गरबा आयोजनों पर लगेगा 18 फीसदी GST, विरोध में सड़कों पर उतरे लोग
अकेले राजकोट में गरबा के 1 लाख एंट्री पास जारी होते हैं. ऐसे में जीएसटी लगने के बाद गरबा आयोजन करने वालों को जीएसटी के रूप में 1.5 करोड़ से अधिक रुपये देने पड़ेंगे. वहीं, राजकोट में 50 हजार एंट्री पास जारी होते हैं और ऐसे में वहां 1 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी देनी पड़ेगी.
गुजरात के लोकप्रिय लोकनृत्य और नवरात्रि के दौरान आस्था एवं उल्लास के साथ सेलिब्रेट किए जाने वाले गरबा के कमर्शियल आयोजनों के एंट्री पासेस पर राज्य सरकार ने इस साल से 18 फीसदी जीएसटी लगाने का ऐलान कर दिया है.
अकेले राजकोट में गरबा के 1 लाख एंट्री पास जारी होते हैं. ऐसे में जीएसटी लगने के बाद गरबा आयोजन करने वालों को जीएसटी के रूप में 1.5 करोड़ से अधिक रुपये देने पड़ेंगे. वहीं, राजकोट में 50 हजार एंट्री पास जारी होते हैं और ऐसे में वहां 1 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी देनी पड़ेगी. इसको देखते हुए सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर में विरोध शुरू हो गया है.
आम लोगों से लेकर राजनीतिक दल कर रहे विरोध
सूरत में लोगों ने गरबा खेलकर गरबा और नवरात्र से जुड़ी अन्य चीजों पर लगने वाले जीएसटी का विरोध किया. वहीं, वडोदरा सिटी कांग्रेस ने गरबा खेलकर कलेक्टर कार्यालय पर धरना दिया और इस टैक्स को वापस लेने की मांग की.
आम आदमी पार्टी (आप) ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल को पत्र लिखा. गरबा पर जीएसटी को आस्था का अपमान बताते हुए आप ने इसे वापस लेने की मांग की.
आप के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया ने कहा कि गरबा गुजरात की परंपरा है, गुजरात की संस्कृति है और करोड़ों लोगों की आस्था गरबा से जुड़ी है. गुजरात गरबा को देवी का आशीर्वाद लेने के अवसर के रूप में मनाता है. लेकिन भाजपा सरकार ने गरबा पर भी 18 फीसदी जीएसटी लगा दिया है.
डेली पास पर नहीं लगेगी जीएसटी
सरकार ने गरबा पास पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया है. लेकिन गरबा देखने आने वाले दर्शक अगर रोजाना पास लेते हैं तो उन्हें जीएसटी नहीं देना होगा. हालांकि इसको लेकर अभी भी असमंजस बना हुआ है.
इसको देखते हुए सूरत के आयोजकों ने सीजन पास को डेली पास से बदल दिया है. उनका कहना है कि उनके डेली पास की कीमत 499 रुपये से कम होगी और उन पर जीएसटी नहीं लगेगा.
बता दें कि, चनिया चोली पर 5 प्रतिशत से 12 प्रतिशत तक जीएसटी लगता है. एक हजार रुपये से कम की चनिया चोली पर पांच फीसदी और एक हजार रुपये से ऊपर की चनिया चोली पर 12 फीसदी जीएसटी लगता है.
नवरात्रि कॉस्ट्यूम डिजाइनर से लेकर इवेंट्स आयोजकों ने बताया गलत फैसला
नवरात्रि कॉस्ट्यूम डिजाइनर और गरबा आयोजनों में जज की भूमिका निभाने वालीं अहमदाबाद के हनीश पटेल ने कहा कि सरकार इस समय दाल और दही जैसी आवश्यक वस्तुओं सहित कई वस्तुओं पर जीएसटी लगा रही है. गरबा और नवरात्रि गुजरात की पहचान हैं और गरबा वादकों को पूरे साल नवरात्रि से ऊर्जा मिलती है. टैक्स लगाना सही नहीं है कि, सबका बजट खराब हो जाएगा और उत्सव का माहौल नहीं रहेगा.
वहीं, गरबा के कई इवेंट आयोजित कराने वाले इवेंट मैनेजर देवांग भट्ट ने कहा कि अगर गरबा पासेस और चनिया चोली पर जीएसटी लगाया जाएगा तो सभी का खर्च बढ़ जाएगा.
S21 इवेंट्स के समीर शाह ने कहा कि पिछले तीन साल से बड़े गरबा आयोजनों का आयोजन कोरोना के कारण बंद है, इसलिए हमारा कारोबार पहले से ही घाटे में चल रहा था. इस साल, कुछ उम्मीद थी, लेकिन अब अगर जीएसटी लागू हो गया, तो उत्पादन लागत सहित हर चीज के लिए बजट बढ़ेगा. उनके पास एक मुफ्त पास का ट्रेंड है और बहुत कम लोग पास खरीदते हैं और गरबा खेलने आते हैं.