अमेरिकी कंपनी की नौकरी और IIM को ठुकराकर मजदूर का बेटा बना सेना में अफसर
मजूदर का बेटा बना अफसर...
पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाले बरनाना को IIIT से पढ़ाई करने के बाद अमेरिकी कंपनी यूनियन पैसिफिक रेल रोड से हाई पैकेज पर नौकरी का ऑफर मिला था। लेकिन उन्होंने उस ऑफर को ठुकरा दिया, क्योंकि उन्हें सेना में जाकर देश की सेवा करनी थी।
पासिंग आउट परेड के दौरान बरनाना के पिता गुन्नाया की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। वे अपने बेटे को सेना की वर्दी में देखकर काफी गौरान्वित महसूस कर रहे थे। हालांकि उन्हें इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं मालूम था।
शनिवार को पासिंग आउट परेड के दौरान उन्हें टेक्निकल ग्रैजुएट कोर्स में प्रथम स्थान लाने के कारण सिल्वर मेडल से सम्मानित किया गया। वे अब सेना की इंजिनियरिंग यूनिट में काम करेंगे।
बीते 9 दिसंबर को भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून (IMA) में पासिंग आउट परेड में 409 नौजवान भारतीय सीमा का हिस्सा बन गए। आइएमए के कठिन प्रशिक्षण से गुजरने वाले इन नौजवानों को पासिंग आउट परेड में पास आउट घोषित किया गया। सभी नौजवानों के लिए खुशी का यह दिन यादगार बन गया। इस दौरान कई युवा ऐसे भी थे जिनकी कहानियां प्रेरित करने वाली हैं। ऐसी ही एक कहानी बरनाना याडगिरी की है जिन्हें इस पासिंग आउट परेड में टेक्निकल ग्रैजुएट कोर्स में पहली रैंक हासिल हुई। बरनाना हैदराबाद से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फरमेशन टेक्नॉलजी (IIIT) से पढ़ाई की है।
जानकर हैरानी होगी कि बरनाना एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता हैदराबाद में ही सीमेंट की फैक्ट्री में काम करते थे। उनका जीवन काफी आभावों में गुजरा। लेकिन पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाले बरनाना को IIIT से पढ़ाई करने के बाद अमेरिकी कंपनी यूनियन पैसिफिक रेल रोड से हाई पैकेज पर नौकरी का ऑफर मिला था। लेकिन उन्होंने उस ऑफर को ठुकरा दिया, क्योंकि उन्हें सेना में जाकर देश की सेवा करनी थी। इतना ही नहीं उन्होंने मैनेजमेंट क्षेत्र में सबसे कठिन मानी जाने वाली परीक्षा कैट भी क्वॉलिफाई कर ली थी। उन्होंने 93.4 पर्सेंटाइल मिले थे, जिसके बाद IIM इंदौर से कॉल आई थी, लेकिन वे वहां भी नहीं गए।
पासिंग आउट परेड के दौरान बरनाना के पिता गुन्नाया की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। वे अपने बेटे को सेना की वर्दी में देखकर काफी गौरान्वित महसूस कर रहे थे। हालांकि उन्हें इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं मालूम था। उन्हें नहीं पता था कि इस परेड के बाद उनका बेटा सेना में अफसर बनने वाला है। याडगिरी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बताया, 'मेरे पिता बहुत साधारण इंसान हैं। उन्हें नहीं पता था कि मैं सेना में अधिकारी बनने वाला हूं। बल्कि वे तो ये सोच रहे थे कि मैं सेना में सैनिक बनने जा रहा हूं। यहां तक कि उन्होंने मुझसे सॉफ्टवेयर कंपनी की नौकरी करने के लिए कहा था। उन्हें लगता था कि वो नौकरी न करके मैंने गलती कर दी है।'
याडगिरी को जिंदगी में कई आभावों का सामना करना पड़ा। पिता की आय अच्छी न होने के कारण सरकारी स्कॉलरशिप की बदौलत उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की। अमेरिकी कंपनी की नौकरी और आईआईएम इंदौर से पढ़ाई का ऑफर ठुकराने के बाद उन्होंने अपने दिल की सुनी और सेना में जाने की तैयारी में लग गए। याडगिरी ने कहा, 'मैंने वह दिन देखे हैं जब मेरे पिता पूरे दिन मेहनत मजदूरी कर केवल 60 रुपए कमाते थे। मेरी मां पोलियोग्रस्त थीं लेकिन वे भी ऑफिस की टेबल साफ कर कुछ पैसा कमाती थीं। मुझे मौका मिला था कॉर्पोरेट सेक्टर में काम कर ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने का लेकिन मेरा दिल नहीं माना, जिसके कारण मैंने सेना में भर्ती होने का फैसला लिया।'
शनिवार को पासिंग आउट परेड के दौरान उन्हें टेक्निकल ग्रैजुएट कोर्स में प्रथम स्थान लाने के कारण सिल्वर मेडल से सम्मानित किया गया। वे अब सेना की इंजिनियरिंग यूनिट में काम करेंगे। याडगिरी बताते हैं कि उन्हें पब्लिक स्पीकिंग और किताबें पढ़ना काफी पसंद है। वे कहते हैं, 'मैं शुरू से ही कठिन परिश्रम में यकीन रखता था। मेहनत तो मेरे जीन्स में थी। मैं यकीन दिला सकता हूं कि डिफेंस रिसर्च और डेवलपमेंट के क्षेत्र में काम करके देश को गौरान्वित करूंगा।'
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