कैंसर से जूझ रही 12वीं की छात्रा ने बोर्ड परीक्षा में लाए 97.75 फीसदी अंक, डॉक्टर बनने का है सपना
काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस (CISCE) बोर्ड से 12वीं कर रहीं प्रमिता कैंसर से जूझ रही हैं लेकिन इसी दौरान उन्होंने 97.75 फीसदी अंकों से बोर्ड परीक्षा पास कर ली है.
हर बचपन से सुनते आए हैं कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती लेकिन इसे उत्तर प्रदेश के लखनऊ की प्रमिता तिवारी ने न सिर्फ अपना लक्ष्य बना लिया बल्कि उसे सच भी कर दिखाया.
काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस (CISCE) बोर्ड से 12वीं कर रहीं प्रमिता कैंसर से जूझ रही हैं लेकिन इसी दौरान उन्होंने 97.75 फीसदी अंकों से बोर्ड परीक्षा को पास कर लिया है.
कैंसर जैसी घातक बीमारी से जूझने के दौरान इस तरह का बेहतरीन प्रदर्शन करना आसान नहीं था. उन्हें अगस्त, 2021 में पता था कि वह एक्यूट माइनर ल्यूकेमिया की शिकार हैं, जो कि ब्लड और बोन मैरो का कैंसर है.
यह पता चलते ही प्रमिता के माता-पिता टूट गए. उनके रिश्तेदारों और दोस्तों को लगा अब प्रमिता के आगे की जिंदगी मुश्किल हो जाएगी और शायद वह अपनी पढ़ाई भी जारी नहीं रख पाएंगी.
इसकी कीमोथेरेपी के लिए उन्हें लखनऊ से गुरुग्राम जाना पड़ा. इस साल जनवरी में उन्हें बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराना पड़ा था. हालांकि, प्रमिता ने हिम्मत हारने से इनकार कर दिया और अपने इलाज के दौरान ही पढ़ाई पर फोकस बनाए रखा. यहां तक की वहां से उन्होंने अपना टर्म एक्जाम भी दिया.
उनके स्कूल प्रिंसिपल और बाकी टीचरों ने भी इस दौरान उनकी पूरी सहायता की. उनके लिए ऑनलाइन क्लासेज कराए गए. उनके एक्जाम सेंटर को भी लखनऊ से दिल्ली में स्थानांतरित करा दिया.
प्रमिता के इस उल्लेखनीय प्रदर्शन पर न सिर्फ उनके परिवार और शुभचिंतक गर्व महसूस कर रहे हैं बल्कि सोशल मीडिया पर भी लोग उनकी इस प्रेरणादायक स्टोरी को शेयर कर रहे हैं.
डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली प्रमिता ने बताया कि लगातार हॉस्पिटल जाने के कारण वह पढ़ाई में अपनी कंसिस्टेंटी को बरकरार नहीं रख पा रही थीं. लेकिन वह जितना भी पढ़ती थीं वह पूरे फोकस के साथ पढ़ती थीं.
वह हमेशा अपनी किताबें अपने साथ रखती थीं. उन्हें जब भी अच्छा महसूस होता था तब वह अपनी पढ़ाई करती थीं. हालांकि, वह खुद को पढ़ाई के लिए बहुत ज्यादा प्रेसर नहीं देती थीं.
इस दौरान उनके दोस्तों ने भी उनकी बहुत सहायता की और उन्हें स्टडी मैटेरियल्स मुहैया कराते रहे. वहीं, डॉक्टर भी उन्हें सलाह देते रहते थे.
प्रमिता के पिता उत्कर्ष तिवारी ने बताया कि रिजल्ट्स आने के बाद उनकी मदद करने वाले सभी लोगों ने कॉल करके उन्हें बधाई दी.
उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि प्रमिता की बीमारी अब कंट्रोल में है, लेकिन डॉक्टर्स के अनुसार उन्हें पूरी तरह से रिकवर करने में करीब 5 साल लग जाएंगे.