2018 के फंडिंग के आंकड़े दे रहे हैं भारत में एक परिपक्व स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के उद्गम का संकेत
बीते रविवार तक, इस वर्ष भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र ने करीब 11 बिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की है। यह वर्ष 2017 में प्राप्त किये गए 13.7 बिलियन डॉलर का 80 प्रतिशत है।
कुल 712 इक्विटी डीलों में से 32 का निवेश 100 मिलियन डॉलर या उससे अधिक का था और इसमें से भी 21 चरणों का 66 प्रतिशत उन कंपनियों को मिला था जो पहले से ही स्थापित नाम हैं।
वर्ष 2018 के फंडिंग डाटा के मुताबिक भारतीय स्टार्टअप्स विदेशी निवेशकों की पहली पसंद बन रहे हैं और वे उन्हें लेकर बेहद उत्साहित हैं और निवेशक उन कंपनियों पर बड़ा दांव खेल रहे हैं जिनमें बढ़ने की संभावना हैं। इसके अलावा क्षेत्र के कुछ बिल्कुल स्पष्ट पसंदीदा भी हैं लेकिन कुल मिलाकर साल भर का फंडिंग डाटा इस बात के साफ संकेत देता है कि भारतीय स्टार्टअप का पारिस्थितिकी तंत्र तेजी से परिपक्व हो रहा है।
साल भर का फंडिंग डाटा प्रदर्शित करता है कि अब तक कौन सा विषय मनन और अटकलों में रहा है जो भारतीय स्टार्टअप के पारिस्थितिकी तंत्र की परिपक्वता का स्पष्ट संकेत है। वाईएस रिसर्च का फडिंग डाटा स्पष्ट करता है कि कैसे आज की तारीख में निवेशक भारतीय औद्यौगिक पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति पहले से कहीं अधिक उत्साही हैं और बड़ा दांव लगा रहे हैं।
हालांकि इस बार दांव उन स्टार्टअप्स पर लगाए जा रहे हैं जो प्रारंभिक चरण में परीक्षा से बच गए हैं और आगे बढ़ने की क्षमता दिखाते रहे हैं। इसके अलावा निवेश से संबंधित आंकड़े निवेशकों के जोखिम लेने की बढ़ती क्षमता को भी दिखाते हैं जिसमें इस वर्ष हुए समझौतों की गति और संख्या में वृद्धि साफ पता चलती है। इसके साथ ही निवेशक ई-कॉमर्स जैसे आम हो चुके क्षेत्रों में दिलचस्पी न दिखाते हुए ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे उभरते हुए तकनीक केंद्रित क्षेत्रों में निवेश कर रहे हैं, जो पिछले साल तक उनकी प्राथमिकता में नहीं थे।
एक निवेशक के मुताबिक इस वर्ष स्टार्टअप से आने वाले विचारों में एक बेहद महत्वपूर्ण बदलाव आया है जो बदले में निवेशकों के ध्यान को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। प्रारंभिक-चरण के एक निवेशक ने कहा, 'इस वर्ष कई अधिक मूल विचार सामने आ रहे हैं न कि स्व-केंद्रित विचार। उद्यमी भी ऐसे सिद्धांतों के साथ सामने आ रहे हैं जिनका सारा ध्यान भारत की मौजूदा समस्याओं को हल करने से जुड़ा है।'
बड़े नामों पर बड़ा दांव
बीते रविवार तक, इस वर्ष भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र ने करीब 11 बिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की है। यह वर्ष 2017 में प्राप्त किये गए 13.7 बिलियन डॉलर का 80 प्रतिशत है। इसमें से भी सबसे बड़ी रकम उन नामचीन खिलाड़ियों के पास गई है- जो स्वयं में पहले से ही ऐसे स्थापित नाम हैं और आगे बढ़ने और विस्तार की क्षमता को साबित कर चुके हैं।
कुल 712 इक्विटी डीलों में से 32 का निवेश 100 मिलियन डॉलर या उससे अधिक का था और इसमें से भी 21 चरणों का 66 प्रतिशत उन कंपनियों को मिला था जो पहले से ही स्थापित नाम हैं। इस वर्ष कोई बहुत बड़ा निवेश नहीं हुआ और बीते साल फ्लिपकार्ट को मिले मल्टी-मिलियन डॉलर निवेश के मुकाबले ओयो को मिली 1 बिलियन डॉलर की राशि सबसे बड़ी रही। इसके बजाय निवेश के रूप में पैसा पेटीएम मॉल (350 मिलियन डॉलर), ज़ोमैटो (410 मिलियन डॉलर), स्विगी (310 मिलियन डॉलर) और उड़ान (275 मिलियन डॉलर) जैसी पूर्व स्थापित और नामचीन कंपनियों के जिम्मे आया है।
आखिर में, होलसेल ई-कॉमर्स जैसे अपेक्षाकृत कम आकर्षक व्यवसाय के क्षेत्र में पांव रखने वाला बी2बी स्टार्टअप अपनी स्थापना के सिर्फ 26 महीनों के भीतर ही यूनिकॉर्न का तमगा प्राप्त करने में सबसे आगे रहा है।
अनुभव का फायदा उठाना
एक बेहद दिलचस्प आंकड़ा यह है कि फंडिंग पाने वाली शीर्ष कंपनियों की औसत आयु 9.6 वर्ष है। इनमें सबसे अल्पायु उड़ान और क्योर.फिट (2+ वर्ष) है जबकि सबसे उम्रदराज नामों में पाइनलैब्स (20+वर्ष) शामिल हैं। इसके अलावा बुकमाईशो, ड्रीम11 और ज़ोमैटो जैसे कई अन्य भी 10+ वर्ष पुराने हैं।
एक अन्य निवेशक कहते हैं, 'आज हम ऐसे स्टार्टअप चाहते हैं जो कठिन प्रतिस्पर्धा के इस दौर में मजबूत निष्पादन डीएनए के साथ विकास का एक स्पष्ट रास्ता प्रदर्शित कर सकने में सक्षम हों।'
तो क्या इसका मतलब यह है कि निवेशक अब अधिक सतर्क हो गए हैं? शायद, पूरी तरह से ऐसा नहीं है। प्री-सीरीज ए स्पेस में बहुत बड़ी पूंजी का निवेश हुआ है - 287 डील्स के जरिये 170 मिलियन डॉलर उठाया गया और 81 ए सीरीज सौदों के माध्यम से 465 मिलियन डॉलर का निवेश हुआ। सीरीज ए में निवेश की गई राशि में 1.3 गुना की वृद्धि हुई वह भी सौदों की संख्या में 10 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद जो निवेशकों के आत्मविश्वास और जोखिम उठाने की क्षमता को दर्शाता है।
सीरीज बी ने मात्रा और मूल्य में थोड़ी गिरावट देखी लेकिन सीरीज सी के चरण में निवेश की जाने वाली राशि तिगुनी हो गई जबकि सौदों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई। सीरीज डी की कहानी भी करीब ऐसी ही रही जिसमें वर्ष 2017 में हुए सौदों की संख्या में दोगुनी वृद्धि हुई जबकि राशि चैगुनी बढ़ी। इससे नीचे की वर्षमाला श्रंखला की कहानी भी बिल्कुल ऐसी ही है। याद रखिये कि इस वर्ष में हमारे पास करीब डेढ़ महीने का समय बाकी है और अभी ये आंकड़े और अधिक बेहतर हो सकते हैं।
उड़ने के लिये बहुत आसमान है
इसके अलावा वे क्षेत्र जिनकी तरफ बीते वर्ष किसी का ध्यान तक नहीं था उन्होंने बहुतों का ध्यान अपनी ओर खींचा है और बेहद अर्थपूर्ण निवेश पाया है। रोबोटिक्स और ऑटोमेशन के क्षेत्र में करीब 230 मिलियन डॉलर (2017 के 30 मिलियन के मुकाबले) का निवेश पाया है लेकिन एआई के क्षेत्र में और भी बड़ी कहानी लिखी जा रही है। वर्ष 2017 में एआई आधारित स्टार्टअप्स ने कुल 13 सौदों के जरिये कुल 5.88 मिलियन डाॅलर का निवेश पाया। इस वर्ष यह आंकड़ा बहुत तेजी से बढ़कर 23 सौदों में 294 मिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। इसका एक बड़ा हिस्सा बेंगलुरु आधारित थाॅटस्पाॅट की 145 मिलियन डॉलर की डी सीरीज चक्र का है।
ठहरने की सुविधा प्राप्त करवाने वाले स्टार्टअप की फंडिग तिगुनी होकर 1.06 बिलियन डॉलर तक पहुच गई जिसका प्रमुख कारण रहा ओयो को वर्ष के प्रारंभ में मिला 1 बिलियन डॉलर का निवेश रहा। एडटेक ने भी 2017 के 53 सौदों के 142 मिलियन डॉलर के मुकाबले इस वर्ष सुधार करते हुए कुल 41 सौदों के माध्यम से 200 मिलियन डॉलर का निवेश प्राप्त किया।
इसके अलावा फिनटेक इस वर्ष कुल 120 से अधिक सौदों के जरिये करीब 2 बिलियन डाॅलर का निवेश प्राप्त कर सबसे आगे रहा। बीते वर्ष यह ई-काॅमर्स के मुकाबले दूसरे स्थान पर रहा था जो फ्लिपकार्ट को मिले 3.9 बिलियन डॉलर के निवेश के बूते सबसे आगे रहा था। इस वर्ष ई-कॉमर्स और मार्केटप्लेस ने कुल 60 सौदों के माध्यम से 1.5 बिलियन डॉलर जुटाए।
काफी हद तक अचंभित करते हुए हेल्थकेयर के क्षेत्र में दिलचस्पी काफी घटी जो 2017 के कुल 75 सौदों से जुटाई गई 383 मिलियन डाॅलर की राशि के मुकाबले इस वर्ष 14 सौदों के जरिये 229 मिलियन डॉलर ही जुटा पाई है। फंडिंग के मामले में लॉजिस्टिक्स के भी यह साल काफी फीका ही रहा जो 17 सौदों के माध्यम से जुटाए गए 273 मिलियन डॉलर के मुकाबले इस वर्ष 20 सौदों के जरिये सिर्फ 194 मिलियन डॉलर का निवेश ही जुटा पाया।
उपरोक्त आंकड़ों से इस नतीजे पर पहुंचा जा सकता है कि यह साल भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के लिये विभक्ति का रहा जहां जिन कंपनियों ने विस्तार की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया उन्हें निवेशकों द्वारा उचित रूप से पुरस्कृत और उपकृत किया गया।
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