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नेताजी की याद में सरकार जारी करेगी 75 रुपये का स्मारक सिक्का

नेताजी की याद में सरकार जारी करेगी 75 रुपये का स्मारक सिक्का

Thursday November 15, 2018 , 2 min Read

इस सिक्के का वजन 35 ग्राम होगा जिसमें 50 फीसदी चांदी, 50 फीसदी तांबा और 5-5 फीसदी निकल और जिंक का मिश्रण होगा। सिक्के के ऊपर नेताजी का झंडा फहराते हुए चित्र होगा और पृष्ठभूमि में सेल्युलर जेल भी दिखाई देगी।

तस्वीर साभार- कल्चरल इंडिया

तस्वीर साभार- कल्चरल इंडिया


आजाद हिंद फौज की स्थापना 1942 में स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी रास बिहारी बोस ने जापान में की थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस मानते थे कि जापान के सहयोग से भारत से ब्रिटिश हुकूमत का खात्मा किया जा सकता है।

भारत सरकार ने अब 75 रुपये का स्मारक सिक्का जारी करने का निर्णय लिया है। दरअसल नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आज से ठीक 75 साल पहले पोर्ट ब्लेयर में पहली बार तिंरगा झंडा फहराया था, जिसके उपलक्ष्य में यह सिक्का जारी करने का फैसला लिया गया। इस सिक्के का वजन 35 ग्राम होगा जिसमें 50 फीसदी चांदी, 50 फीसदी तांबा और 5-5 फीसदी निकल और जिंक का मिश्रण होगा। सिक्के के ऊपर नेताजी का झंडा फहराते हुए चित्र होगा और पृष्ठभूमि में सेल्युलर जेल भी दिखाई देगी।

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, 'पोर्ट ब्लेयर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस द्वारा पहली बार तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगांठ पर केंद्र सरकार के अधिकार के तहत 75 रुपये का सिक्का जारी किया जाएगा।' इस सिक्के की ढलाई सरकारी मिंट द्वारा की जाएगी। सिक्के के ऊपर अंकों में 75 लिखा होगा और रोमन लिपि में 'फर्स्ट फ्लैग होस्टिंग डे' भी लिखा जाएगा। बताया गया है कि देवनागरी लिपि में भी 'पहला तिरंगा फहराने का दिन' अंकित होगा।

30 दिसंबर, 1943 को, सुभाष चंद्र बोस ने पहली बार सेलुलर जेल, पोर्ट ब्लेयर में तिरंगा फहराया था। यह झंडा आजाद हिंद फौज का था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने 21 अक्टूबर को लालकिले पर राष्ट्रीय घ्वज फहराया था और सुभाष चंद्र बोस द्वारा बनाई गई आजाद हिंद फौज की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर एक पट्टिका का अनावरण किया था। मोदी ने कहा था, 'नेताजी का एक ही उद्देश्‍य था, एक ही मिशन था- भारत की आजादी। मां भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्‍त कराना। यही उनकी विचारधारा थी और यही उनका कर्मक्षेत्र था।'

आजाद हिंद फौज की स्थापना 1942 में स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी रास बिहारी बोस ने जापान में की थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस मानते थे कि जापान के सहयोग से भारत से ब्रिटिश हुकूमत का खात्मा किया जा सकता है।

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