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इंजीनियरिंग छोड़ कुल्फ़ी बेचने लगे ये चार दोस्त, सिर्फ़ 1 साल में 24 लाख पहुंचा टर्नओवर

इंजीनियरिंग छोड़ कुल्फ़ी बेचने लगे ये चार दोस्त, सिर्फ़ 1 साल में 24 लाख पहुंचा टर्नओवर

Friday November 16, 2018 , 7 min Read

हम बात कर रहे हैं, ग्रीन कैसल फ़ूड ऐंड बेवरेजेज़ कंपनी की, जिसे नवीन कुमार, कार्तिक सुकुमारन, कार्तिकेयन ई और मिथिलेश कुमार ने मिलकर शुरू किया।

नवीन कुमार, कार्तिक सुकुमारन, कार्तिकेयन ई और मिथिलेश कुमार

नवीन कुमार, कार्तिक सुकुमारन, कार्तिकेयन ई और मिथिलेश कुमार


 कुल्फ़ी की लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए चार युवाओं ने मिलकर चेन्नई से कुल्फ़ी की मैनुफ़ैक्चरिंग और सेलिंग शुरू की। कंपनी मैनुफ़ैक्चरिंग के बाद सीधे अपने रीटेल पार्टनर्स को कुल्फ़ी की सप्लाई भी करती है।

क्या आप सोच सकते हैं कि अच्छा प्रोफ़ेशन अनुभव रखने वाले चार इंजीनियरों ने मिलकर कुल्फ़ी बेचने का बिज़नेस शुरू किया और सिर्फ़ एक ही साल में उनकी कंपनी का टर्नओवर 24 लाख रुपए तक पहुंच चुका है। हम बात कर रहे हैं, ग्रीन कैसल फ़ूड ऐंड बेवरेजेज़ कंपनी की, जिसे नवीन कुमार, कार्तिक सुकुमारन, कार्तिकेयन ई और मिथिलेश कुमार ने मिलकर शुरू किया।

शायद ही कोई ऐसा हो, जिसे आइसक्रीम का देसी वर्ज़न कुल्फ़ी न पसंद हो। भारत के लगभग हर शहर में अलग-अलग फ़्लेवर्स के साथ कुल्फ़ी को ख़ूब पसंद किया जाता है। कुल्फ़ी की लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए इन चारों ने मिलकर चेन्नई से कुल्फ़ी की मैनुफ़ैक्चरिंग और सेलिंग शुरू की। कंपनी मैनुफ़ैक्चरिंग के बाद सीधे अपने रीटेल पार्टनर्स को कुल्फ़ी की सप्लाई करती है। कंपनी के फ़ाउंडर्स ने गौर किया कि शहर में कुल्फ़ी आउटलेट्स की संख्या तेज़ी के साथ बढ़ रही है और इसलिए ही उन्होंने इसे एक बिज़नेस के तौर पर शुरू करने का फ़ैसला लिया।

कंपनी के को-फ़ाउंडर 25 वर्षीय नवीन कुमार कहते हैं, "हमने देखा कि लोगों के बीच कुल्फ़ी की काफ़ी लोकप्रियता है और ग्राहक रात में या बरसात के समय में विशेष रूप से कुल्फ़ी खाना पसंद करते हैं। लेकिन चेन्नई के गर्म और नमी वाले मौसम में कुल्फ़ी का बिज़नेस एक चुनौती भरा काम होता है।" नवीन और उनके साथियों ने इस चुनौती को दूर करने और शहरवासियों के ज़ायके का ख़्याल रखने के उद्देश्य के साथ 2017 में ग्रीन कैसल फ़ूड ऐंड बेवरेजेज़ कंपनी की शुरुआत की, जो 'बूज़ो कुल्फ़ी' ब्रैंड के नाम से कुल्फ़ी का बिज़नेस करती है। महज़ सिर्फ़ एक साल में ही यह कंपनी 24 लाख रुपए तक के टर्नओवर तक पहुंच चुकी है। एसएमबी स्टोरी ने कंपनी के को-फ़ाउंडर नवीन कुमार से बातचीत की। यहां पर इस बातचीत के कुछ अंश पेश हैं:

योरस्टोरीः कंपनी ने सिर्फ़ एक ही साल में 24 लाख रुपए का टर्नओवर कैसे हासिल किया?

नवीन कुमारः मेरे सभी साथी और कंपनी के को-फ़ाउंडर्स 25 साल के ही हैं और हमने साथ ही में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी, लेकिन हम अलग-अलग सेक्टरों में काम कर रहे थे। हमारे पास मार्केटिंग और फ़ाइनैंस से लेकर ह्यूम रिसोर्सेज़ के क्षेत्रों में अच्छा अनुभव रखने वाले साथी थे और इसलिए ही हमने तय कि हम अपने अनुभवों का सही इस्तेमाल करते हुए एक बिज़नेस शुरू करेंगे और उसे आगे बढ़ाएंगे। रिसर्च के दौरान हमने देखा कि शहरवासियों के बीच कुल्फ़ी की अच्छी मांग है और हमने इस बिज़नेस के साथ ही आग़ाज़ करने का फ़ैसला लिया।

सबसे पहले हमने मिनिस्ट्री ऑफ़ माइक्रो, स्मॉल ऐंड मीडियम एंटरप्राइज़ेज़ का सहारा लिया और नए ऑन्त्रप्रन्योर्स के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से जाना। हम सभी ने 10-10 हज़ार रुपए का सहयोग किया और इसके बाद एक लाख रुपए की राशि और जुटाई। इसके अलावा हमने 26 लाख रुपए का लोन भी लिया। पर्याप्त पैसा जुटा लेने के बाद हम सभी ने अपने प्रोफ़ेशन अनुभव का इस्तेमाल करते हुए कुल्फ़ी की मैनुफ़ैक्चरिंग और सेलिंग शुरू की। हमने पार्क और बीच जैसी जगहों पर कुल्फ़ी बेचने से शुरुआत की।

योरस्टोरी: अभी तक की यात्रा में आपने कौन सी बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं?

नवीन कुमारः शुरुआत में हम 80 स्कवेयर फ़ीट की जगह पर कुल्फ़ी की मैनुफ़ैक्चरिंग करते थे। कुछ समय बाद हमने नई फ़ैक्ट्री शुरू की, जो 1 हज़ार स्क्वेयर फ़ीट के एरिया में फ़ैली हुई है।

हम इसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। दूसरी बड़ी उपलब्धि थी, बिज़नेस लोन का अप्रूवल। इस लोन को दिलाने में उद्योग आधार सर्टिफ़िकेट ने हमारी काफ़ी मदद की। हमने कैनरा बैंक में लोन के लिए अर्ज़ी दी और हमारे बिज़नेस आइडिया से सहमत होने के बाद बैंक ने 26 लाख रुपए का स्वीकृत किया।

योरस्टोरी: इस सेक्टर का मार्केट साइज़ कितना है और आपकी कंपनी अपने प्रतिद्वंद्वियों से किन मायनों में अलग है?

नवीन कुमारः हमारे अंदाज़े के मुताबिक़, इस सेक्टर का मार्केट साइज़ लगभग 5 हज़ार करोड़ रुपए का है। अभी हम इस बिज़नेस में नए हैं और कुछ अलग करने के लिए हम बूज़ो कुल्फ़ी को सीधे रीटेल शॉप्स तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। हमारे प्रतिद्वंद्वी मुख्य रूप से अपने आउटलेट्स के ज़रिए सेलिंग पर भरोसा करते हैं। सीधे रीटेल शॉप्स तक माल पहुंचाने की तरकीब की बदौलत हम अपने ग्राहकों के दरवाज़े तक सीधे पहुंच बनाने में क़ामयाब हो रहे हैं। इतना ही नहीं, क़ीमत के मामले में भी हम बाक़ी ब्रैंड्स से किफ़ायती हैं।

योरस्टोरी: इतने प्रतियोगी बाज़ार में अपने बिज़नेस को स्थापित करने और उसे आगे बढ़ाने की चुनौतियों के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?

नवीन कुमारः मुझे और मेरे साथियों को बिज़नेस का कोई अनुभव नहीं था और न ही हमारे परिवार में किसी के पास बिज़नेस का अनुभव था। ऐसे में हमें शुरुआती तौर पर बिज़नेस की बारीक़ियों को समझने में काफ़ी समय लगा और इसके लिए हमें काफ़ी संघर्ष भी करना पड़ा। मैं मानता हूं कि नए ऑन्त्रप्रन्योर्स के लिए वर्कशॉप्स और ट्रेनिंग आदि का आयोजन होना चाहिए। इससे उन्हें बिज़नेस संबंधी कौशल सीखने में मदद मिलेगी।

एसएमबीएसः आप सप्लायर मैनेजमेंट, कैश फ़्लो मैनेजमेंट और कैपिटल मैनेजमेंट आदि का प्रबंधन कैसे करते हैं?

नवीन कुमारः हम अपने सप्लायर्स से जो वादा करते हैं, उसे पूरी तरह निभाते हैं। इस तरह सप्लायर्स का हम पर भरोसा कायम होता है, जो किसी भी बिज़नेस रिलेशनशिप के लिए बेहद ज़रूरी है। इसके साथ-साथ, हम अपने मुनाफ़े का एक निर्धारित हिस्सा, बैकअप फ़ंड के तौर पर भी संभाल कर रखते हैं। हमारी कोशिश रहती है कि क्रेडिट पर कोई भी प्रोडक्ट न दिया जाए। इतना ही नहीं, हम हर दिन बैंक में कैश जमा करते हैं और इस तरह से बैंक और हमारे बीच भी विश्वास बना रहता है।

योरस्टोरी: ग्राहकों को लुभाने के लिए आप किस तरकीब का इस्तेमाल करते हैं?

नवीन कुमारः हम डायरेक्ट रिलेशनशिप के माध्यम से ग्राहकों को आकर्षित करने की कोशिश करते हैं ताकि हमारे ब्रैंड का नाम उनके ज़हन में बैठ जाए। इसके लिए हम घनी आबादी वाले इलाकों में, कार्निवाल्स और ट्रेंड सेंटर्स में अपने स्टॉल्स लगाते हैं। इसके साथ-साथ हम ब्रैंड के प्रमोशन के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा लेते हैं।

योरस्टोरी: अभी तक आपके काम का ग्राहकों और समाज पर क्या असर हुआ है?

नवीन कुमारः हम डेयरी प्रोडक्ट मैनुफ़ैक्चरिंग के क्षेत्र में हैं और इस बात को मद्देनज़र रखते हुए हमारे पास अपार संभावनाएं हैं। जब ग्राहक हमारा उत्पाद चखते हैं तो उनके चेहरे पर एक संतुष्टि भरी मुस्कुराहट होती है और यह बात हर तबके के ग्राहकों के लिए है। साथ ही, इस क्षेत्र की संभावनाओं को हम रोज़गार के बेशुमार मौक़ों से भी जोड़कर देखते हैं। इसके अलावा, सही ढंग से टैक्स की भरपाई करके भी हमें संतुष्टि मिलती और हमें लगता है कि हमने देश के विकास के प्रति अपने जिम्मेदारी को पूरा किया।

योरस्टोरी: इस सेक्टर में बिज़नेस स्थापित करने की चाह रखने वालों के लिए आपकी क्या सलाह है?

नवीन कुमारः एक सफल ऑन्त्रप्रन्योर बनने के लिए आपके अंदर सकारात्मक सोच, दृढ़ता और आगे बढ़ने की ज़िद होना बेहद ज़रूरी है। बहुत नाप-तौल के आपको अपने सटीक लक्ष्य साधने की कोशिश करनी चाहिए। कभी भी डर को अपने ऊपर हावी मत होने दीजिए।

योरस्टोरी: आप अपने बिज़नेस के भविष्य के बारे में क्या सोचते हैं?

नवीन कुमारः हम चाहते हैं कि हमारी कंपनी भी स्टॉक एक्सचेंज की सूची में जगह बना पाए और लोग हमारे स्टॉक्स की ख़रीद-फ़रोख़्त करें। हम चाहते हैं कि 2023 तक ग्रीन कैसल का अपना डेयरी प्लान्ट हो।

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