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इस युवा इंजिनियर ने खेती से बदल दी नक्सल प्रभावित इलाके दंतेवाड़ा की तस्वीर

इस युवा इंजिनियर ने खेती से बदल दी नक्सल प्रभावित इलाके दंतेवाड़ा की तस्वीर

Monday December 11, 2017 , 5 min Read

आकाश को समाजसेवा के काम से इतना लगाव और प्रेम हुआ कि उन्होंने इसी क्षेत्र में अपना करियर बनाने की सोच ली। वे सोशल आन्ट्रप्रिन्योरशिप करना चाहते थे, लेकिन उन्हें अब भी नहीं पता था कि कैसे क्या करना है और किस दिशा में जाना है।

आकाश बडवे

आकाश बडवे


 नौकरी अच्छी थी और सैलरी भी अच्छी मिल जाती थी, इसलिए आकाश खुश थे। लेकिन कई बार उन्हें अपने सपने के बारे में सोचकर दुख होता था। समाज सेवा करने का सपना।

2016 अगस्त में आकाश ने ऑर्गैनिक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की शुरुआत की जिसका नाम 'भूमगाड़ी' रखा गया। इसके जरिए 300 स्वयं सहायता समूह और 1,000 किसानों को सीधे तौर पर फायदा पहुंच रहा है। 

आकाश बडवे को हमेशा से यह पता था कि उन्हें समाजसेवा करनी है, लेकिन वो यह नहीं जानते थे कि इस काम को कैसे करना है। अपनी शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी ऐंड साइंस, पिलानी से इलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग और बायोलॉजी की पढ़ाई की। पिलानी कैंपस में एक संगठन बना था निर्माण जो कि समय-समय पर सामाजिक कार्यों को अंजाम देता था। आकाश इस संगठन से जुड़ गए। शायद यह सही अवसर था जिसकी तलाश में आकाश हमेशा से थे। वे इस संगठन से जुड़ने के बाद पिलानी के आस-पास के गांवों में जाते थे और महिला सशक्तिकरण, अक्षय ऊर्जा, यूथ एम्पॉवरमेंट और शिक्षा के लिए काम किया करते थे।

आकाश को इस काम से इतना लगाव और प्रेम हुआ कि उन्होंने इसी क्षेत्र में अपना करियर बनाने की सोच ली। वे सोशल आन्ट्रप्रिन्योरशिप करना चाहते थे, लेकिन उन्हें अब भी नहीं पता था कि कैसे क्या करना है और किस दिशा में जाना है। इधर उनकी पढ़ाई चलती रही और कॉलेज खत्म होने को आया तो उनका प्लेसमेंट एक 300 साल पुराने ब्रिटिश बैंक में हो गया। मौका अच्छा था इसलिए उन्होंने बिना ज्यादा सोचे नौकरी जॉइन कर ली। नौकरी अच्छी थी और सैलरी भी अच्छी मिल जाती थी, इसलिए आकाश खुश थे। लेकिन कई बार उन्हें अपने सपने के बारे में सोचकर दुख होता था। समाज सेवा करने का सपना।

किसानों के साथ धान के खेत में आकाश

किसानों के साथ धान के खेत में आकाश


इसी दौरान आकाश को प्रधानमंत्री रूरल डेवलपमेंट फेलो स्कीम (PMRDFS) के बारे में पता चला। इस सरकारी पहल के जरिए छत्तीसगढ़ जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में सरकारी परियोजनाओं के क्रियान्वन के लिए अच्छे और योग्य लोगों को चुना जा रहा था जो विकास से जुड़े हुए क्रियाकलापों को क्रियान्वित कर सकें। लेकिन इतनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ कर दूरदराज के गांव में जाकर काम करने की इजाजत उनके घरवाले नहीं दे रहे थे। जाहिर सी बात है अच्छी कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़कर नक्सल प्रभावित इलाके में काम करने पर कौन ही राजी होता। उनके घरवालों ने भी इसका विरोध किया, लेकिन बार-बार कहने पर घरवाले आखिर में मान ही गए और आकाश दंतेवाड़ा की ओर प्रस्थान कर गए।

यह 2012 का वक्त था जब आकाश दंतेवाड़ा आए। यहां आते ही उनकी मुलाकात दंतेवाड़ा के कलेक्टर ओम प्रकाश चौधरी से हुई जो कि पहले से ही जिले में एम्पॉवरमेंट और डेवलपमेंट पर काम कर रहे थे। उनसे कुछ बेसिक जानकारी लेने के बाद आकाश ने जिले में लोगों की समस्याएं जाननी शुरू कर दीं। उन्होंने देखा कि इस जिले में तो संसाधनों की कमी नहीं है और किसानों के पास खेती करने के परंपरागत तरीके भी हैं, लेकिन उन्हें थोड़ा आश्चर्य हुआ कि इसके बावजूद किसानों की हालत बदहाल है। इसके लिए उन्होंने काम करने की प्लानिंग बनानी शुरू कर दी।

हालांकि दंतेवाड़ा में चिकित्सा और स्वास्थ्य की हालत काफी बदहाल थी। वहां के बच्चों में मलेरिया, एनीमिया और कुपोषण की समस्याएं आम थी। आकाश को जल्द ही समझ में आ गया कि खाने की क्वॉलिटी खराब होने के चलते ये सारी समस्याएं आ रही हैं। इसके ठीक बाद आकाश ने सबसे पहले कृषि के क्षेत्र में काम करना शुरू किया। उन्होंने किसानों को विभिन्न तरह की ऑर्गैनिक फार्मिंग तकनीकों के बारे में सिखाना शुरू कर दिया। इस दौरान यह भी ध्यान में रखा गया कि चावल और बाजरा जैसे खेती में पोषण की मात्रा बनी रहे।

आकाश उन दिनों को याद करते हुए बताते हैं, 'सभी किसान खेती के इस तरीके को अपनाने के बारे में आशंकित थे। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी कम लागत में अच्छा मुनाफा कैसे मिल सकता है। लेकिन हम लोगों ने उन्हें आश्वस्त किया कि उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। इसके बाद उन्हें फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड के नुकसान के बारे में बताया। हमने उन्हें बताया कि बिना किसी उर्वरक के भी अच्छी खेती की जा सकती है।' आकाश बताते हैं कि आज से पांच साल पहले जहां एक हेक्टेयर में औसतन 5 किलो उर्वरक का इस्तेमाल होता था वहीं अब ये मात्रा शून्य पर आ गई है। अब पूरे दंतेवाड़ा जिले को इसी तरह 100 प्रतिशत ऑर्गैनिक बना देना है।

खेती के नए तरीके आजमाते आकाश के किसान

खेती के नए तरीके आजमाते आकाश के किसान


2016 अगस्त में आकाश ने ऑर्गैनिक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की शुरुआत की जिसका नाम 'भूमगाड़ी' रखा गया। इसके जरिए 300 स्वयं सहायता समूह और 1,000 किसानों को सीधे तौर पर फायदा पहुंच रहा है। ये स्वयं सहायता ग्रुप साथ में काम करते हैं। जिले में रोजगार की तलाश करने वाले लोगों की भी यह संगठन मदद करता है। आकाश ने इसके जरिए लगभग 2,000 माइक्रो ऑन्ट्रप्रिन्योर्स बना दिए हैं। 'भूमगाड़ी' ने 30 अलग-अलग किस्मों के 200 टन ऑर्गैनिक चावल और बाजरा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। यह जिला अक्सर नक्सल क्रियाकलापों के लिए चर्चित रहता है, लेकिन आकाश के इस संगठन ने दंतेवाड़ा की छवि को भी बदलने का काम किया है।

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