलुरु में इस कंपनी की लोकप्रियता बढ़ती ही गई। उन्होंने धीरे-धीरे अरविंद और रेमंड जैसी कंपनियों की फ्रेंचाइजी भी ले ली। वक्त के साथ-साथ उन्होंने कंपनी के परिचालन का भी तरीका बदला और सारा काम ऑनलाइन सिस्टम के जरिए से होने लगा। इससे रेवेन्यू काफी किफायती हो गया। कंपनी के संस्थापक पीएन राव ने एक लोकल कंसल्टिंग फर्म के जरिए यह जानने की कोशिश की थी कि उनकी मजबूती और कमजोरी क्या है। उन्हें पता चला कि उनके बनाए सूट्स की मांग सबसे ज्यादा है।

इसके बाद उन्होंने प्रीमियम सेगमेंट पर ध्यान देना शुरू कर दिया। आज उनके फाइन सूट्स की डिमांड सबसे ज्यादा है। ये मशीनों के जरिए बनाए जाते हैं। इसमें अलग-अलग तरीके का पैटर्न और कस्टमाइजेशन होता है। उनकी फैब्रिक की गुणवत्ता काफी अच्छी होती है। कपड़े की बनावट कुछ ऐसी होती है कि कपड़ा बॉडी पर बिलकुल फिट बैठता है। नवीन और केतन के पिता चंद्रशेखर और मछेंद्र ने उन्हें 3 करोड़ रुपये दिए जिसकी बदौलत इन युवाओं ने अपने नए शोरूम खोले थे। सिर्फ 20 महीनों के अंदर स्टोर से कैश ऑपरेशन होने लगा। ग्रुप ने सात और स्टोर खोलने के लिए उनमें 23 करोड़ का निवेश किया है।

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