देशभक्ति के लिए कंपनियां खर्च करेंगी अपना पैसा, जानिए उन्हीं को कैसे होगा फायदा
आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर सरकार ने 'हर घर तिरंगा' अभियान चलाने की घोषणा की हुई है जिसमें लोगों को अपने घरों पर तिरंगा फहराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. यह अभियान ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के एक हिस्से के तौर पर आयोजित किया जा रहा है.
सरकार ने कंपनियों को ‘हर घर तिरंगा’ अभियान से जुड़ी गतिविधियों के लिये अपनी कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) निधि का इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है. सरकार की तरफ से जारी एक परिपत्र में कंपनियों को इस अभियान के लिए सीएसआर निधि का इस्तेमाल करने की छूट दी गई.
आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर सरकार ने 'हर घर तिरंगा' अभियान चलाने की घोषणा की हुई है जिसमें लोगों को अपने घरों पर तिरंगा फहराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. यह अभियान ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के एक हिस्से के तौर पर आयोजित किया जा रहा है.
इस अभियान के तहत कंपनियों को भी भागीदारी करने के लिए कंपनी अधिनियम, 2013 के सीएसआर प्रावधान में छूट देने की घोषणा की गई है. इस अधिनियम के तहत लाभ में चल रही कंपनियों को अपने तीन साल के औसत शुद्ध लाभ का कम-से-कम दो प्रतिशत सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना होता है.
कंपनी मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार को जारी इस परिपत्र में कहा कि 'हर घर तिरंगा' अभियान का उद्देश्य लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाना और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.
ऐसे में कंपनियां भी अपने सीएसआर फंड का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय ध्वज बनाने और उसकी आपूर्ति करने, पहुंच और विस्तार से जुड़ी गतिविधियों पर कर सकती हैं.
परिपत्र के मुताबिक, हर घर तिरंगा अभियान के लिए ये गतिविधियां कंपनी अधिनियम की अनुसूची सात के प्रावधानों के तहत सीएसआर निधि के दायरे में आएंगी. इन कार्यों को कंपनी सीएसआर नीति नियम, 2014 का हिस्सा माना जाएगा.
तिरंगे की कीमत में कमी के लिए फ्लैग कोड में बदलाव
बता दें कि, केंद्र सरकार ने देश की आजादी की 75वीं सालगिरह के मौके पर देश के हर एक घर पर तिरंगा फहराने का लक्ष्य रखा है.
इसी के मद्देनजर, केंद्र सरकार ने फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 में संशोधन किया है ताकि तिरंगे की कीमत में कमी आ जाए.
फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 के तहत राष्ट्रीय झंडे को बनाने के लिए केवल हाथ से काता या हाथ से बुनी हुई खादी का ही इस्तेमाल हो सकता था.
लेकिन, 30 दिसंबर, 2021 में फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002 में संशोधन के बाद राष्ट्रीय ध्वज अब हाथ से काता और हाथ से बुना या मशीन से बना, कपास, पॉलिएस्टर, ऊन, रेशम खादी बंटिंग से बनाया जा सकता है.
यह अभियान आजादी का अमृत महोत्सव का हिस्सा है. इसके तहत देशभर में 25 करोड़ राष्ट्रीय झंडों को बेचने और फहराने का लक्ष्य रखा गया है. सरकार ने साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय ध्वज को मुफ्त में नहीं बांटा जाएगा. लोगों को उन्हें खरीदना होगा.
कारोबारियों को मांग में जोरदार उछाल की उम्मीद
व्यापारियों के प्रमुख संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि इस अभियान की वजह से तिरंगे की मांग में जोरदार उछाल की उम्मीद.
कैट ने अपनी दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, ओडिशा, बिहार और राजस्थान इकाइयों से अपने-अपने राज्यों में कपड़ा उत्पादकों से संपर्क करने और उन्हें बड़ी संख्या में राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए प्रेरित करने को कहा है.