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बाबाओं के चक्कर में सुलगता भारत, कई राज्यों में हाई अलर्ट

बाबाओं के चक्कर में सुलगता भारत, कई राज्यों में हाई अलर्ट

Friday August 25, 2017 , 6 min Read

 डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम हरियाणा पुलिस के शिकंजे में कस गए। फैसला आने के बाद डेरा समर्थक पंजाब और हरियाणा में हिंसा पर उतर आए हैं। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए।

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम, फोटो साभार: स्क्रॉल

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम, फोटो साभार: स्क्रॉल


इनके शिष्यों की संख्या करोड़ों में बताई जाती है। आसाराम बापू सामान्यतः विवादों से जुड़े रहे हैं। जैसे, आपराधिक मामलों में उनके खिलाफ दायर याचिकाएँ, उनके आश्रम द्वारा अतिक्रमण, 2012 दिल्ली दुष्कर्म पर उनकी टिप्पणी एवं 2013 में नाबालिग लड़की का कथित यौन शोषण।

एक दौर ऐसा था कि धर्म क्षेत्र से जुड़े साधु-संत मायावी प्रलोभनों से दूर रहकर समाज को संस्कारित करने, धार्मिक आचार-व्यवहार से शिक्षित-दीक्षित करने में अपनी प्राथमिक भूमिका निभाते हुए स्वयं सात्विक-सरल जीवन जीते थे।

एक आज के आसाराम बापू और राम रहीम जैसे संत और एक उस जमाने के, जब बादशाह अकबर के बुलावे पर कुम्भन दास ने कहा था- 'संतन को कहां सिकरी सो काम, आवत जात पनहियाँ टूटी, बिसरि गयो हरि नाम, जिनको मुख देखे दु:ख उपजत, तिनको करिबे परी सलाम!' सीबीआई की अदालत में आज यौन शोषण के एक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम हरियाणा पुलिस के शिकंजे में कस गए। फैसला आने के बाद डेरा समर्थक पंजाब और हरियाणा में हिंसा पर उतर आए हैं। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। याद होगा, वक्त गए इसी तरह के अन्य मामले में उन दिनो देश-दुनिया की सुर्खियों में आ गए थे आधुनिक संत कहे जाने वाले यौन शोषण के ही आरोपी आसाराम बापू। वह भी इन दिनो सलाखों के पीछे हैं। ये दो घटनाएं गुजरात से हरियाणा तक यानी लगभग पूरे देश का ध्यान कुछ अलग ही तरीके से अपनी ओर आकृष्ट करती हैं। आइए, पहले राम रहीम की कथनी और करनी से जुड़ी बातों पर एक नजर डालते हैं। डेरा सच्चा सौदा की स्थापना वर्ष 1948 में शाह मस्ताना महाराज ने की थी। फिर शाह सतनाम महाराज बने और उन्होंने 1990 में संत गुरमीत सिंह को गद्दी सौंप दी। संत गुरमीत श्रीगंगानगर (राजस्थान) के गांव गुरुसरमोडिया के मूल निवासी हैं।

वर्ष 2002 में एक साध्वी ने चिट्ठी लिखकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से यौन शौषण की शिकायत की थी। इसके बाद मामला सीबीआई के हवाले हो गया। अब 15 साल बाद उस पूरे मामले पर फैसला आया है। इससे हरियाणा के 12 जिलों में तनाव फैल गया है। इस बीच राजस्थान के श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में धारा 144 लगा दी गई है और 48 घंटे के लिए इंटरनेट सर्विस भी बंद कर दी गई है। श्रीगंगानगर में राम रहीम का जन्म हुआ है। उधर, सिरसा में गुरुवार रात से ही कर्फ्यू है। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में भी 72 घंटों के लिए इंटरनेट, डाटा सर्विस स्थगित कर दी गई हैं। रेलवे ने हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ और राजस्थान जाने वाली 74 ट्रेनों को रद्द कर दिया है। इस बीच हाईकोर्ट ने कहा है- हालात बिगड़े तो सेना को सीधा निर्देश देंगे।

विवादित संत आसाराम बापू का पूरा नाम आसूमल थाऊमल हरपलानी है। वह देश के एक कथावाचक, आध्यात्मिक गुरु एवं स्वयंभू सन्त के रूप में जाने जाते हैं, जो अपने शिष्यों को एक सच्चिदानन्द ईश्वर के अस्तित्व का उपदेश देता है। उन्हें उनके भक्त प्राय: बापू के नाम से सम्बोधित करते हैं। आसाराम चार सौ से अधिक छोटे-बड़े आश्रमों के स्वामी भी हैं। उनके शिष्यों की संख्या करोड़ों में बताई जाती है। आसाराम बापू सामान्यतः विवादों से जुड़े रहे हैं। जैसे, आपराधिक मामलों में उनके खिलाफ दायर याचिकाएँ, उनके आश्रम द्वारा अतिक्रमण, 2012 दिल्ली दुष्कर्म पर उनकी टिप्पणी एवं 2013 में नाबालिग लड़की का कथित यौन शोषण।

उन पर लगे आरोपों की पर्त एक के बाद एक खुलती गई है। आरोपों की आँच उनके बेटे नारायण साईं तक भी रही है। फ़िलहाल आसाराम जेल की सलाखों में हैं। यौन छेड़छाड़ का एक मामला 20 अगस्त 2013 को उस वक्त प्रकाश में आया, जब एक एफआईआर दिल्ली के कमला नगर थाने में रात दो बजे दर्ज हुई। घटना जोधपुर के मड़ई में स्थित फार्म हाउस में 16 अगस्त की बताई गई। एफ़आईआर में लड़की ने आरोप लगाया कि बापू ने रात उसे कमरे में बुलाया और एक घंटे तक उसके साथ छेड़छाड़ की। मेडिकल जाँच में किसी प्रकार के निशान नहीं प्राप्त हुए, न रेप की पुष्टी हुई। जब इस बात की पुष्टि हो गयी कि रिपोर्ट झूठी नहीं है, तब पुलिस ने कन्या का कलमबन्द बयान लेकर सारा मामला राजस्थान पुलिस को सौंप दिया। आसाराम को पूछताछ के लिए 31 अगस्त 2013 तक का समय देते हुए सम्मन जारी किया गया। इसके बावजूद जब वे हाजिर नहीं हुए तो दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धाराओं के अन्तर्गत सारा मामला जोधपुर की अदालत में भेज दिया। उधर, आसाराम इन्दौर में प्रवचन करने लगे। पण्डाल के बाहर गिरफ़्तारी को पहुँची पुलिस के साथ बापू के समर्थकों ने हाथापायी की। आखिरकार उसी रात बारह बजे तक प्रतीक्षा करने के बाद राजस्थान पुलिस ने आसाराम को गिरफ़्तार कर लिया। विमान से जोधपुर ले गयी।

एक दौर ऐसा था कि धर्म क्षेत्र से जुड़े साधु-संत मायावी प्रलोभनों से दूर रहकर समाज को संस्कारित करने, धार्मिक आचार-व्यवहार से शिक्षित-दीक्षित करने में अपनी प्राथमिक भूमिका निभाते हुए स्वयं सात्विक-सरल जीवन जीते थे। काम, क्रोध, मद लोभ को त्याग कर दूसरों को आदर्श जीवन का पाठ पढ़ाते थे। मौजूदा दौर में कई एक साधु-संतों पर आपराधिक आरोप लगे है, कई गेरुआधारियों को हिंसा भड़काने के आरोप में जेल की हवा भी खानी पड़ी है। आज जिन साधु-संतों को हम देख रहे हैं, इनमें योग और साधना कितनी है, सब जगजाहिर है। सर्व गुण संपन्न राम रहीम, आसाराम जैसे इन कथित साधु-संतों का न तो कोई चरित्र रह गया है न ही इनमें त्याग-तपस्या जैसा कुछ नजर आता है।

आए दिन इनकी करतूतें सार्वजनिक हो रही हैं। इसीलिए इनके प्रति अब पहले की तरह आम जनता में कोई श्रद्धाभाव रह गया है। अंधश्रद्धा का ही फायदा उठाते बड़ी संख्या में छद्म वेशधारियों ने भी अपने आप को साधु-बाबाओं की जमात में शामिल कर लिया हैं। ऐसे साधु-संतों की निगाह ऐशोआराम के हर संसाधन जुटाने में लगी रहती है। धर्म के नाम पर लाखों करोड़ों की जमीन को मुफ्त में लेकर आलीशान बिल्डिंग बना डालते हैं, वह भी जनता के पैसे से। इन कोठीनुमा भवनों को नाम तो आश्रम का दिया जाता है, लेकिन यहां विलासिता के सभी सामान मौजूद होते हैं। यदि बीच-बीच में अदालत इन चेहरों से नकाब न उतारती रहे, तो समय के अंधेरे में ये और न जाने क्या-क्या कर डालें।


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