किसान ससुर ने बहू को अपनी किडनी देकर कायम की एक नई मिसाल
मायके वालों ने जब मना किया बेटी की मदद करने से, तो पिता समान ससुर ने बहू की जान बचाने के लिए आगे बढ़कर दे दी अपनी किडनी...
अहमदाबाद के एक हॉस्पिटल में एक महिला भर्ती थी, वो काफी बीमार थी। उसका गुर्दा खराब हो गया था, उसे नए गुर्दे की जरूरत थी। उस महिला को जब उसके मायके वालों तक ने अपनी किडनी देने से इनकार कर दिया। ऐसे में उसके ससुर ने उसे अपनी किडनी दान कर उसकी जिंदगी बचाने का फैसला किया...
राजस्थान के एक ससुर ने अपनी बहू को किडनी दान करके एक नई मिसाल कायम की है।
वैसे तो भारत में किडनी ट्रांसप्लांट बहुत आम बात हो चली है लेकिन इस घटना ने सबका दिल जीत लिया है। अहमदाबाद के उसी हॉस्पिटल से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक वहां पांच हजार किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं जिसमें से केवल 3 केस ऐसे थे जहां परिवार के पुरुषों ने किडनी दान दिया। और ये वाली घटना तो सबसे ज्यादा अलग थी।
ससुर-बहू का रिश्ता पिता-बेटी के रिश्ते के समतुल्य है। मगर तमाम तरह की सामाजिक रूढ़ियों की वजह से इस रिश्ते में एक पिता-बेटी के रिश्ते जैसा संवाद, सरलता नहीं आ पाता है। ससुर-बहू के रिश्ते में स्नेह से ज्याद अनुशासन नजर आता है। लेकिन राजस्थान के एक ससुर ने अपनी बहू को किडनी दान करके एक नई मिसाल कायम की है।
बेदामी देवी को मिला जीवनदान
अहमदाबाद के एक हॉस्पिटल में एक महिला भर्ती थी, वो काफी बीमार थी। उसका गुर्दा खराब हो गया था, उसे नए गुर्दे की जरूरत थी। उस महिला को जब उसके मायके वालों तक ने अपनी किडनी देने से इनकार कर दिया। ऐसे में उसके ससुर ने उसे अपनी किडनी दान कर उसकी जिंदगी बचाने का फैसला लिया। पेशे से किसान हेमदास वैष्णव अपनी बहु को अपनी किडनी देने के लिए वो सब कुछ कर रहा है जो वो कर सकता है। हेमदास ने मीडिया को बताया कि एक बाप आसानी से अपने बेटे या बेटी को किडनी दे सकता है लेकिन एक ससुर का अपनी बहू के लिए ऐसा करना किसी जंग जीतने से कम नहीं है। हेमदास का मानना है कि उसकी बहू उसके बेटे की बीवी और उसके पोते की मां है, ऐसे में वो उसके लिए वो सब कुछ करेगा जो वो कर सकता है। राजस्थान के जैसलमेर के रहने वाले हेमदास नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट के लिए राजस्थान अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं, ताकि वो जल्द से जल्द अपनी बहू को अपनी किडनी दान कर सकें।
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'मेरे ससुर हैं भगवान का रूप'
हेमदास वैष्णव की बहू बेदामी देवी ने कहा है कि उसे बिल्कुल इस बात की उम्मीद नहीं थी कि उसके ससुर उसके लिए अपनी किडनी देंगे। बेदामी देवी ने बताया कि उसके खुद के पिता समेत उसके परिवार ने उसकी मदद करने से इनकार कर दिया था ऐसे में उसके सुसर उसके लिए भगवान की तरह सामने आए हैं। राजस्थान अस्पताल से नो ऑब्जेख्शन सर्टिफिकेट मिलने के बाद हेमदास की किडनी उनकी बहू को ट्रांसप्लांट की जा सकेगी। बेदामी देवी का इलाज अहमदाबाद के हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। वो चार महीने से वहां भर्ती है। वैसे तो भारत में किडनी ट्रांसप्लांट बहुत आम बात हो चली है लेकिन इस घटना ने सबका दिल जीत लिया है। अहमदाबाद के उसी हॉस्पिटल से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक वहां पांच हजार किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं जिसमें से केवल 3 केस ऐसे थे जहां परिवार के पुरुषों ने किडनी दान दिया। और ये वाली घटना तो सबसे ज्यादा अलग थी। अस्पताल की डॉक्टर प्रिया शाह ने टीओआई को बताया कि जिस ससुर ने अपनी बहू को जीवनदान दिया है उसको सैल्यूट करना चाहिए।
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ऐसी ही एक और प्रेरक घटना इस फादर्स डे को सामने आई थी जब नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल में एक ससुर ने अपनी बहू को किडनी दान कर समाज को 'बहू बेटी समान है' का संदेश दिया था। गुर्दे फेल हो जाने की वजह से मौत के मुंह में जा रही 33 साल की ममता यादव को उनके ससुर प्रेम सिंह ने किडनी देकर नई जिंदगी बख्शी थी।
ममता दिसंबर 2016 में एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित होकर अस्पताल में भर्ती हुई थीं। इसमें मरीज के शरीर की रोग प्रतिरोधी कणिकाएं इतनी बढ़ जाती हैं कि मरीज के फेफड़े, गुर्दे आदि आंतरिक अंग बुरी तरह प्रभावित होने लगते हैं। उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा था। बीमारी में उनके गुर्दे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे, कि उन्हें हीमोडायलिसिस पर रखना पड़ा। रोग प्रतिरोधी कणिकाओं को संभालने के लिए उनका लंबा इलाज चला। हालात यह हो गए कि हर सप्ताह उन्हें हीमोडायलिसिस कराना पड़ता। डॉक्टरों ने गुर्दा प्रत्यारोपण की सलाह दी।
सरकारी नियम के मुताबिक दानदाता परिवार का करीबी होना चाहिए। ममता के माता पिता को मधुमेह है इसलिए उनका गुर्दा नहीं लिया गया। कुछ दिन पहले ससुर प्रेम सिंह ने खुद ही बहू को गुर्दा दान देने की पेशकश की। जांच में दोनों को ब्लडग्रुप और बहुत से फैक्टर पॉजिटिव पाए गए। उन्होंने गुर्दा दान कर एक नई मिसाल कायम कर दी।